हल्दी के चार अनूठे लाभ
जाने हल्दी का चुटकी भर प्रयोग हमारे लिए क्या- क्या कर सकता है...
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#1 शरीर की शुद्धि के लिए हल्दी
हल्दी आपके खून को साफ करती है और आपकी ऊर्जा को निर्मल बनती है। हल्दी सिर्फ आपके शरीर पर ही काम नहीं करती, बल्कि यह आपकी ऊर्जा को भी प्रभावित करती है। यह शरीर, खून और ऊर्जा तंत्र की सफाई करती है। बाहरी सफाई के लिए अपने नहाने के पानी में एक चुटकी हल्दी डालें और इस पानी से नहाएं। आप पाएंगे कि आपका शरीर दमकने लगेगा।
#2 सर्दी जुकाम दूर करती है हल्दी
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- 10 से 12 काली मिर्च कूट लें। इन्हें दो चम्मच शहद में रात भर (लगभग 8 से 12 घंटे) भिगोकर रखें। सुबह उठकर इसे खा लें और काली मिर्च को चबा लें। शहद में हल्दी मिला ली जाए तो वह भी अच्छा है। अगर आप सभी डेरी पदार्थों का सेवन बंद कर दें तो हैं तो अपने आप ही बलगम कम होती जाएगी।
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#3 हल्दी में है कैंसर प्रतिरोधक गुण
कैंसर कोई बीमारी नहीं है। यह आपके शरीर का आपके खिलाफ काम करना है, आपकी कुछ कोशिकाएं आपके खिलाफ हो जाती हैं। समय-समय पर शरीर की सफाई करने से, कैंसर से बचा जा सकता है। खाली पेट हल्दी का सेवन, शरीर की सफाई के लिए बहुत प्रभावशाली है। कैंसर हो जाने के बाद हो सकता है कि यह प्रभावशाली न हो। लेकिन हर सुबह सबसे पहले कंचे जितनी बड़ी नीम और हल्दी की गोलियां खाने से शरीर की सफाई अच्छे से हो जाती है और साथ ही कैंसर की कोशिकाएं शरीर से बहार निकल जाती हैं।
#4 योग साधना में हल्दी के फायदे
इस धरती से जो भी चीज ली गई है, जिसमें आपका शरीर भी शामिल है, उस हर चीज में एक जड़ता होती है। इसलिए यह जरूरी है कि आप में इतनी सजगता हो कि आप इस जड़ता का स्तर कम से कम रख सकें। आपकी साधना काम कर रही है या नहीं, इसे मापने के लिए हम ये देखते हैं कि आप कितना सोते हैं और कितने सजग हैं। इन दोनो बातों से दरअसल हम यह देखते हैं कि आप कितनी जड़ता अपने भीतर पैदा कर रहे हैं। अगर आपका शरीर अपने भीतर की कोशिकाओं में एक खास स्तर तक की ऊर्जा को प्रवेश करने से रोकता है तो शरीर में जड़ता बढ़ती है। नीम और हल्दी का मिश्रण शरीर की कोशिकीय संरचना को इस तरह से फैलाता है, कि इसके हर दरार और छिद्र में ऊर्जा भर सके। नीम और हल्दी इस काम में भौतिक रूप से मदद करते है, जबकि साधना यही काम सूक्ष्म रूप से करती है।
आप साधना के अलावा दूसरे साधनों या तरीकों से भी अपने शरीर में भरपूर ऊर्जा पैदा कर लेते हैं, जैसे एक कप कडक़ कॉफी या निकोटिन आदि। लेकिन ये चीजें आपके तंत्र में कोशिकीय स्तर पर ऊर्जा के प्रवेश की गुंजाइश नहीं बनातीं।इससे तंत्र में ऊर्जा संचित नहीं हो पाती है कि उसे लंबे समय तक शरीर में संभाल कर रखा जा सके और जरुरत पडऩे पर खर्च किया जाए। यह ऊर्जा एकत्र होने की बजाय तुरंत अपनी अभिव्यक्ति का रास्ता ढूंढती है, और फिर यह विध्वंसकारी हो उठती है। यह न सिर्फ आपके शरीर, दिमाग, कामकाज व गतिविधियों पर असर डालती है, बल्कि आपके आसपास की दुनिया को भी प्रभावित करती है। जब हम अपने शरीर में ऊर्जा पैदा करते हैं तब हमारी कोशिश होनी चाहिए कि यह अपने आप ही शरीर से बाहर न निकले, बल्कि हम इसे संचित कर सकें और अपनी पसंद से जरुरत के मुताबिक खर्च कर सकें।
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यह लेख ईशा लहर अप्रैल 2014 से उद्धृत है।
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