“चंद्र कैलेंडर में नया साल जीवन के नये चक्र का प्रतीक है। खुद को अर्पित कर देने से जीवन को नई ऊर्जा और शक्ति से भरना आसान हो जाता है। देवी और उनकी कृपा के साथ जुड़ने के लिए वसंत विषुव (दिन और रात के बराबर होने का दिन) के बाद का समय सबसे अच्छा होता है।”
– सद्गुरु
चंद्र हिंदू नव वर्ष न केवल सांस्कृतिक रूप से, बल्कि वैज्ञानिक रूप से भी बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसे धरती, सूर्य और चंद्रमा के बीच संबंध और मानव प्रणाली पर इसके असर को ध्यान में रखकर तय किया गया है। इसलिए नये साल की तारीखें खेती के नये मौसम की शुरुआत और वसंत के स्वागत के हिसाब से तय की गई थीं - 1 जनवरी को नया साल नहीं माना जाता था।
भारत में, हर क्षेत्र में चंद्र हिंदू नव वर्ष मनाने का एक अनूठा तरीका है। लिंग भैरवी में आयोजित इस उत्सव के एक हिस्से के रूप में, देश के विभिन्न हिस्सों से भक्त देवी की कृपा पाने के लिए कई भेंटें अर्पित कर सकते हैं। यह उत्सव के सभी पांच दिनों (2 अप्रैल, 13, 14, 15 और 16 अप्रैल) को खुला रहता है।
देवी की कृपा प्राप्त करके नये साल की शुरुआत करें
रु. 770

देवी अभिषेकम्

दीपम् अर्पणम्
