साधना में मन पर नहीं, शरीर व ऊर्जा पर भरोसा कीजिए
आध्यात्मिक साधना में मन, शरीर और ऊर्जा से जुड़े अलग-अलग मार्ग होते हैं। कैसे जानें कि कौन-सा मार्ग हमारे लिए अच्छा है?
योग तार्किक बुद्धि का सहारा नहीं लेता
आपका मन जो कह रहा है, वह फिलहाल आपको तार्किक और सीधा लग रहा है, लेकिन किसी दूसरी जगह हो सकता है कि यह पूरी तरह से अटपटा लगे। खासतौर पर बात जब उस आयाम की आती है, जो अभी आपके बोध में नहीं हो, तो वहां आपका मन आपके लिए एक खतरनाक गाइड बन जाता है। यह आपको ऐसी बातें बताता है, जिनका कोई अस्तित्व ही नहीं होता। वहीं दूसरी ओर यह कई ऐसी चीजों की अनदेखी कर जाता है, जो ठीक आपके सामने मौजूद होती हैं। यही वजह है कि योग शरीर, ऊर्जा, सांस, भावनाओं और बोध के जरिए आध्यात्मिक प्रक्रिया के लिए एक समग्र मार्ग है। लेकिन यह बुद्धि का सहारा नहीं लेता। हम इस शरीर को मांस और रक्त के एक पिंड के तौर पर न देखकर इसे एक शक्तिशाली साधन या उपकरण बनाना सीखते हैं, जो किसी भी चीज को बड़ी खूबसूरती से महसूस कर सके व आंक सके।
शरीर को विकसित करने का पूरा विज्ञान है
अगर हमें इस शरीर को भोजन के एक ढेर से या फिर अपनी रासायनिक बाध्यताओं से कुछ अधिक बनाना है तो इसके लिए हमारे पास एक पूरा विज्ञान और तकनीक मौजूद है कि कैसे इस जीवन को विकसित किया जाए। अभी जो भौतिक प्रक्रियाएं चल रही हैं, अगर आप उनसे पहचान बनाए बिना सहज रूप से यहां बैठ सकते हैं, अगर आप खुद को स्त्री या पुरुष रूप में जाने बिना सहज रूप से बैठ सकते हैं, अगर आप इस शरीर को बस एक उपकरण के तौर पर देख सकते हैं, इसका एक उपकरण के तौर पर इस्तेमाल करना सीख सकते हैं तो आप देखेंगे कि यह अपने आप में एक बेहद शक्तिशाली उपकरण हो जाएगा। मानव शरीर इस धरती का सबसे संवेदनशील और सक्षम उपकरण है। यह आपको हर उस चीज के बारे में बता सकता है, जो यहां मौजूद है और जो इससे परे है।
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रस्सियों को काटना होगा
तो वहाँ तक पहुँचने के इस विज्ञान को हम योग के रूप में जानते हैं। लेकिन बहुत सारे लोगों को योग बहुत दूर की चीज सिर्फ इसलिए लगती है, क्योंकि वे लोग इस छोर पर खड़े रहकर दूसरे छोर पर पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। उन्होंने अपनी नाव इस किनारे बांध रखी है, और दूसरे किनारे पर पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। इस तरह से यह काम बहुत मुश्किल है। अगर आप रस्सी काट दें तो महज हवा आपको दूसरी ओर ले जा सकती है। अगर आप पूरी मेहनत से नाव चलाएंगे तो निश्चित तौर पर वहां पहुंच जाएंगे, लेकिन बिना रस्सी काटे अगर आप नाव खेते हैं तो यह एक अंतहीन और बेकार का काम है। आध्यात्मिक मार्ग की यही सबसे बड़ी दिक्कत रही है। लोग अपनी रस्सियां नहीं काटते, लेकिन वे दूसरे छोर पर जाने की कोशिश करते हैं।
भौतिक आयामों से दूरी बनानी होगी
तो यह कैसे किया जाए? हम आपको ऐसी बातें सिखाने के बजाए, जिसे आपका मन व दिमाग कभी स्वीकार नहीं करेगा और न ही उसे संभाल पाएगा, आपको अपना शरीर मोड़ने, सांस रोकने या कुछ ऐसी ही चीजें करने के लिए कह रहे हैं। धीरे-धीरे यही चीजें आपकी भौतिकता की रस्सियां काट देंगी। एक बार अगर मंजिल की ओर यात्रा चालू हो गई तो फिर नाव खेना आसान हो जाता है। लेकिन महत्वपूर्ण चीज यह है कि आपको अपने जीवन में भौतिक और जो कुछ भी भौतिकता को बढ़ाता है या उसे ताकत देता है, उससे दूरी बनानी होगी। भौतिकता से जुड़े जितने भी बाध्यकारी आयाम हैं, उनसे दूर रहें।
मन बहुत धोखेबाज़ है
आपका मन पूरी तरह से झूठा है। कृपया इस पर गौर कीजिए। आप किसी भी चीज से कुछ भी बना सकते हैं। आप किसी भी चीज के प्रति प्रेम का गहरा भाव जगा सकते हैं या फिर उसी चीज के प्रति नफरत का गहरा भाव भी पैदा कर सकते हैं। आपका मन सुखद अहसास भी पैदा कर सकता है और दुखद स्थिति भी । इसलिए मन बिल्कुल भरोसेमंद नहीं है। यही वजह है कि हम शरीर व ऊर्जा पर फोकस करते हैं। ये दोनों चीजें कभी धोखा नहीं दे सकतीं। यह या तो घटित होती हैं या फिर घटित नहीं होती हैं। इसके भौतिक प्रमाण भी हैं।
शुरूआती साधना में ऊर्जा और शरीर का महत्व है
तो आध्यात्मिक साधना के शुरुआती चरणों के लिए मन के बजाए निश्चित तौर पर शरीर और ऊर्जा भरोसेमंद है। एक बिल्कुल अलग तरीके की जागरूकता ही ये सुनिश्चित कर सकती है कि मन एक फंदा बनने के बजाए एक सीढ़ी की तरह काम करे। लेकिन ज्यादातर मौकों पर एक अस्थिर मन, एक बाध्यकारी मन और बकवास करने वाला मन आगे बढऩे की सीढ़ी के बजाय एक जाल की तरह काम करता है। यही वजह है कि मैं कहूंगा कि आने वाले अगले सौ सालों में दुनिया की कम से कम तीस से चालीस प्रतिशत आबादी योग का अभ्यास कर रही होगी।