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योग का उद्देश्य है, जीवन के सारे पहलुओं में संतुलन लाना और क्षमता के एक नए स्तर तक ऊपर उठना।
पैसा सिर्फ आपके आस-पास सुखद माहौल बना सकता है। वह आंतरिक प्रसन्नता पैदा नहीं कर सकता।
इंसानों के साथ सबसे बड़ी परेशानी ये है कि वो नहीं जानते कि अपने विचारों और भावनाओं को कैसे संभालें।
अगर आप खुद को दुखी करना चाहते हैं, तो आपको अंतहीन मौके मिलेंगे, क्योंकि हमेशा कोई न कोई कुछ ऐसा करेगा जो आपको पसंद नहीं आएगा।
आप अपने मन से जितनी ज्यादा पहचान जोड़ते हैं, उतने ही आप ‘स्वयं’ से दूर हो जाते हैं।
दिव्य की जड़ें इस शरीर में गहरी जमी हुई हैं। अगर आप जड़ों को पोषित करते हैं, तो खिलने से कैसे बच सकते हैं।
अगर आप अनिच्छा से इच्छा की ओर, जड़ता से उल्लास की ओर बढ़ते हैं, तो आपका जीवन आनंदमय और सहज हो जाएगा।
ध्यानलिंग के आभामंडल में बस कुछ मिनट बैठने से ही वे लोग भी गहरे ध्यान का अनुभव करने लगते हैं, जो अब तक ध्यान से अनजान हैं।
ध्यान का मतलब है बेफिक्री की अवस्था में पहुंचना। इसका उद्देश्य शरीर या मन को नियंत्रित करना नहीं बल्कि उन्हें मुक्त करना है।
शांति जीवन का सर्वोच्च लक्ष्य नहीं है। यह तो सबसे बुनियादी जरूरत है।
महान बनने की महत्वकांक्षा पालने की जरूरत नहीं है। अगर आप “मेरा क्या होगा” की चिंता से ऊपर उठ जाते हैं, तो आप वैसे भी एक महान इंसान बन जाएंगे।
अगर आप अपनी नश्वरता के प्रति जागरूक हैं, तो आप वही करेंगे जो आपके लिए और आपके आस-पास हर किसी के लिए एकदम जरूरी है, उसके अलावा आप और कुछ नहीं करेंगे।