पितृ पक्ष या पितृ अमावस्या या महालय अमावस्या – क्या है इनका महत्व?
सद्गुरु बता रहे हैं कि महालया अमावस्या या पितृ पक्ष का क्या महत्व है, और अपने पूर्वजों को सम्मान देने की परंपरा क्यों महत्वपूर्ण है...
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कालभैरव शांति, लिंग भैरवी मंदिर में होने वाली एक वार्षिक प्रक्रिया है, जो पूर्वजों और दिवंगत रिश्तेदारों के कल्याण के लिए पितृ अमावस्या की शुभ रात्रि को आयोजित की जाती है। वर्ष 2021 में पितृ अमावस्या 5 अक्टूबर को है। श्राद्ध का महत्त्व बता रहे हैं सद्गुरु...
पितृ पक्ष का महत्व
सद्गुरु: दशहरे के पहले जो अमावस्या की रात आती है उसे ‘महालया अमावस्या’ के नाम से जाना जाता है। एक तरह से इसी दिन से दशहरा की शुरुआत हो जाती है।
जब इस धरती पर सिर्फ पशु थे, उस समय सिर्फ जीवित रहने की जद्दोजहद थी। बस खाना, सोना, प्रजनन करना और एक दिन मर जाना ही जीवन था। फिर धीरे-धीरे उस पशु ने विकास करना शुरू किया। पशु की तरह चलने की जगह उसने खड़ा होना शुरू किया, धीरे-धीरे उसका दिमाग विकसित होने लगा और उसकी क्षमताएं तेजी से बढ़ने लगी। विकसित होकर वह पशु, इंसान बना। इंसान होने की सबसे महत्वपूर्ण चीज यह है कि हम औजारों का इस्तेमाल कर सकते हैं। औजारों का इस्तेमाल कर सकने की इस साधारण क्षमता को हमने बढ़ाया और उसे तकनीकों के विकास तक ले गए। जिस दिन एक वानर ने अपने हाथों की बजाय किसी पशु की हड्डी उठाकर उसकी मदद से लड़ना शुरू किया था, जिस दिन उसे अपनी जिन्दगी को आसान बनाने के लिए अपने शरीर के अलावा औजारों के इस्तेमाल की जरूरी समझ आ गई, एक तरह से धरती पर वही मानव जीवन की शुरुआत थी।
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पितृ पक्ष श्राद्ध का महत्व
हमारे पास आज जो भी चीजें हैं, हम उनका महत्व नहीं समझते। लेकिन हमसे पहले आने वाली पीढ़ियों के बिना, पहली बात तो हमारा अस्तित्व ही नहीं होता, दूसरी बात, उनके योगदान के बिना हमारे पास वे चीजें नहीं होतीं, जो आज हमारे पास हैं। इसलिए आज के दिन हम उनका महत्व समझते हुए उन सब के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हैं। वैसे तो लोग अपने मरे हुए मां-बाप को अपनी श्रद्धांजली देने के तौर पर एक धार्मिक रिवाज के रूप में इस दिन को मनाते हैं, लेकिन दरअसल यह उन सभी पीढियों के प्रति अपना आभार प्रकट करने का एक जरिया है जो हमसे पहले इस धरती पर आईं थी।
इस समय भारतीय उपमहाद्वीप में, नई फसलों का पकना भी शुरू हो जाता है। इसलिए पूर्वजों के प्रति सम्मान और आभार प्रकट करने के प्रतीक रूप में, सबसे पहला अन्न उन्हें पिंड के रूप में भेंट करने की प्रथा रही है। इसके बाद ही लोग नवरात्रि,विजयादशमी और दीवाली जैसे त्यौहारों के जश्न मनाते हैं।
भारतीय संस्कृति में काल भैरव शांति
भारतीय संस्कृति में मृतकों के कल्याण के लिए मृत्यु अनुष्ठान एक गूढ़ प्रक्रिया थी। मृतक की आयु, उसके जीवन और मृत्यु की प्रकृति के आधार पर इन अनुष्ठानों को बहुत सावधानी से तैयार किया जाता था जिससे एक जीव को जीवन के एक चरण से दूसरे में सहज रूप में प्रवेश करने में मदद मिलती थी और उसका आध्यात्मिक विकास भी सुनिश्चित होता था।
दुर्भाग्यवश, पिछली दो सदियों में इन परंपराओं को काफी हद तक तोड़-मरोड़ दिया गया है और वे समाज से लुप्त होने लगी हैं। काल भैरव शांति सद्गुरु द्वारा तैयार एक प्रक्रिया है, जिसमें शरीर छोडऩे वाले व्यक्ति को इस संवेदनशील अवस्था में महत्वपूर्ण मदद मिलती है।
काल भैरव शांति के लिए आवश्यक वस्तुएं –
- मृतक की जन्म की तारीख या जन्म का वर्ष; और मृत्यु तारीख या मृत्यु का वर्ष के साथ उसका एक फोटो होना चाहिए। अगर वर्ष भी पता न हो, तो फोटो के साथ माता और पिता का नाम पर्याप्त है।
- कृपया मृतक का अकेला फोटो अपलोड करें। समूह में लिया गया फोटो इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। फोटो तब का होना चाहिए, जब वो व्यक्ति जीवित था।
- अगर 48 दिन की गर्भावस्था के बाद एबॉर्शन हुआ हो, या फिर नवजात शिशु मृत पैदा हुआ हो, तो माता का फोटो भेजें। बेहतर होगा कि माता का फोटो प्रेगनेंसी (गर्भावस्था) के दौरान लिया गया हो।
- अगर मृतक का फोटो उपलब्ध न हो, तो नीचे दिए गई चीज़ें आवश्यक हैं:
- जन्म की तारीख या जन्म का वर्ष
- मृत्यु की तारिख या वर्ष
- माता और पिता के नाम
- जो लोग निजी तौर पर इस प्रक्रिया में शामिल नहीं हो सकते, वे अपने मृतक संबंधी या पूर्वज की जन्म-मृत्यु तारीखों के साथ उनके स्कैन किए गए फोटो भेज सकते हैं।
परिवार के सुख शांति के लिए हर साल महालय अमावस्या के दिन कल भैरव शांति के प्रक्रिया कराई जा सकती है। आप महालया अमावस्या के दिन वार्षिक काल भैरव शांति प्रक्रिया अगले 10 सालों तक कराना चाहें तो अग्रिम पंजीकरण भी संभव है।
संपादक की टिप्पणी: कालभैरव शांति, लिंग भैरवी मंदिर में होने वाली एक वार्षिक प्रक्रिया है, जो पूर्वजों और दिवंगत रिश्तेदारों के कल्याण के लिए महालया अमावस्या की शुभ रात्रि को आयोजित की जाती है। इस वर्ष (2020) में महालया अमावस्या 16 सितम्बर को है। अपने दिवंगत रिश्तेदारों के लिए कालभैरव शांति प्रक्रिया करवाने के लिए, कृपया ईमेल करें:
संपर्क करें +91 83000 83111 , info@lingabhairavi.org,
रजिस्ट्रेशन फॉर्म के लिए यहाँ जाएं - https://isha.sadhguru.org/in/en/mahalaya-amavasya
या फिर वेबसाइट http://lingabhairavi.org/offerings-and-rituals/kalabhairava-karma/
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