जब संचित कर्म दिखने लगे सपने में
पिछले कुछ अंकों में हमने सपनों की चर्चा की। सद्गुरु ने हमें बताया कि सपने बहुत से प्रकार के होते हैं। इनमें से बहुत सारे तो हमारी इच्छाओं से जुड़े होते हैं। कुछ सपने ऐसे होते हैं जिनमे हमारा प्रारब्ध कर्म दिख सकता है। सपनों की एक तीसरी प्रकार भी होती है - जिनमे हम अपने संचित कर्मों को देख सकते हैं...
पिछले कुछ अंकों में हमने सपनों की चर्चा की। सद्गुरु ने हमें बताया कि सपने बहुत से प्रकार के होते हैं। इनमें से बहुत सारे तो हमारी इच्छाओं से जुड़े होते हैं। कुछ सपने ऐसे होते हैं जिनमे हमारा प्रारब्ध कर्म दिख सकता है। सपनों की एक तीसरी प्रकार भी होती है - जिनमे हम अपने संचित कर्मों को देख सकते हैं...
यह सपनों का तीसरा स्तर है। अगर आपको अपने जीवन में कोई बहुत अद्भुत अनुभव हुआ है, तो उसके बाद आपने अपने सपनों में बदलाव महसूस किया होगा। आपमें से जिन लोगों ने शांभवी, भाव स्पंदन, सम्यमा या किसी और तरह की दीक्षा का शक्तिशाली अनुभव किया होगा, उन्हें इन अनुभवों के बाद अपने सपनों के पैटर्न में बदलाव महसूस होगा। सपने किस तरह के और कितने आते हैं-इसमें एक बदलाव सा महसूस होता है। एक सशक्त अनुभव हो जाने के बाद सपने पहले से ज्यादा या कम, या किसी और तरह के हो सकते हैं। यहां एक सवाल जरूर मन में उठ सकता है कि सशक्त अनुभव का मतलब क्या है। इसका सीधा सा मतलब यह है कि आपने किसी तरह से अपने अंदर की कुछ सीमाओं को पार कर लिया है।
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कार्मिक तत्वों या यादों की इस जमा-पूंजी या भंडार को ही संचित कर्म कहते हैं। इनमें से कुछ यादें आपके जीवन में प्रवेश करती हैं। इसका मतलब यह है कि इस जीवन में आपके पास पिछले जीवन की तुलना में कुछ अधिक ही मौके होते हैं। अधिक अवसर मिलना आपके लिए अच्छी बात है, लेकिन अगर आप इससे अच्छी तरह नहीं निपटते, तो ये अधिक अवसर बहुत बड़ी समस्या बन जाते हैं। दरअसल इंसान को इतना अधिक संघर्ष इसीलिए करना पड़ता है, क्योंकि उसके पास दूसरे जीवों से अधिक अवसर हैं। अगर आप कोई अन्य जीव-जन्तु होते, तो सिर्फ खाते और सोते और मजे में रहते। तो जब बड़े मौके मिलते हैं और आप उनसे अच्छी तरह से निपट लेते हैं, तो यह बहुत अच्छी बात होगी, और अगर ऐसा नहीं करेंगे तो यह आपके लिए कष्टदायक साबित हो सकता है। वैसे अगर ये पीड़ादायक भी हैं, तो भी आखिरकार ये आपके लिए अच्छे हैं।
अब हठ योग को ही लें। यह कष्टदायक तो है पर हम इसे करते हैं, क्योंकि दूरगामी नजरिये से यह हमारे लिए लाभदायक होता है। आपके अंदर की यादों के नए खजानों को खोलना आपके लिए कष्टदायक हो सकता है, क्योंकि तब आपका जीवन काफी तेजी से आगे बढऩे लगेगा। जिन चीजों को अगले जीवन में संभालना चाहिए, उन्हें आप इसी जीवन में संभालने की कोशिश करते हैैं, क्योकि आप थोड़ी जल्दी में होते हैं। ऐसे में यह और जटिल हो जाता है। लेकिन अगर आप इसे सही तरीके से संभाल पाते हैं, तो यह आपके लिए बहुत अच्छा है। अगर यह आपसे नहीं संभलता है, तो अचानक आपको लगेगा कि आध्यात्मिक रास्ते पर कदम बढ़ाते ही इस जगत की हर चीज आपको हर दिशा से धक्के मार रही है। यह कुछ ऐसा ही है। क्योंकि आपने एक नए पहलू को खोल दिया है, जिसे आप संभाल नहीं पा रहे।
यह उसी तरह है जैसे आप अगर दसवीं की परीक्षा, जिसे हमारी शिक्षा-पद्धति में एक मील का पत्थर माना जाता है, पास कर लेते हैं तो उससे आपकी स्थिति बेहतर नहीं हो जातीे। अचानक ग्यारहवीं और बारहवीं की पढ़ाई आ जाती है जो पहले से कहीं अलग और मुश्किल होती है। सभी चीजें जैसे सिलेबस, विषय की जटिलता और जो कुछ भी आपको पढऩा है, सब कम से कम चार गुना अधिक हो जाता है। ऐसे में दिमाग में यह आ सकता है कि पास होना हमेशा ही अच्छा नहीं होता, लेकिन यह भी सच है कि अगर आप पास नहीं होंगे तो अगली कक्षा में नहीं जा सकते। अगर आप उसी जगह पर रह जाते हैं तो आपको एक तरह की जड़ता की स्थिति से जूझना पड़ेगा। अगर आप अगला कदम बढ़ाते हैं, तो एक बड़ी चुनौती से सामना होना तय है। उसी जगह पर रह जाने से जिंदगी आसान लगती है। अगला कदम बढ़ाने पर बड़ी चुनौती संभालनी पड़ती है।
मशहूर नाटककार जॉर्ज बनार्ड शॉ के साथ एक बार एक मजेदार घटना घटी। एक नए नाटककार ने एक नाटक लिखा और उसे निर्देशित किया। उसने शॉ को अपने नाटक को देखने के लिए बुलाया। शॉ वहां गए, बैठे और कुछ ही मिनटों में सो गए। जब नाटक खत्म हो गया, तो उस लेखक ने शॉ के पास जाकर कहा, ’मैंने आपको आमंत्रित किया, क्योंकि मैं आपकी टिप्पणी चाहता था। यह मेरा पहला नाटक है।’ शॉ ने हंसते हुए कहा, ’मेरा सोना ही मेरी टिप्पणी है।’ तो आप अच्छे से सो पा रहे हैं या नहीं, इससे आपके जीवन की दशा का पता चल जाता है।’
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