योग साधना : कैसे जानें अपनी साधना का लेवल?
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इंसान की आदत है तुलना करने की। ऐसे में जब हम योगाभ्यास करते हैं तो कई बार हमारे मन में यह बात उठ सकती है कि मैं किसी दूसरे की तुलना में कहां तक पहुंचा हूं। लेकिन क्या यह सोच सही है? फिर क्या करें?
प्रश्न : सद्गुरु, मैं पिछले डेढ़ साल से योग का अभ्यास कर रहा हूं। मैं जितनी अधिक प्रतीक्षा कर रहा हूं, मेरी कुंठा उतनी ही बढ़ती जा रही है। मैं कैसे जान सकता हूं कि मैं आध्यात्मिकता के पथ पर कहां पर हूं? मैं किस लेवल तक आ गया हूं?
सभी लेवल तुलनात्मक हैं
सद्गुरु : सभी लेवल यानी स्तर, सापेक्ष यानी सिर्फ तुलनात्मक हैं। क्या आप किसी ऐसे व्यक्ति से एक कदम आगे होना चाहते हैं, जिसे योगाभ्यास करते हुए, केवल एक वर्ष हुआ है?
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मोह या मुक्ति - किस ओर बढ़ रहे हैं आप?
आपको जुड़ाव तो रखना है, लेकिन उलझना नहीं है, मोह में नही बंधना। यही तो सार है। बस सुबह के समय अपना अभ्यास करें। और पूरा दिन, उन सभी पहलुओं का ध्यान रखें जो आपको सिखाए गए हैं।
सभी में शरीर, मन, भाव व ऊर्जा काम कर रहे हैं, लेकिन वे अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग स्तर पर काम करते हैं। किसी एक व्यक्ति में शरीर प्रभावी हो सकता है, तो किसी दूसरे इंसान में मन प्रभावी हो सकता है, किसी अन्य में भावनाएं प्रभावी हो सकतीं हैं, किसी चौथे में ऊर्जा प्रभावी हो सकती है। हर व्यक्ति में ये चारों अलग-अलग अनुपात में मौजूद होते हैं, परंतु होते ये चारों तत्व ही हैं। आप इन चारों तत्वों का मिश्रण हैं। जब तक आप इस तरह का योग नहीं करते, जो कि चारों को आपके लिए उपयुक्त अनुपात में बनाए रखता है, तब तक आप आगे नहीं जा सकेंगे।
अभ्यास को एक अर्पण बना दें
बुनियादी अभ्यास का उद्देश्य बुनियादी पहलुओं को खोलना है। अलग-अलग लोगों को अलग-अलग समय लगने की कई वजहें हैं। इस बारे में चिंता मत कीजिए।
अगर आप लगातार खुद से यह पूछते रहेंगे कि ‘मैं किस स्तर पर हूं? क्या मैं किसी ऐसे से बेहतर हूं, जिसने मुझसे पहले या बाद में अभ्यास करना शुरु किया था?’, यह एक अंतहीन विचार-प्रक्रिया होगी। तो बेकार की बात रोक कर बस अभ्यास करने के लिए सबसे आसान तरीका है - अपने अभ्यास को अर्पित कर देना। चाहे यह आध्यात्मिकता हो या फिर कुछ और, जीवन आपको कुछ इसलिए नहीं देता कि आप उस चीज़ को चाहते हैं। आपको जीवन में कुछ इसलिए मिलता है, क्योंकि आपने खुद को इसके योग्य बनाया है। धन हो या प्रेम या फिर कोई आध्यात्मिक प्रक्रिया, इस संसार में कुछ भी आपको इसलिए मिलता है क्योंकि आप सही तरह के काम करते हैं, नहीं तो यह नहीं मिलेगा।
एक दिन, एक आदमी सेप्टिक टैंक में गिर गया और गरदन तक उसका पूरा शरीर गंदगी में डूब गया। उसने बाहर आने की बहुत कोशिश की पर नहीं आ सका। कुछ देर बाद, वह चिल्लाने लगा, ‘आग! आग!’ पड़ोसियों ने यह आवाज सुनी तो फायर बिग्रेड को बुलवाया और फायर ब्रिगेड वाले उसके पास भागे आए। उन्होंने यहां-वहां देखा, आग तो कहीं नहीं दिखी। फिर उन्हें टैंक में गिरा आदमी दिखाई दिया। उसे बाहर निकाल कर पूछा, ‘आग-आग क्यों चिल्ला रहे थे? आग कहां लगी है?’ वह आदमी बोला, ‘अगर मैं ‘शिट-शिट’ चिल्लाता तो क्या तुम आते?’ तो आपको सही तरह के काम करने होंगे, तभी आपके साथ सही तरह की चीज़ें घटित होंगी।