सद्‌गुरुअयावास्का या येज कुछ पौधों के मिश्रण से बना एक मादक पेय है जिसका अमेजन के मूल निवासियों द्वारा उसके औषधीय गुणों और दिमागी उत्तेजना के लिए प्रयोग किया जाता था। हाल के वर्षों में अयावास्का की लोकप्रियता आसमान छूने लगी है और दुनिया भर के पर्यटक दिमाग को हिला देने वाले अनुभव की उम्मीद में इसकी ओर आकर्षित होते हैं। लेकिन क्या यह मिश्रण वास्तव में आध्यात्मिक जागरण लाता है? सद्‌गुरु ऐसे पदार्थों के सेवन की संभावनाओं और खतरों के बारे में बता रहे हैं।

कुछ पौधे जिनसे शरीर की सफाई होती है

प्रश्न- सद्‌गुरु, दक्षिणी अ‍मेरिका में ओझा एक खास तरह की क्रिया करते हैं जिसे अयावास्का नाम से जाना जाता है। क्या आप इसके बारे में कुछ बता सकते हैं?

सद्‌गुरु: आप उल्टी करना चाहते हैं?

प्रश्नकर्ता- अगर संभव हो, तो अपनी सारी याद्दाश्त को बाहर निकालना चाहूंगा।

सद्‌गुरु: अच्छा, आप अपनी सारी याददाश्त खोना चाहते हैं? आप एल्जाइमर्स के शिकार बनना चाहते हैं?

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आपको समझना चाहिए कि आदिवासी समुदाय जो भी काम करते थे, वे कई अलग-अलग इरादों से किए जाते थे। ऐसा सिर्फ दक्षिणी अमेरिका में नहीं है। ऐसी चीजें भारत में भी हैं, बिल्कुल वही पौधे इस्तेमाल नहीं करते - इनकी प्रकृति अलग होती है, लेकिन उससे शरीर की पूरी सफाई हो जाती है। जंगल में रहने वाले लोगों के लिए यह बहुत जरूरी था क्योंकि अगर आप जंगल में जाकर रहते हैं तो आपके शरीर में तरह-तरह के और काफी संख्या में परजीवी पलने लगते हैं। हाल के रिसर्च में पाया गया कि बिल्ली के मलमूत्र के आस-पास रहने वाले लोगों के दिमाग में एक तरह का परजीवी पाया जाता है। सोचिए कि अगर आप बाघ के मल-मूत्र के पास रहें तो आपका क्या होगा। फिर तो घरेलू बिल्ली के मुकाबले ये बहुत अधिक हो सकता है।

परजीवी शुद्धीकरण

जब आप प्रकृति के बीच प्राकृतिक तत्वों के साथ रहते हैं, तो आपके शरीर में परजीवियों की संख्या बहुत बढ़ जाती है। कुछ परजीवी जीवन के लिए खतरनाक हो सकते हैं या शरीर को नुकसान पहुंचा सकते हैं लेकिन अधिकांश ऐसा नहीं करते।

ऐसे सिस्टम भी हैं, जिनको अपनाने पर, अगर आप पानी पिएं तो दो घंटे बाद सिर्फ शुद्ध पानी  शरीर से बाहर आएगा। आपकी आहार नली पूरी तरह साफ हो जाती है। 
वे आपके शरीर में पलते हैं और थोड़ा फायदा भी पहुंचाते हैं, इसलिए शरीर उनसे ज्यादा नहीं लड़ता। आपकी जानकारी के बिना यह प्रक्रिया चलती रहती है। मगर समय के साथ जब उनकी संख्या बढ़ जाती है, तो उनकी सफाई जरूरी होती है। इसलिए इन सिस्टम्स को खास तौर पर एक संपूर्ण सफाई के लिए बनाया गया था। भारत में हमारे पास पूर्ण शुद्धीकरण के बहुत से तरीके थे, हमेशा मतिभ्रम पैदा करने वाले पदार्थों से ही नहीं, ऐसी चीजों के साथ मिश्रण करके भी चीजें तैयार की जाती थीं। भारत में हम चीज़ों की उतली करने में यकीन नहीं रखते, हम उसे नीचे की ओर धकेलना चाहते हैं।

ऐसे सिस्टम भी हैं, जिनको अपनाने पर, अगर आप पानी पिएं तो दो घंटे बाद सिर्फ शुद्ध पानी  शरीर से बाहर आएगा। आपकी आहार नली पूरी तरह साफ हो जाती है। जब हम बड़े हो रहे थे, उस समय हमारे घरों में नियमित तौर पर ये प्रणालियां अपनाई जाती थीं। महीने में एक बार हर किसी को पूरे शुद्धीकरण से गुजरना पड़ता था। माना जाता था कि उसके बिना बेहतर सेहत नहीं हो सकती। यह शरीर में पैदा होने वाले किसी भी तरह के परजीवी से छुटकारा पाने का एक तरीका था। सभी परजीवी कीड़े, टेपवॉर्म या राउन्डवॉर्म के रूप में नहीं होते। ऐसे सूक्ष्म परजीवी होते हैं जिन्हें आप देख नहीं सकते मगर वे आपके शरीर में मौजूद होते हैं। अधिकांश परजीवी आपके पाचन तंत्र में मौजूद होते हैं।

आदिवासियों के लिए ये जरुरी है

रक्त और कोशिकाओं में भी परजीवी होते हैं लेकिन उन्हें खत्म करने का एक तरीका है। ये सभी आपस में जुड़े होते हैं। परजीवियों को खुद के इकोसिस्टम की जरूरत होती है।

मैं आपको समझाना चाहता हूं कि अपनी बुद्धि की उथल-पुथल में थोड़ी जगह खोजना सिर्फ एक अस्थायी हल है, चाहे आप यह कोशिश जटिल उच्चारण वाले दक्षिण अमेरिकी पदार्थ के साथ करें या एलएसडी या ड्रग या और किसी चीज के साथ। 
अगर आप अपने पाचन तंत्र से परजीवियों की मौजूदगी को पूरी तरह खत्म कर दें, तो दूसरे परजीवी आम तौर पर जीवित नहीं रह सकते। कुछ को छोड़कर बाकी नहीं बच सकते क्योंकि उन्हें अपनी तरह के एक इकोसिस्टम की जरूरत होती है। उस इकोसिस्टम को बीच-बीच में नष्ट करना आदिवासियों के जीवन का एक हिस्सा था वरना लोग धीरे-धीरे बीमार या सुस्त हो जाते थे और कम उम्र में ही मर जाते थे। ये सारी चीजें होती थीं। इसके अलावा इंसान के भीतर जमा होते भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक बोझ को साफ करने की भी प्रक्रिया होती है। लेकिन जब आप ऐसी चीजों के लिए बाहरी पदार्थों का इस्तेमाल करते हैं, तो किसी न किसी रूप में आपको उनकी लत लग जाएगी। आप उस प्रक्रिया तक सीमित हो जाएंगे।

अगर किसी को लगता है कि अपने पाचन तंत्र का शुद्धीकरण करने से उन्हें चेतनता मिल जाएगी, तो उन्हें अलग तरह के उपचार की जरूरत है। यह निश्चित रूप से शरीर की सफाई करता है और कुछ चीजों को संभव बनाता है। लोगों ने कुछ खास आयामों तक पहुंचने के लिए मतिभ्रम के तरीकों का इस्तेमाल किया, जो काफी हद तक तंत्र-मंत्र से संबंधित हैं। यही वजह है कि उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका में तंत्र-मंत्र खूब पनपा। उन्होंने कुछ खास संभावनाओं के लिए खुद को उपलब्ध बनाने के लिए दूसरी तरह के साधनों का इस्तेमाल किया।

मैं आपको समझाना चाहता हूं कि अपनी बुद्धि की उथल-पुथल में थोड़ी जगह खोजना सिर्फ एक अस्थायी हल है, चाहे आप यह कोशिश जटिल उच्चारण वाले दक्षिण अमेरिकी पदार्थ के साथ करें या एलएसडी या ड्रग या और किसी चीज के साथ। ज्यादातर समय यह आपको पूरी तरह अशक्त बना सकता है, जिसमें एक बार आप अनुभव के चरम पर होंगे और उसके बाद धड़ाम से जमीन पर गिरकर टूट जाएंगे। यह ऐसा ही है, मानो आप एक करोड़ डॉलर सालाना कमा रहे हों और उतना ही खर्च करने की आपकी आदत बन गई हो मगर अचानक से अगले साल आपको सिर्फ 10 लाख डॉलर मिलें। फिर आप टूट जाएंगे क्योंकि आपके पास दस लाख डॉलर हैं। जबकि ढेर सारे लोगों के लिए दस लाख डॉलर एक बड़ा सपना हो सकता है। अगर आप उसे कमाए बिना ऊंचाई पर चले गए, अगर अपने दिमाग को रसायनों से भरते हुए आप किसी तरह अनुभव के चरम तक पहुंच गए और फिर अगर नीचे आए तो आप पहले से कहीं ज्यादा दयनीय स्थिति में होंगे।

एक सुपर भाव स्पंदन

भारत में लोग शिकायत कर रहे थे, ‘सद्गुरु, आप सिर्फ अमेरिका में भाव स्पंदन कार्यक्रम करते हैं। आप भारत में यह नहीं कर रहे। आपको भारत में कम से कम एक कार्यक्रम करना चाहिए।’

आपको पता नहीं चलता कि कोई चीज कैसे करनी है, आप बिखरे हुए होंगे। किसी को आपके मुंह में पानी डालना होगा। किसी को आपको शौचालय ले जाना पड़ेगा वरना आप कहीं भी शौच कर देंगे। 
मैंने कहा, ‘जिन लोगों ने कम से कम तीन बार भाव स्पंदन कर लिया है, उन लोगों को मैं एक सुपर भाव स्पंदन करवाउंगा।’ बस इतना है कि हर प्रति‍भागी के लिए हमें तीन स्वयंसेवकों की जरूरत पड़ेगी, क्योंकि आपको हर किसी के लिए एक बाल्टी ले जाना होगा। वे उल्टी करेंगे। आशा है कि वे दूसरी चीज नहीं करेंगे। वे उलट देंगे। आपको उन्हें लंच के लिए ले जाना पड़ेगा। उन्हें समझ नहीं आएगा कि भोजन कैसे करें, आपको उन्हें खिलाना होगा। आपके दक्षिणी अमेरिकी उपचार में यही हो रहा है। आपको पता नहीं चलता कि कोई चीज कैसे करनी है, आप बिखरे हुए होंगे। किसी को आपके मुंह में पानी डालना होगा। किसी को आपको शौचालय ले जाना पड़ेगा वरना आप कहीं भी शौच कर देंगे। हम बिना किसी जड़ी-बूटी या रसायन के इस तरह एक सुपर भाव स्पंदन कर सकते हैं। हम आपके उस आयाम को बेहतर कर सकते हैं, जो हर स्तर पर एक जबर्दस्त शुद्धीकरण होगा। मगर इसे चेतनता समझने की गलती न करें। हां, यह आपको एक तरह से राहत देगा मगर आपको कहीं नहीं ले जाएगा।