सद्गुरु का ज्ञानोदय दिवस
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23 सितंबर को सद्गुरु का ज्ञानोदय दिवस है। इस दिन, अठारह साल पहले, मैसूर के चामुंडी हिल पर, सद्गुरु के भीतर शब्दों से परे एक अनुभव हुआ था - जिसमें इतनी गहन सुंदरता और परमानंद था कि उन्होंने इसे पूरी मानवता के लिए उपलब्ध कराने की योजना बना ली थी।
यह घटना जितनी महत्वपूर्ण सद्गुरु के अपने जीवन में थी, उतनी ही बड़ी आध्यात्मिक संभावना दुनिया के लाखों लोगों के लिए भी उपलब्ध हुई थी।
हर इंसान को छूने की यह कोशिश, कम से कम "आध्यात्मिकता की एक बूंद" सभी के जीवन तक पहुंचाने का यह प्रयास, 38 वर्षों का एक शानदार सफर रहा है।
सद्गुरु के साथ शक्तिशाली ध्यान

सद्गुरु दर्शन और प्रश्न-उत्तर

विशेष संगीत प्रस्तुतियां

सद्गुरु एक्सक्लूसिव का लाँच

तैयारी साधना
सद्गुरु के साथ ध्यान की तैयारी के लिए साधना
सद्गुरु हमें एक शक्तिशाली ध्यान की प्रक्रिया करवाएंगे। तैयारी की साधना सीखकर इस असीम संभावना का बेहतरीन उपयोग करें।
भक्ति साधना एक सरल प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति कृपा के प्रति ग्रहणशील बन सकता है और दिव्यता की संभावना को आमंत्रित कर सकता है।
प्रक्रिया:अपने आस-पास की हर चीज को अपने से ज़्यादा बड़ा मानकर भक्ति की भावना से देखिए। जिस हवा में हम सांस लेते हैं, जो पानी हम पीते हैं, जो भोजन हम खाते हैं, पेड़, सूरज, यहां तक कि कीड़े - आप इस भक्ति की भावना के साथ चारों ओर मौजूद हर चीज़ को देखिए।
आप इसे रोजाना 12 मिनट या 20 मिनट या 40 मिनट तक कर सकते हैं।
सद्गुरु द्वारा दिया गया योग योग योगेश्वराय मंत्र, पहले योगी शिव द्वारा मानवता को दिए गए बेमिसाल योगदान का आभार प्रकट करता है। इस जप का अभ्यास तंत्र में प्रवेश या गर्मी उत्पन्न करता है। इस जप के अभ्यास से शरीर में ऊष्णा या गर्मी उत्पन्न होती है। पर्याप्त ऊष्णा पैदा करने से आध्यात्मिक मार्ग पर तेज़ी से आगे बढ़ने में मदद मिल सकती है।
प्रक्रिया:आप आँखें बंद करके बैठ सकते हैं, और चेहरे को थोड़ा सा ऊपर उठाकर कम से कम 12 बार, 21 बार या जब तक आप चाहें इस मंत्र का जाप कर सकते हैं।
जिन लोगों ने कोई ईशा कार्यक्रम नहीं किया है, वे ऊपर दी गई साधना के अलावा नीचे दिए गए अभ्यास नीचे दिए गए क्रम में कर सकते हैं:
योग नमस्कार एक सरल और शक्तिशाली प्रणाली है, जो रीढ़ के कमर वाले हिस्से को सक्रिय करती है, और रीढ़ की हड्डी के आस-पास वाली मांसपेशियों को मजबूत करती है, जिससे उम्र बढ़ने के कारण रीढ़ की हड्डी का खुद में धंसना रुक जाता है। योग नमस्कार पूरे शरीर को कई लाभ पहुंचाता है।
आप रोजाना योग नमस्कार के कम से कम 3 चक्र कर सकते हैं।
नाड़ी शुद्धी अभ्यास से नाड़ियों की सफाई होती है। नाड़ियाँ वे मार्ग हैं, जिनसे प्राण ऊर्जा प्रवाहित होती है। इस अभ्यास से पूरी प्रणाली संतुलित हो जाती है और मानसिक खुशहाली मिलती है।
अवधि: इसे कम से कम 4 मिनट तक करें। आप चाहें तो इसे ज़्यादा देर तक कर सकते हैं।
नाद योग, यानी ध्वनि या कम्पन के योग में उन ध्वनियों का उच्चारण किया जाता है जो हमारे भीतरी वातावरण को आनंदित और सहज बना सकती हैं।
शाम्भवी मुद्रा एक सहज प्रक्रिया है जो आपके बोध को बढ़ाती है और आपको जीवन के उस आयाम के प्रति ग्रहणशील बनाती है, जिसे अक्सर कृपा कहा जाता है।