भोजन की पवित्र भेंट
"अन्नदान का मतलब है कोई इंसान आपको जीवन-दान देने का अवसर दे रहा है। जब आप बिना किसी उम्मीद के भोजन की भेंट करते हैं, तब आप प्रेम का मूर्त रूप बन जाते हैं।" - सद्गुरु
अन्नदान, या भोजन की पवित्र भेंट हमेशा भारतीय आध्यात्मिक परंपरा और लोकाचार का हिस्सा रहा है। आज, हमें ईशा योग केंद्र में रहने और काम करने वाले हज़ारों संन्यासियों, ब्रह्मचारियों और स्वयंसेवकों के लिए अन्नदान में सहयोग देने में सक्षम होने का सौभाग्य मिला है। इन उत्साही साधकों ने मानव चेतना को विकसित करने के लिए अथक समर्पण और लगन के साथ सभी की खुशहाली में योगदान देने के लिए अपना जीवन अर्पित किया है।
ईशा योग केंद्र में उपस्थित सभी लोगों को दिन में दो बार अन्नदान भेंट किया जाता है, जिसमें मेहमान और आगंतुक शामिल होते हैं। भोजन मौन में परोसा और ग्रहण किया जाता है, और खाने से पहले एक शक्तिशाली मंत्र से आह्वान किया जाता है - जो परोसे गए भोजन के प्रति हमारी ग्रहणशीलता को बढ़ाता है।
आप अन्नदान की भेंट करके अपने जीवन के महत्वपूर्ण अवसरों का उत्सव मना सकते हैं, जैसे कि जन्मदिन पर, वर्षगांठ पर या अपने प्रियजनों को सम्मान देने के लिए उनके स्मारक दिन पर। आप अगले 21 वर्षों तक वर्ष में एक बार अन्नदान की भेंट करने के लिए ईशा भिक्षा को एक बार के योगदान की भेंट कर सकते हैं, जिसके लिए सद्गुरु हर साल आपकी पसंद के अवसर पर आपको आशीर्वाद देंगे।
आप ऑनलाइन या बैंक हस्तांतरण, चेक, डिमांड ड्राफ्ट या नकद के माध्यम से योगदान कर सकते हैं। अन्नदान के दान के सरल कार्य के माध्यम से हम इस पवित्र परंपरा को जारी रखने के लिए आपका समर्थन चाहते हैं।
ईमेल: annadanam@ishafoundation.org
फोन: +91 844 844 7707
अनुभव
मैं इस अनमोल भोजन, एक जीवन बनाने वाली सामग्री भेंट किए जाने पर बहुत आभारी महसूस करती हूं। इतने सारे लोगों की उदारता की वजह से, मैं खुद को पूरी तरह से सद्गुरु के सपने को एक सच्चाई बनाने के लिए समर्पित कर पा रही हूँ, और मुझे अपने जीवन को चलाने की चिंता नहीं सताती।
जब मैं भिक्षा हॉल में भोजन परोसता हूं, तो मुझे ऐसा लगता है कि मेरे और उस व्यक्ति के बीच बहुत गहरा संपर्क है, जिसे मैं भोजन परोसर रहा हूं। मानो सीमाओं और शब्दों से परे एक गहरा संबंध बन गया हो ...
जिस प्रेम और देखभाल के साथ भोजन तैयार किया जाता है और परोसा जाता है, वह अतुलनीय है। मैं हर दिन अन्नदान पाकर धन्य महसूस करता हूं।
मैं इस अनमोल भोजन, एक जीवन बनाने वाली सामग्री भेंट किए जाने पर बहुत आभारी महसूस करती हूं। इतने सारे लोगों की उदारता की वजह से, मैं खुद को पूरी तरह से सद्गुरु के सपने को एक सच्चाई बनाने के लिए समर्पित कर पा रही हूँ, और मुझे अपने जीवन को चलाने की चिंता नहीं सताती।
जब मैं भिक्षा हॉल में भोजन परोसता हूं, तो मुझे ऐसा लगता है कि मेरे और उस व्यक्ति के बीच बहुत गहरा संपर्क है, जिसे मैं भोजन परोसर रहा हूं। मानो सीमाओं और शब्दों से परे एक गहरा संबंध बन गया हो ...
जिस प्रेम और देखभाल के साथ भोजन तैयार किया जाता है और परोसा जाता है, वह अतुलनीय है। मैं हर दिन अन्नदान पाकर धन्य महसूस करता हूं।
मैं इस अनमोल भोजन, एक जीवन बनाने वाली सामग्री भेंट किए जाने पर बहुत आभारी महसूस करती हूं। इतने सारे लोगों की उदारता की वजह से, मैं खुद को पूरी तरह से सद्गुरु के सपने को एक सच्चाई बनाने के लिए समर्पित कर पा रही हूँ, और मुझे अपने जीवन को चलाने की चिंता नहीं सताती।