जिंदगी एक सपना है, पर सपना सच है
सपने हम सभी देखते हैं, लेकिन क्या उन सपनों का वाकई कोई अर्थ होता है? क्या इनका हमारी जिंदगी से किसी तरह का वास्ता भी है? सपनों की दुनिया का राज खोल रहे हैं सद्गुरु
सपने हम सभी देखते हैं, लेकिन क्या उन सपनों का वाकई कोई अर्थ होता है? क्या इनका हमारी जिंदगी से किसी तरह का वास्ता भी है? सपनों की दुनिया का राज खोल रहे हैं सद्गुरु और उन परतों को उधेड़ रहे हैं जिसके बारे में जानने की इच्छा हर इंसान में होती हैः
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प्रश्न: सद्गुरु, कभी-कभी मैं अपने सपनों को याद करने की कोशिश करता हूं और सुबह होते ही उन्हें लिख लेता हूं। एक सवाल मेरे मन में उठता है कि क्या मुझे इन सपनों को याद रखना चाहिए? अगर हां, तो फिर उनके साथ क्या करना चाहिए?
सद्गुरु:
हमारे मन और अस्तित्व के कुछ ऐसे पहलू हैं, जिन्हें हम सपना कहते हैं। आपने लोगों को अकसर यह कहते तो सुना ही होगा-हां, मेरा एक सपना है। इस दुनिया में अपने सपनों को साकार करने का सचेतन तरीका है, कि आप पहले सपना देखते हैं, फिर उस सपने को लगातार इतना मजबूत बनाते हैं कि वो हकीकत में बदल जाए। अपने सपनों को हकीकत में बदलने की काबिलियत अधिकतर लोगों में नहीं होती। दरअसल, उनके सपनों में कोई एकरूपता नहीं होती। वे हर दिन एक नई चीज का सपना सजाते हैं। दरअसल उनकी चेतना पूरी तरह से अस्त-व्यस्त और बिखरी हुई होती है।
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इन सपनों को हम चार श्रेणियों में बांट सकते हैं।
हमारी इच्छाओं के सपने
हमारे नब्बे प्रतिशत सपने तो बस मन में इकट्ठी हुई इच्छाओं को रिलीज करने के एक साधन हैं। यह इंसानी मन बना ही कुछ ऐसा है कि जो भी इसे अच्छा, आकर्षक और खास लगता है, यह उसे पाना चाहता है। इनमें से कई तो ऐसी इच्छाएं होती हैं, जिन्हें हमने सचेतन मन से चाहा भी नहीं होता। ऐसा सिर्फ इसलिए होता है, क्योंकि हमारा मन तमाम इच्छाएं करता रहता है। वैसे ये आपकी अच्छी किस्मत है कि ये सभी इच्छाएं पूरी नहीं हो पातीं। अगर सारी सच हो जाएं तो आपकी पूरी जिंदगी एक बहुत बड़ी यातना बन जाएगी।
सपने दरअसल आपकी मदद करते हैं। जब लोग हठ योग टीचर ट्रेनिंग कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे होते हैं, उस दौरान सुबह उठकर चार घंटे की साधना, पढ़ाई और बाकी सब काम करने के बाद दोपहर को जब आप थक कर चूर हो जाते हैं, तब आपको कॉफी या चाय की जरूरत महसूस होती है। लेकिन बदले में जब आपको बेस्वाद सूप मिलता है, तो आपका मन सोचता है कि काश मुझे एक कप चाय या कॉफी पीने को मिल जाती। उसी रात आप सपने में देखते हैं कि आप ढेर सारी कॉफी पी रहे हैं या आप हिंद महासागर के किनारे टहल रहे हैं और पूरा का पूरा सागर ही कॉफी से भरा हुआ है। यह एक मजाकिया उदाहरण है, लेकिन मेरा कहना है कि आपकी इच्छाएं ही सपनों में बढ़ - चढ़ कर सामने आती हैं। दूसरे शब्दों में, यह इच्छाओं का रिलीज होना है। सपने में कॉफी पीने की आपकी इच्छा पूरी हो गई। ऐसे में अगले दिन इस सपने का आप पर असर पड़ता है। जब आपको दूसरे दिन वही बेस्वाद सूप मिलता है तो आप उसे थोड़ी आसानी से पी पाते हैं। अगर सपने में यह इच्छा बह कर नहीं निकली होती, तो यह स्थिति आपके अंदर एक कुंठा, एक विवशता पैदा कर देती।
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