गर्भावस्था में मिलने वाली देखभाल एक होने वाली मां के जीवन लिए बहुत अहमियत रखती है। सद्‌गुरु बताते हैं कि भारतीय संस्कृति में कितनी बुद्धिमानी और सावधानी से एक गर्भवती महिला को रखा जाता था।


सद्‌गुरुसद्‌गुरुभारत में गर्भवती महिला के आस-पास के माहौल का बहुत ज्यादा ध्यान रखा जाता था। गर्भावस्था के दौरान उसे किन लोगों से मिलना चाहिए और किन लोगों से नहीं, उसे क्या पढ़ना चाहिए और क्या नहीं, उसे कैसी खुशबू मिलनी चाहिए - इन सब बातों का ध्यान रखते हुए उसका सारा का सारा वातावरण नियंत्रित किया जाता था। लेकिन अब यह सब खत्म हो गया है। अब गर्भवती महिलाएं आॅफिस जाती हैं, सिनेमा देखने जाती हैं, शराब पीती हैं - अब नजारा बिलकुल बदल गया है।

वरना पहले तो गर्भधारण करने के बाद महिलाओं का ध्यान किसी बेशकीमती रत्न की तरह रखा जाता था, क्योंकि गर्भ में पल रहे बच्चे पर आप किस तरह की छाप डाल रही हैं, इससे बहुत फर्क पड़ता है। जैसी धारणाएं मां अपने अंदर रखेंगी, आने वाले बच्चे में भी वही चीजें आएंगी। इतना ही नहीं, आने वाला बच्चा आपसे भी बेहतर हो, इसके लिए भ्रूण में प्राण आने से पहले का आपका रहन-सहन भी बहुत मायने रखता है, क्योंकि तभी आप एक बेहतर जीवन को अपनी तरफ आकर्षित कर पाएंगी।
इसके लिए गर्भ धारण पर भी ध्यान दिया जाता था। शादी होने के बाद किसी भी तरह के शारीरिक मिलन से पहले, विवाहित जोड़ा मंदिर जाकर कुछ समय बिताता था। इसके बाद ही उनका शारीरिक मिलन और गर्भधारण होता था। इसकी वजह थी कि वे बिलकुल अपने जैसी संतान नहीं चाहते थे, बल्कि अपने से थोड़े बेहतर जीवन को दुनिया में लाना चाहते थे। आने वाली जिंदगी को सब कुछ बेहतर देने के लिए गर्भधारण से लेकर बाकी सभी दूसरे पहलुओं का भी पहले दिन से ही खास ख्याल रखा जाता था।

गर्भावस्था के दौरान आध्यात्म और योग

हालांकि गर्भवती महिलाओं को योग के सभी तरह के अभ्यास करने की सलाह नहीं दी जाती, फिर भी योगाभ्यास उनके लिए बहुत अहम है। योग उनकी गर्भावस्था, बच्चे को जन्म देेने की प्रक्रिया और मातृत्व, इन सबके अनुभव को बहुत सुंदर बना सकता है।
ईशा के प्रमुख कार्यक्रम, ’इनर इंजीनरिंग’ में शरीर, दिमाग, भावनाओं और उर्जा में तालमेल बैठाने वाली प्राचीन क्रिया, ’शांभवी महामुद्रा’ सिखाई जाती है। गर्भवती महिलाओं के लिए यह इसलिए फायदेमंद है, क्योंकि यह स्फूर्ति बढ़ाने के साथ ही मनोदशा और भावनाओं को भी संतुलित करती है।

गर्भावस्था में महिलाओं को मिली शांभवी से मदद

अपनी गर्भावस्था के दौरान मैंने सद्गुरु के साथ ’इनर इंजीनरिंग प्रोग्राम’ में भाग लिया था। ईशा में सभी लोग बहुत सकारात्मक, खुशमिजाज और दयालु हैं। उनके जोश को देखकर मैं इतनी प्रभावित हुई कि मैं भी उन्हीं की तरह हमेशा ऐसे ही उत्साह से भरी रहना चाहती थी। वहां रहते हुए मुझे हमेशा यही लगा कि मैं सुरक्षित हाथों में हूं और ईशा-आॅस्ट्रेलिया के लोग अपना काम बखूबी जानते हैं।

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हालांकि गर्भवती महिलाओं को योग के सभी तरह के अभ्यास करने की सलाह नहीं दी जाती, फिर भी योगाभ्यास उनके लिए बहुत अहम है।  
मेरे शरीर में हर दिन होने वाले बदलावों के साथ क्रिया-अभ्यास करने में उन्होंने मेरी पूरी मदद की और मार्गदर्शन भी किया। मैंने यह क्रिया प्रसव से एक रात पहले तक की थी। इसे करने का असर मुझ पर और मेरे प्यारे बच्चे पर साफ दिखता है।
इस क्रिया को हर दिन करने से मेरे शरीर में उर्जा बढ़ने लगी और मैं अपने अजन्मे बच्चे के साथ इतनी गहराई से जुड़ गई कि मुझे लगता था कि उसके जन्म के पहले से ही हम एक-दूसरे को बहुत अच्छी तरह जान चुके हैं। मैं उसके साथ इतना ज्यादा जुड़ाव महसूस कर रही थी, जैसे कि हमारे एक-एक कण एक दूसरे में मिल गए हैं। ऐसा मैं अभी भी महसूस करती हूं।
सेहत संबंधी कुछ पुरानी समस्याओं की वजह से मेरी गर्भावस्था को ’काफी खतरे वाली’ श्रेणी में रखा गया था। लेकिन ईशा योग से यह हवा के एक नरम स्पर्श जैसी बन गई। मेरी गर्भावस्था बिना किसी मुश्किल के कितनी आसानी से आखिर तक चली है, इसे देखकर मेरे फिजिशियन, प्रसूति और दूसरे विशेषज्ञ भी हैरान थे। मेरी बेटी चार्लोट इस दुनिया में बहुत शांति और सरलता से आई। अपने जन्म के साथ से ही वह शांत, संतुष्ट और सजग रहने वाली बच्ची है। पहले दिन से ही वह पूरी रात सोती है और प्रकृति से भी उसे खासा लगाव है।
मैं भी काफी बदल चुकी हूं। अब मैं पूरा दिन भाग-दौड़ करने का दबाव महसूस नहीं करती और छोटी-मोटी बातों पर ध्यान नहीं देती। मैं हर पल का आनन्द लेती हूं जैसे कि न तो कोई भूत है और न ही भविष्य। पहले मुझे लगता था कि ऐसा सोचने से मैं कुछ भी नहीं हासिल कर पाऊंगी, लेकिन सच्चाई यह है कि अब मुझे पहले से भी ज्यादा सफलता मिल रही है।

-जाॅना नेल, आॅस्ट्रेलिया

मेरी गर्भावस्था का अभी सातवां महीना चल रहा है और मैं अभी तक हर सुबह इस क्रिया का अभ्यास करती हूं। इससे मैं खुद को बेहद ऊर्जावान महसूस करती हूं और रात को मुझे बहुत अच्छी और गहरी नींद आती है, जो पहले नहीं होता था। यह मेरे होने वाले बच्चे के लिए अच्छा है, क्योंकि मैं रात को आराम से सो सकती हूं।
हर सुबह योग के बाद मैं खुद को बहुत हल्का महसूस करती हूं। यह अहसास बहुत ही अच्छा होता है।

पहले तो गर्भधारण करने के बाद महिलाओं का ध्यान किसी बेशकीमती रत्न की तरह रखा जाता था, क्योंकि गर्भ में पल रहे बच्चे पर आप किस तरह की छाप डाल रही हैं, इससे बहुत फर्क पड़ता है।
अब खिड़की से बाहर चहचहाते पक्षियों पर मेरा ध्यान जाने लगा है और मैंने जीवन को सराहना शुरू कर दिया है। मेरे पति ने मुझे ’इनर इंजीनियरिंग प्रोग्राम में पिछले साल भेजा था। क्योंकि तब मैं अपने काम और व्यापार की वजह से बहुत तनाव में थी और इसका दबाव झेल नहीं पा रही थी।
लेकिन अब मैं बहुत शांत-चित्त रहती हूं और हर पल का आनन्द लेती हूं। मेरा गुस्सा भी अब कम होने लगा है, जो मेरे पति और मेरी गर्भावस्था, दोनों के लिए अच्छा है। मुझमें आए बदलाव देखकर मेरे पति भी इस मई में मलेशिया में ’इनर इंजीनरिंग’ के लिए जाने वाले हैं। अब हम इस बात को समझ चुके हैं कि हमारे आस-पास के लोगों को प्यार करने के लिए जरूरी है कि हम पहले खुद से प्यार करें और अपना ध्यान रखें।

-उडेशा, मलेशिया

गर्भावस्था को आसान बनाने के लिए ताई-माई कार्यक्रम

गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के बारे में जागरूक करने के लिए और उन्हें यह सिखाने के लिए कि इस अवस्था के आनंद को महसूस करने की खातिर अपने शरीर, मन और भावनाओं को कैसे आरामदायक बनाएं, ‘ईशा-ताईमां’ कार्यक्रम खास तौर पर तैयार किया गया है। इस कार्यक्रम में बताया जाता है कैसे एक सेहतमंद बच्चे को जन्म दिया जाए और बच्चे का ध्यान रखने का सबसे अच्छे तरीका क्या है।
इस कार्यक्रम के फायदेः

  • एक खुशहाल और स्वस्थ गर्भावस्था। नियमित योग अभ्यास से मानसिक तनाव और चिंताएं कम होती हैं।
  • सिखाए गए साधनों से भ्रूण के मानसिक और शारीरिक विकास में बढ़ोत्तरी हो सकती है।
  • आसान प्रसव। योगिक अभ्यास से पेट और पेड़ू के आस-पास की मांसपेशियों मजबूत होती हैं जिससे बिना किसी दिक्कत के प्रसव आसानी से होता है।
  • बच्चे के जन्म के बाद मां, गर्भावस्था से पहली वाली शारीरिक क्षमता जल्दी वापस पा सकती है।

आप बच्चे को सिर्फ एक शरीर ही नहीं दे रही हैं, बल्कि कई रूपों में आपके व्यक्तित्व की छाप भी बच्चे पर पड़ती है। इसलिए यह बात बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है कि आप गर्भावस्था में खुद को किस तरह से रखती हैं। - सद्‌गुरु
मां के रूप में आपका काम बस संतान को जन्म देना ही नहीं है, बल्कि अगली पूरी पीढ़ी आप किस तरह की बनाती हैं, यह भी आपके ही हाथ में है। - सद्‌गुरु
ज्यादा जानकारी के लिए देखें: ईशा योग वेबसाईट

एक सरल क्रिया सीखें isha kriya instructions