सद्‌गुरुपिछले साल 9000 से ज्यादा विद्यार्थियों ने आत्महत्या कर ली। स्कूल का टर्म शुरू होने के साथ, विद्यार्थी, स्कूल, माता-पिता और शिक्षक फिर से शिक्षा की चक्की में पिसने के लिए तैयार हो रहे हैं। ऐसे में सद्‌गुरु का महत्वपूर्ण संदेश एक नई दिशा दे रहा है:

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए एक इंटरव्यू के दौरान सद्‌गुरु ने यह संदेश दिया।

सद्‌गुरु:

प्यारे बच्चों...

आपसे अपनी बात की शुरुआत एक सच्चाई बता कर करना चाहूंगा। आप लोग अपनी समस्या को कुछ ज्यादा ही रूमानी रूप दे रहे हैं। आपको दरअसल अंदाजा ही नहीं है कि आपके माता-पिता कितने संघर्षों से गुजर रहे हैं। आपका पालन-पोषण करने, आपके जीवन को बढ़ाने, आपके लिए सबकुछ संभव बनाने के लिए उन्हें जो सर्कस करना पड़ता है, आप उसकी कल्पना भी नहीं कर सकते। इन सब के बावजूद वे आपके साथ अच्छा व्यवहार करने की कोशिश कर रहे हैं।

राई का पहाड़ बनाने की कोशिश मत कीजिए – आप यह पढ़ें या वह, क्या फर्क पड़ता है? मगर अपने माता-पिता को यह समझाना आपके हाथ में है कि ‘भले ही मैं इंजीनियर न बनूं, मगर आप चिंता मत कीजिए, मैं अपने जीवन में कुछ बेहतर ही करूंगा।’ अगर आप उन्हें इस बारे में भरोसा दिला पाएं, तो भले ही तत्काल सब कुछ ठीक न हो, मगर आखिरकार वे आपकी बात समझ जाएंगे। अभी आपमें से बहुत से लोग उन्हें यह भरोसा नहीं दिला पाते।

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हर शिक्षक को इस पर ध्यान देना चाहिए कि मैं किस तरह एक सरल तरीके से, किस तरह सही वक्त पर कुछ करते या कुछ कहते हुए इन बच्चों को प्रेरित कर सकता हूं।
वे इसलिए घबराते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि अगर आप डॉक्टर, इंजीनियर या ऐसा ही कुछ नहीं बन पाए तो आप सड़क पर आ जाएंगे। अगर आप वह नहीं करना चाहते, जो आपके माता-पिता को आपके लिए बेहतर लगता है, तो आप अपने पसंद के किसी दूसरे क्षेत्र में काबिलियत दिखाते हुए उनसे कहिए, ‘चिंता मत कीजिए।’

मैं चाहता हूं कि आप सब एक बात याद रखें - जिन लोगों को आप शिव, राम, कृष्ण या ईसामसीह के रूप में पूजते हैं, उनमें से किसी ने आईआईटी या ऐसी कोई दूसरी परीक्षा पास नहीं की। आप उनकी पूजा इसलिए करते हैं क्योंकि उन्होंने अपने जीवन को अच्छी तरह जिया। आपको बस यही करना है – अच्छी तरह जीना है। इंसानी तंत्र दुनिया की सबसे जटिल मशीन है। समस्या यह है कि आपने इस सुपर कंप्यूटर का यूजर मैनुअल पढ़ा ही नहीं है। वह यूजर मैनुअल ही योग है। यह आपको अंदरूनी तौर पर संतुलित होने में मदद करेगा, आपको स्वाभाविक रूप से आनंदित बनाएगा और अपनी पूरी क्षमता में कोशिश करने में आपकी मदद करेगा। अपनी पूरी क्षमता में कोशिश करने पर आपको कामयाबी जरूर मिलेगी। आप किसी और से बेहतर भले न हों, मगर आप जितना बेहतरीन कर सकते हैं, वह करेंगे। फिर जीवन आपकी ओर जो कुछ भी उछालेगा, उसे आप पूरी गरिमा के साथ संभाल पाएंगे।

प्रिय शिक्षकों…

यह सच है कि शिक्षा प्रणाली आपको वह करने की आजादी नहीं देती, जिसे आप सबसे बेहतर मानते हैं। शिक्षा प्रणाली और माता-पिता की उम्मीदें कई बार इतनी प्रबल होती हैं कि अपने विद्यार्थियों से अलग से कुछ कहने का आपके पास वक्‍त नहीं होता। मगर इतनी चुनौतियों के बावजूद मैं कहना चाहूगां कि आप एक बच्‍चे को उसकी पूर्ण क्षमता में विकसित होने में योगदान दे सकते हैं। आपको हर दिन बस तीन मिनट का समय निकालना है, यह देखने के लिए कि – वह कौन सी चीज है, जिसकी आपके छात्रों को वाकई जरूरत है।

अभी जो हमारी शिक्षा-प्रणाली है, वह बच्‍चों को सिर्फ सूचनाएं व जानकारियां देने के बारे में है। आप इन जानकारियों को कई तरीकों से दे सकते हैं, लेकिन अगर आप अपने पास आने वाले सभी छात्रों में प्रेरणा की एक नन्हीं सी चिंगारी पैदा कर पाएं, तो वह पूरी जिंदगी उनके साथ रहेगी। सूचना उपयोगी हो सकती है, वह परीक्षा पास करने या नौकरी पाने में उनकी मदद कर सकती है, लेकिन अगर आप उनके अंदर प्रेरणा की चिंगारी पैदा करेंगे, तो वे पूरी जिंदगी आपकी कद्र करेंगे।

हर शिक्षक को इस पर ध्यान देना चाहिए कि मैं किस तरह एक सरल तरीके से,सही वक्त पर कुछ करके या दो शब्‍द कहके इन बच्चों को प्रेरित कर सकता हूं। चाहे शिक्षा प्रणाली कैसी भी हो, आप इतना तो कर ही सकते हैं। अब योग किस तरह से इसमें मदद कर सकता है? अगर आप इंसान की खुशहाली चाहते हैं, तो भीतर की ओर मुड़ना ही हर समस्या का हल है। अगर आप कोई कक्षा लेने से पहले दिन में सिर्फ दो मिनट के लिए हर किसी को आंखें बंद करने को कहें, तो इससे एक बदलाव आएगा। और आप उस बदलाव के प्रणेता व सूत्रधार बन सकते हैं।

यही योग है!

प्रिय अभिभावकों...

आपके ज्यादातर निर्णय भय से प्रेरित होते हैं। आप डरते हैं कि यदि आपके बच्चों को सबसे अच्छी शिक्षा न मिली, तो वे सड़क पर आ जाएंगे। मैं खुद एक पिता होने के नाते जानता हूं कि आपकी चिंता जायज है। आखिर, हमारे समाज में कोई ऐसी सुरक्षा-व्यवस्था नहीं है जो यह सुनिश्चित करे कि किसी को जीवन में पिसना नहीं पड़ेगा। मगर यह समझना जरूरी है कि 20 साल पहले जो हालात थे, उसके मुकाबले अभी स्थितियां बेहतर हैं। हमारी आर्थिक विकास की दर 8 से 10 फीसदी है। इसका मतलब है कि रोजी-रोटी कमाने की आपकी चिंताएं पहले के मुकाबले कम होंगी। ऐसे में आपको इस बात पर ध्यान देने की जरूरत है कि एक बेहतर जीवन का निर्माण कैसे करें। कोई भी इंसान अपने काम-काज से अपने जीवन का निर्माण तब तक नहीं कर सकता, जब तक कि वह उसे पूरे दिलोजान से न करे। इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि आपका बच्चा वह काम चुने, जो वह करना चाहता है, चाहे आर्थिक दृष्टि से वह काम कितना भी निराशाजनक क्यों न लग रहा हो।

आप कहते हैं कि आप अपने बच्चों के दोस्त हैं। लेकिन अगर आप दोस्ती के बहाने उनसे अपनी इच्छा पूरी करवाना चाहते हैं, तो आप एक बुरे दोस्त हैं। अगर आप सच्चे दोस्त होंगे, तो आप देखेंगे कि बच्चे के जीवन को बेहतर बनाने के लिए क्या किए जाने की जरूरत है। आप इस पर ध्यान देंगे। अगर आप वाकई इस पर ध्यान देते हैं कि आपका बच्चा कैसे बैठता-उठता है, कैसे सोचता है, हालातों पर कैसे अपनी प्रतिक्रिया देता है, तो आप जान पाएंगे कि उसे किस चीज की जरूरत है। अभी आपके पास एक रेडीमेड फार्मूला है – एमबीबीएस या इंजीनियरिंग। आप बिना यह जाने कि उस जीवन को इसकी जरूरत है या नहीं, इस फार्मूले को उसके जीवन पर जबरन थोप रहे हैं।

योग को जीवन का अंग बनाएं

अपने बच्चे को दिन में अपना आधा घंटा योग को देने के लिए कहें। योग एक ऐसा उपकरण है जो इंसान को शिक्षा की दौड़ में भी बेहतर प्रदर्शन करने में मदद करता है। यह बच्चों में अंदरूनी संतुलन, अधिक तीक्ष्ण बुद्धि और बेहतर एकाग्रता लाता है। कैलिफोर्निया यूनि‍वर्सिटी ने शांभवी महामुद्रा (एक शक्तिशाली क्रिया) करने वाले लोगों पर एक अध्ययन किया और पाया कि तीन महीने में मस्तिष्क में नए न्यूरॉनों का उत्पादन सामान्य से 241 फीसदी अधिक यानी लगभग ढाई गुना अधिक हुआ। इसलिए यह वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित है कि थोड़ा सा योग करने से आपका बच्चा अधिक बुद्धिमान और संतुलित बन सकता है।

आप लोग अपनी समस्या को कुछ ज्यादा ही रूमानी रूप दे रहे हैं। आपको दरअसल अंदाजा ही नहीं है कि आपके माता-पिता कितने संघर्षों से गुजर रहे हैं।
इधर-उधर की चीजों में उसका ध्यान नहीं भटकेगा और वह अपने हारमोन्स को बेहतर तरीके से संभाल पाएगा। अगर आपका बच्चा प्रतिदिन अपना 30 मिनट योग में लगाता है तो छह महीने के अभ्यास में वह दिन में कम से कम दो से ढाई घंटे अधिक और एक साल के अभ्यास में चार-पांच घंटे अधिक अर्जित कर लेगा। वजह सिर्फ यह है कि योग करने के बाद आप ज्यादा कुशलता से चीजें कर पाते हैं। बच्चे के साथ-साथ आप खुद भी योग को आजमाएं। इससे आपको अपनी चिंता कम करने और अपने साथी दूसरे अभिभावकों के दबाव से छुटकारा पाने में मदद मिलेगी।

हमें एक ऐसी दुनिया बनानी चाहिए, जहां हर बच्चा खुद को मारना न चाहे और अपनी पूर्ण क्षमता को पाने की कोशिश करे। इसके लिए थोड़ी लगन की जरूरत होती है। सिर्फ स्कूल की फीस भर देने से ऐसा नहीं होगा। आइए हम सब मिलकर बच्चों के लिए एक बेहतर दुनिया तैयार करें।

 

 

संपादक की टिप्पणी: यहां आनंद, शांति, खुशहाली, सफलता और अन्य चीजों के लिए सरल उप-योग अभ्यास - ‘रूपांतरण के लिए 5 मिनट के योग उपकरण’ हैं। आप नि:शुल्क ऐप्प भी डाउनलोड कर सकते हैं।