रचें एक सचेतन विश्व
‘सुंदर चीजें इसलिए घटित नहीं होतीं क्योंकि किसी ने उनकी कामना की है। सुंदर चीजें इसलिए होती हैं क्योंकि कोई इन्हें साकार करता है। क्या आप वह ‘कोई’ हैं...’ - सद्गुरु
ईशा संघमित्र क्या है?
योग संस्कृति में, संघ का मतलब एक आध्यात्मिक समुदाय से होता है और मित्र का अर्थ है दोस्त। संघमित्र वह व्यक्ति है जो आध्यात्मिक समुदाय का मित्र है।
ईशा संघमित्र, एक अधिक सचेतन मानवता के निर्माण के सद्गुरु के सपने का अभिन्न अंग बनने का एक अनोखा अवसर और उसके प्रति प्रतिबद्धता है। वे धरती पर हर मनुष्य को आध्यात्मिकता की कम से कम एक बूंद प्रदान करना चाहते हैं।
संघमित्र होने के लिए आपको, अपनी इच्छा से चुने हुए समय के एक दौर के लिए, हर महीने दान करना होता है।
प्रत्येक दान, वह चाहे जितना छोटा या बड़ा हो, एक अंतर पैदा कर सकता है। जिस भी तरीके से आप दे सकें, कृपया हमें सहयोग दें।
अनुभव
‘इस प्रतिष्ठित स्थान का हिस्सा होना एक ऐतिहासिक समय है, जब सद्गुरु यहां होते हैं, और लाखों लोगों तक पहुंचते हैं, पूरी मानवता को रूपांतरण के साधन प्रदान करते हैं। यहां पर होना एक आशीर्वाद है।’
‘मुझे कभी नहीं पता था कि एक ऐसी जगह भी है जहां मैं स्वयं को पूरी तरह से लोगों की सेवा में अर्पित कर सकती हूं, और जहां नाजायज़ फायदा उठाए जाने की चिंता भी न हो। उसे हर दिन कर पाने का आनंद और आजादी मेरे लिए एक सौभाग्य है! मुझे हमेशा महसूस होता है जैसे कि मेरा ख्याल रखा जा रहा है। मैं उन लोगों को शीश झुकाती हूं जिन्होंने इस स्थान को बनाया।’
‘जिस पल मैंने इस स्थान में पहली बार प्रवेश किया, मैं तुरंत इससे जुड़ सका। बस वास्तुकला की सुंदरता, मौलिक प्रकृति, लोगों की विनम्रता और दयालुता, और यहां पर हर छोटी से छोटी चीज पर कितना ध्यान दिया गया है।’
‘मुझे हाल ही में एहसास हुआ कि मैं कुछ महीने पहले 50 साल का हो गया हूं - लेकिन मुझे ऐसा नहीं लगा कि मेरी उम्र बढ़ गई है। असल में, मैं अपने कॉलेज दिनों की तुलना में ज्यादा जीवंत और उत्साहपूर्ण महसूस करता हूं। ईशा और सद्गुरु के साथ मेरी यात्रा इतनी अधिक समृद्ध करने वाली और तृप्ति देने वाली रही है कि इसे मैं दुनिया की किसी भी चीज से बदलना नहीं चाहूंगा।’
‘एक बार जब आप इसका स्वाद चख लेते हैं कि एक आत्मज्ञानी की उपस्थिति में होना क्या होता है, तो मेरे पास आपको यह समझाने के लिए शब्द नहीं हैं कि यह मेरे साथ क्या करता है। लेकिन मैं जानता हूं कि मैं दुनिया में अब और कहीं नहीं हो सकता, यह जानते हुए कि सद्गुरु जीवित हैं।’
‘यहां मेरे लिए ईशा योग केंद्र में रहने की सबसे मूल्यवान बात यह है कि इस स्थान को ऐसे बनाया गया है कि यहां मैं अपने काम को पूरी भागीदारी के साथ करते हुए, और अपनी आध्यात्मिक प्रक्रिया को जारी रखते हुए, बिना इस सवाल के कि ‘मुझे क्या मिलेगा?’ रह सकता हूं।’
‘मेरे विचार से जो चीज इस स्थान को एक आध्यात्मिक साधक के लिए इतनी अनुकूल बनाती है, वह है सहारा प्रदान करने वाला तंत्र - प्रतिष्ठत स्थान, जिस तरह से लोग हैं, जिस तरह से भोजन को परोसा और ग्रहण किया जाता है, छोट-छोटी बातें। बिना शर्त सहारे के बावजूद, लोगों के साथ कोई उलझाव नहीं है। ‘यहां होने का’ मैं किसी भी और चीज से सौदा नहीं करूंगी।’
‘मेरे अंदर जुनूनों की भरमार थी लेकिन कोई स्पष्ट दिशा नहीं थी। ईशा योग केंद्र का मिलना एक अछूती सोने की खान को खोज निकालना जैसा था। मैं जैसे-जैसे गहराई में उतरता हूं, मैं देखता हूं कि अब आंतरिक यात्रा सोने से ज्यादा कीमती है। मेरे अंदर जो जुनून उमड़ रहा है वह जीवन को तीव्रतम तरीके से जीना है।’
‘इस प्रतिष्ठित स्थान का हिस्सा होना एक ऐतिहासिक समय है, जब सद्गुरु यहां होते हैं, और लाखों लोगों तक पहुंचते हैं, पूरी मानवता को रूपांतरण के साधन प्रदान करते हैं। यहां पर होना एक आशीर्वाद है।’
‘मुझे कभी नहीं पता था कि एक ऐसी जगह भी है जहां मैं स्वयं को पूरी तरह से लोगों की सेवा में अर्पित कर सकती हूं, और जहां नाजायज़ फायदा उठाए जाने की चिंता भी न हो। उसे हर दिन कर पाने का आनंद और आजादी मेरे लिए एक सौभाग्य है! मुझे हमेशा महसूस होता है जैसे कि मेरा ख्याल रखा जा रहा है। मैं उन लोगों को शीश झुकाती हूं जिन्होंने इस स्थान को बनाया।’
‘जिस पल मैंने इस स्थान में पहली बार प्रवेश किया, मैं तुरंत इससे जुड़ सका। बस वास्तुकला की सुंदरता, मौलिक प्रकृति, लोगों की विनम्रता और दयालुता, और यहां पर हर छोटी से छोटी चीज पर कितना ध्यान दिया गया है।’
‘मुझे हाल ही में एहसास हुआ कि मैं कुछ महीने पहले 50 साल का हो गया हूं - लेकिन मुझे ऐसा नहीं लगा कि मेरी उम्र बढ़ गई है। असल में, मैं अपने कॉलेज दिनों की तुलना में ज्यादा जीवंत और उत्साहपूर्ण महसूस करता हूं। ईशा और सद्गुरु के साथ मेरी यात्रा इतनी अधिक समृद्ध करने वाली और तृप्ति देने वाली रही है कि इसे मैं दुनिया की किसी भी चीज से बदलना नहीं चाहूंगा।’
‘एक बार जब आप इसका स्वाद चख लेते हैं कि एक आत्मज्ञानी की उपस्थिति में होना क्या होता है, तो मेरे पास आपको यह समझाने के लिए शब्द नहीं हैं कि यह मेरे साथ क्या करता है। लेकिन मैं जानता हूं कि मैं दुनिया में अब और कहीं नहीं हो सकता, यह जानते हुए कि सद्गुरु जीवित हैं।’
‘यहां मेरे लिए ईशा योग केंद्र में रहने की सबसे मूल्यवान बात यह है कि इस स्थान को ऐसे बनाया गया है कि यहां मैं अपने काम को पूरी भागीदारी के साथ करते हुए, और अपनी आध्यात्मिक प्रक्रिया को जारी रखते हुए, बिना इस सवाल के कि ‘मुझे क्या मिलेगा?’ रह सकता हूं।’
‘मेरे विचार से जो चीज इस स्थान को एक आध्यात्मिक साधक के लिए इतनी अनुकूल बनाती है, वह है सहारा प्रदान करने वाला तंत्र - प्रतिष्ठत स्थान, जिस तरह से लोग हैं, जिस तरह से भोजन को परोसा और ग्रहण किया जाता है, छोट-छोटी बातें। बिना शर्त सहारे के बावजूद, लोगों के साथ कोई उलझाव नहीं है। ‘यहां होने का’ मैं किसी भी और चीज से सौदा नहीं करूंगी।’
‘मेरे अंदर जुनूनों की भरमार थी लेकिन कोई स्पष्ट दिशा नहीं थी। ईशा योग केंद्र का मिलना एक अछूती सोने की खान को खोज निकालना जैसा था। मैं जैसे-जैसे गहराई में उतरता हूं, मैं देखता हूं कि अब आंतरिक यात्रा सोने से ज्यादा कीमती है। मेरे अंदर जो जुनून उमड़ रहा है वह जीवन को तीव्रतम तरीके से जीना है।’
‘इस प्रतिष्ठित स्थान का हिस्सा होना एक ऐतिहासिक समय है, जब सद्गुरु यहां होते हैं, और लाखों लोगों तक पहुंचते हैं, पूरी मानवता को रूपांतरण के साधन प्रदान करते हैं। यहां पर होना एक आशीर्वाद है।’
अक्सर पूछ जाने वाले प्रश्न
आप 511, 1011, या 10111 रुपए का, या कोई भी मनचाही राशि का पुनरावर्ती मासिक दान कर सकते हैं।
आप नेट बैंकिंग, डेबिट या क्रेडिट कार्ड के माध्यम से ऑनलाइन दान कर सकते हैं
आपके दान से, एक अधिक जीवंत, समावेशी, और जागरूक दुनिया बनाने और मानव कल्याण के ईशा फाउण्डेशन के प्रयासों को हर स्तर पर सहारा मिलेगा, जो सद्गुरु की इस बात को ध्यान में रखते हुए है की धरती पर हर मनुष्य को आध्यात्मिकता की कम से कम एक बूंद भेंट की जाए।
ईशा संघमित्र आपके द्वारा चुने गए समय के दौर के लिए एक प्रतिबद्धता है। अगर आप किसी ख़ास महीने के लिए दान करने में असमर्थ हैं, तो कृपया कम से कम 10 दिन पहले isha.sanghamitra@ishafoundation.org पर लिखें।
हां, ईशा फाउण्डेशन को दिए गए दान पर भारतीय करदाताओं को सेक्शन 80G के अंतर्गत छूट मिलती है।
हां आप संघमित्र के लिए अलग से रजिस्टर कर सकते हैं।
ईशा संघमित्र एक अधिक जागरूक दुनिया बनाने में ईशा का सहयोग करने का एक सुंदर अवसर है। इसमें ईशा फाउण्डेशन की गतिविधियों में सहयोग करने के लिए पुनरावर्ती मासिक दान करना होता है, जहां दान की राशि और समय का दौर दानकर्ता के चयन पर निर्भर करता है। वह दौर पूरा होने पर व्यक्ति उस सहयोग को पुनः चालू कर सकता है।
ईशांग 7% सद्गुरु के साथ जीवनभर की एक पवित्र साझेदारी है। ईशांग बनने का मतलब है कि अपनी आय का 7% या अधिक ईशा फाउण्डेशन को नियमित रूप से देने को इच्छुक हैं। सद्गुरु द्वारा ईशांग 7% भागीदारों को एक शक्तिशाली प्रक्रिया में दीक्षित किया जाता है जिसे हर दिन अभ्यास करना होता है।
आप नीचे दी गई सरल, लेकिन शक्तिशाली साधना रोज कर सकते हैं:
एक घी या तिल के तेल का दीया जलाएं।
अर्ध सिद्धासन या पालथी लगाकर बैठें। अपने हाथ अपनी जांघों पर रखें, हथेली ऊपर की ओर, और आंखें बंद रखें।
‘योग योग योगेश्वराय’ मंत्र का 12 बार जाप करें।
अपनी आंखें बंद किए हुए और चेहरे को थोड़ा ऊपर उठाकर 5 मिनट और बैठे रहें।
आप +91 844 844 7707 / isha.sanghamitra@ishafoundation.org पर हमारी टीम से संपर्क कर सकते हैं।