About the Book
प्रस्तुत ’राह के फूल‘ श्रृंखला पाठकों के लिए एक गुलदस्ता है; यह ’टाइम्स ऑफ इंडिया‘ के स्तंभ ’स्पीकिंग ट्री‘ में धारावाहिक रूप से प्रकाशित सद्गुरु द्वारा मुखरित आलेखों का संग्रह है। वर्षों से, इन रचनाओं ने एकरसता और अशान्ति में घिसरते जन समुदाय के जीवन में नित्य प्रति सौंदर्य, हास्य, स्पष्टता और विवेक की शीतल झरी प्रवाहित की हैं। स्टॉक बाजार के बदलते मौसम और अंतराष्ट्रीय मसलों से संबंधित पृष्ठ, पाठकों के जीवन में आशातीत अन्तर्दृष्टि और सुकून पैदा करने वाले सिद्घ हुए हैं।
सद्गुरु के मौलिक विचारों, स्पष्ट टिप्पणियों और समसामयिक मसलों पर दिए गए बयानों ने कभी-कभी विवाद उत्पन्न किये हैं, किन्तु उनसे राष्ट्रीय बहस में एक अलग रंगत और जीवंतता का संचार हुआ है। रूढियों और परम्परागत विचारों के ऊपर नए दृष्टिकोण जगा कर पाठकों को चौंका देने वाली ये रचनाएं, अपनी सौम्य सुगंध से भोर को भिगोते फूलों की ही तरह उत्साह और प्रेरणा प्रदान करती हैं।
दृष्टि के आगे फैले खिले-खिले फूलों की तरह इनमें आग्रहपूर्ण आमंत्रण है। सुवास का आमंत्रण – सुवास जो चिढाती है, बावरा कर देती है और मदहोश बना देती है। सुवास जो हमें याद दिलाती है कि जीवन अपने गहराई में, कोई उलझी पहेली नहीं है, बल्कि एक राज है जिसे अनुभव किया जाए।
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