विषय सूची
1. घर में पीने का पानी कैसे रखें?
2. सही ढंग से पानी कैसे पियें?
2.1 पानी से आदर के साथ व्यवहार करें
2.2 अपने हाथों में भर कर पानी पियें
2.3 सही तापमान वाला पानी पियें
2.4 पानी कितना पीना चाहिये?
2.5 पानी को खायें
3.तांबे के बर्तन में से पानी पीने के फायदे

#1. घर में पीने का पानी कैसे रखें?

जिस पानी का आप घर में इस्तेमाल करते हैं, उसकी सिर्फ भौतिक शुद्धता, जैसे उसमें बेक्टेरिया, धूल आदि न हों – सिर्फ़ इस बारे में ही नहीं है, बल्कि इसे आप कैसे रखते हैं और कैसे लेते हैं उस बारे में भी आपको पर्याप्त सावधानी रखनी चाहिये। आज इसके काफी वैज्ञानिक सबूत उपलब्ध हैं कि बस एक विचार, भाव और स्पर्श भी पानी की आण्विक संरचना को बदल सकता है, हालांकि उसकी रासायनिक संरचना नहीं बदलती। और, इसका असर आपके तंत्र के अंदर गये पानी के व्यवहार पर भी पड़ता है। जो याददाश्त पानी के साथ आयी है, उसी आधार पर वही H2O (पानी) आपके लिये अमृत या ज़हर बन सकता है।

पानी का उपयोग करने से पहले, बस कुछ पल, इसके लिये कृतज्ञता और आदर व्यक्त कीजिये क्योंकि यह वो पदार्थ है जिससे आप अपना जीवन बना रहे हैं।

अगर कुछ चीज़ें सही ढंग से काम न करें तो आपका जीवन एक मुसीबत बन सकता है, और पानी के बारे में सावधानी बरतना इसका एक पहलू है। यौगिक संस्कृति में पानी के रख रखाव के बारे में हमारे दैनिक जीवन के लिये विस्तार से कुछ प्रणालियाँ बनायीं गयीं हैं। पारंपरिक रूप से लोग कुछ खास चीजें करने के बारे में बहुत जागरूक थे, और आज भी जो कट्टर पारंपरिक लोग हैं, वो सही कारण जाने बिना भी सही चीजें कर रहे हैं।

किसी पारंपरिक दक्षिण भारतीय घर में अगर आप जायें, तो आज भी वहाँ पानी एक खास ढंग से रखा हुआ मिलेगा। इसे तांबे, पीतल या तांबे की किसी मिश्र धातु के बर्तन में ही रखा जाता है। बहुत सारे लोग प्लास्टिक बोतलों और प्लास्टिक के बने पानी शुद्धिकरण यंत्रों को आजकल इस्तेमाल करते हैं, पर पारंपरिक रूप से लोग रात को ही अपने तांबे के बर्तन को अच्छी तरह इमली और हल्दी से धोते थे, इस पर पवित्र विभूति लगाते और फिर पानी भर कर उसके ऊपर एक फूल रख देते थे। उसके पास एक दिया लगा कर रखते और फिर सो जाते। अगली सुबह से वे यही पानी पीते। यह पानी आपके अंदर अद्भुत ढंग से काम करता है।

#2. सही ढंग से पानी कैसे पियें?

#2.1 पानी से आदर के साथ व्यवहार करें

पारंपरिक रूप से, दुनिया के पूर्वी भाग में, पानी के सामने झुके बिना, उसके लिये आदर व्यक्त किये बिना, कोई उसे पीता नहीं है क्योंकि आपके अंदर पानी कैसे काम करेगा ये इस बात पर निर्भर करता है कि आप उसके साथ कैसा व्यवहार करते हैं! पानी का हरेक अणु कितनी याददाश्त और बुद्धिमानी ले कर चलता है, वो हरेक के लिये अलग अलग होता है और ये आपके अंदर भी कैसे व्यवहार करता है, ये भी अलग अलग होता है।

ये सब H2O (पानी) ही होता है पर इसका एक अणु दूसरे अणु की तरह नहीं होता। आपको पानी पीने से पहले, उसके प्रति, एक पल, आदर और कृतज्ञता व्यक्त करने चाहिये क्योंकि इससे आप अपना जीवन बना रहे हैं। ये एक तथ्य है कि आप इसके बिना जीवित नहीं रह सकते। जो आपके टिके रहने का आधार है, उसके लिये आप सम्मान व्यक्त करते हैं, उसके आगे झुकते हैं। अगर आप पानी और दूसरे तत्वों को भी ठीक से संभालें तो संक्रमित रोगों को छोड़ कर आपको डॉक्टर के पास जाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।

#2.2 अपने हाथों में भर कर पानी पियें

पानी को पीने का सबसे अच्छा तरीका अपने ही हाथों से पीने का है। अगर ये संभव न हो और कोई आपको धातु के गिलास में पानी दे तो आप उसे अपने दोनों हाथों से पकड़ कर पानी पियें। क्या आपने ऐसा देखा है? भारत में, गाँवों के रहने वाले अभी भी ऐसा करते हैं। ये बहुत महत्वपूर्ण है कि पीने के पहले आप पानी को स्पर्श करें, इसमें थोड़ा समय जाने दें और फिर पियें। तब ये अलग, अच्छे ढंग से व्यवहार करेगा।

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#2.3 सही तापमान वाला पानी पियें

आजकल बहुत से लोग ऐसा पानी पीते हैं जिसमें गिलास का तीन चौथाई भाग बर्फ के टुकड़ों से भरा हुआ होता है। यौगिक संस्कृति में, अगर आप अंदरूनी बदलाव (भीतरी रूपांतरण) के मार्ग पर हैं और अपने तंत्र को दूसरे आयाम में बदलना चाहते हैं, तो आपको केवल वही पानी पीना चहिये जिसका तापमान आपके शरीर के तापमान से बस 4 डिग्री के अंतर पर हो, यानि अगर आपके शरीर का तापमान 37 डिग्री सेंटीग्रेड है, तो आपको 33 से 41 डिग्री से. का पानी ही पीना चाहिये। अगर आप विद्यार्थी हैं जिसकी रुचि सिर्फ जानकारी में है, और अंदरूनी बदलाव में नहीं तो आपको 8 डिग्री के अंतर का पानी पीना चाहिये।

गृहस्थियों को, जिन्हें न जानकारी से मतलब है न आंतरिक बदलाव से पर जो बस अपने पति, अपनी पत्नी, अपने बच्चों को संभालने में लगे हैं, तो वे 12 डिग्री के अंतर का पानी पी सकते हैं। इससे ज्यादा अंतर का पानी किसी के लिये भी अच्छा नहीं होता। पानी कोई वस्तु नहीं है, ये जीवन बनाने वाला पदार्थ है। ये बात आजकल लोगों को ज्यादा पसंद नहीं आयेगी पर आप जो कुछ भी खाते पीते हैं, उसका तापमान आपके शरीर के तापमान के आसपास ही होना चाहिये, बहुत ज्यादा अंतर वाला नहीं वरना आपके शरीर के अंदर पानी जिस तरह से काम करता है, उसको ये नुकसान करेगा। मैं जानता हूँ कि आइस्क्रीम से प्यार करने वाले मुझ पर नाराज़ होंगे पर मैं आपको सही बात ही बता रहा हूं।

#2.4 पानी कितना पीना चाहिये?

अगर आपको प्यास नहीं लगी है और आप पानी नहीं पीते तो ठीक है, आप अच्छी तरह से रहेंगे। आजकल बहुत से लोग अपने पास हमेशा पानी की बोतल रखते हैं और लगातार घूँट भरते रहते हैं क्योंकि बाज़ार में मार्केटिंग मशीनें चारों ओर फैली हुई हैं और आपको ऐसा करने को कहती रहती हैं। जब आप जरूरत से ज्यादा पानी पीते हैं, खास तौर पर छोटे छोटे घूँटों में, तो शरीर इस सारे पानी को ले लेता है। अगर आप एक ही बार में ज्यादा पानी पियें तो शरीर तय करेगा कि कितना अंदर रखना है और कितना बाहर फेंक देना है।

अगर आप सारा दिन थोड़ी थोड़ी देर में घूँट भरते रहते हैं तो शरीर धोखा खा जाता है और जरूरत से ज्यादा पानी ले लेता है। इससे सोडियम का स्तर कम हो जाता है, जो पहले से ही बस जरूरी स्तर पर ही होता है। सोडियम के कम होने से मस्तिष्क पर सूजन आ जाती है। बाकी शरीर पर भी इसका असर तो होता ही है पर दिखता नहीं। मस्तिष्क पर सूजन का मतलब ये नहीं है कि दिमाग का विकास हो रहा है। ये सूजन एक तरह की बिमारी है। पर्याप्त सोडियम न होने से ज्यादा पानी मस्तिष्क में जाता है जिससे जरूरी सोडियम पहुँचा कर उसे संतुलित कर सके। मस्तिष्क में ज्यादा पानी जाने का मतलब है कि आप नशे जैसी हालत में होंगे और मनोवैज्ञानिक असंतुलन बनेगा।

जब आपको प्यास लगती है, तब पानी ज़रूर पीना चाहिये। आपको जितने पानी की ज़रूरत महसूस हो रही है, उससे अगर आप 10% ज्यादा पीते हैं तो ये सुनिश्चित हो जायेगा कि आप अपनी ज़रूरत का पानी पी रहे हैं। अगर आप हर वक्त पानी की बोतल ले कर घूमने वालों में नहीं हैं, तो थोड़ा ज्यादा पानी पी लेना आपके लिये ठीक होगा। फिर, अगर पानी की ज़रूरत होने पर आपको थोड़ा इंतज़ार करना पड़े तो कोई मुश्किल नहीं होगी। साथ ही, ध्यान रखें कि प्यासे होने पर भी पानी न पीना आपके तंत्र को नुकसान पहुँचाता है। तो ये बहुत ज़रूरी है कि जब भी प्यास लगे तो आप ज़रूरत के हिसाब से पानी ज़रूर पियें। जब शरीर आपको प्यास का इशारा करे तो 20 या ज्यादा से ज्यादा 30 मिनिट के अंदर पानी ज़रूर पियें। शरीर ये तय करेगा कि कितना अंदर लेना है और कितना नहीं!

#2.5 पानी को खायें 

क्यों अच्छा है फलाहार : आप के और धरती के लिये भी ?

पानी सिर्फ द्रव रूप में पीने की ही बात नहीं हो रही। हमें ऐसे पदार्थ ज़रूर खाने चाहियें जिनमें पानी की मात्रा ज्यादा हो। फलों में लगभग 90% पानी होता है और सब्जियों में 70% से ज्यादा। आपके भोजन में पानी कम से कम 70% होना चाहिये। जब आप बहुत कम पानी वाला खाना खाते हैं तो ये आपके पेट में कंक्रीट की तरह बैठ जाता है। सूखा खाना खा कर उस पर पानी पी लेने से बात नहीं बनती। आप जो कुछ भी खाते हैं, उसमें पानी की मात्रा लगभग उतनी ही होनी चाहिये जितनी आपके शरीर में है। इसीलिये सब्जियाँ और फल आपके खाने में अच्छी मात्रा में होने चाहियें। खाने के लिये फल सबसे अच्छी चीज़ है क्योंकि इसमें 90% पानी होता है।

#3. तांबे के बर्तन में से पानी पीने के फायदे

मैं लोगों को शुद्ध तांबे के बर्तन इस्तेमाल करने के लिये प्रोत्साहित कर रहा हूँ क्योंकि तांबा सबसे अच्छा सुचालक (कंडक्टिंग) धातु है। ये पानी को ऊर्जात्मक बनाता है। अगर आप पानी की रासायनिक संरचना को जाँचें तो ये बदलती नहीं है - सिर्फ आण्विक संरचना बदलती है। अगर आप पानी को तांबे के बर्तन में रात भर या कम से कम 6 घंटे तक रखें तो आप देखेंगे कि पानी बहुत अलग महसूस होगा।

लोगों को जो बहुत सी छोटी छोटी बिमारियाँ हो जाती हैं वो सही जगह पर तांबे के बर्तन में रखे पानी को पीने से ठीक हो जाती हैं। सही जगह का मतलब है खुली हवादार जगह और उससे भी ज्यादा ये कि वहाँ पर विचार और भावनायें जागरूक रूप से ये हों कि अभी आप जो कुछ भी हैं उसमें पानी का योगदान बहुत बड़ा है। पानी सिर्फ कोई वस्तु नहीं है, ये जीवन बनाने वाला पदार्थ है। मैंने बहुत से लोगों को सिर्फ पीने का पानी बदलने से, बड़ी पुरानी बिमारियों से छुटकारा पाते देखा है।

संपादकीय टिप्पणी

  • जीवरसम  

जीवरसम एक अच्छी तरह कूटी हुई धातु का अंडाकार, छोटा बर्तन है जिसकी बाहरी सतह पर चारों ओर तांबे का एक साँप बना हुआ है जो कुंडली मारे हुए है। इस बर्तन में उर्जात्मक विभूति भर कर रखी गयी है जिसे ईशा योग सेंटर के ध्यान लिंग मंदिर में प्राण प्रतिष्ठित किया गया है। जब इस बर्तन को पीने के पानी में डुबो कर रखा जाता है तो ये उस पानी को उर्जात्मक बना देता है जिससे बहुत सारे स्वास्थ्य संबंधी फायदे मिलते हैं। ईशा लाइफ पर जीव रसम ऑनलाइन उपलब्ध है।

  • पानी भरने के लिये तांबे के बर्तन

सारे परिवार के लिये पानी भर कर रखने के लिये 5, 8 और 10 लीटर के आकारों में उपलब्ध ये बर्तन ईशा लाइफ से ऑनलाइन मंगवाये जा सकते हैं।

  • तांबे की पानी की बोतलें 

अपने आपको हमेशा पानी से तरोताज़ा रखने के लिये हाथ से बनीं ये सुंदर बोतलें कई आकर्षक डिज़ाइनों में उपलब्ध हैं। ईशा लाइफ से ऑनलाइन मंगवायें।