प्रश्न : सद्‌गुरु, अपने भीतर तीव्रता कैसे लाई जाए या फिर बिना किसी गतिविधि के अपनी तीव्रता कैसे बढ़ाई जाए?

सद्‌गुरु : हमें इस बात को समझना चाहिए कि हमारी जीवन ऊर्जा एक खास तरह से व्यवस्थित होती है। आपने देखा होगा कि अलग-अलग लोगों की क्षमता अलग-अलग स्तर की गतिविधियों के लिए अलग-अलग होती है। जब हम कर्म की बात करते हैं तो हमारा मतलब अपने भीतर मौजूद कुछ खास तरह के ‘प्रोग्राम’ से होता है। ऐसी कई सारी चीजें इस तरह से घटित हुईं कि आपके कार्मिक ढांचे ने खुद को एक खास तरीके से सजा लिया। ये कर्म फिलहाल जिस रूप से व्यक्त हो रहा है – उसे प्रारब्ध कहते हैं। सिर्फ एक पीढ़ी पहले तक मेरी मां और दादी अपनी रोजमर्रा की बातचीज के दौरान हर तीन से चार वाक्यों में ‘कर्म,’ ‘प्रारब्ध,’ ‘मुक्ति’ या ‘मोक्ष’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल करती रहती थीं। यह सब किसी आध्यात्मिक बातचीत के दौरान नहीं, बल्कि अपनी रोजमर्रा की आम बातचीत में होता था। क्योंकि तब लोग हमेशा इन चीजों के प्रति जागरूक हुआ करते थे। दरअसल, इस तरह से आप दूसरों को उसी तरह से स्वीकार करने की कोशिश करते हैं, जैसे वे हैं। क्योंकि जब आप लोगों के करीब रहते हैं तो उनकी कई छोटी-छोटी चीजों पर भी आप बौखला जाते हैं।

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हर तरह की यादें आपका जीवन बनाती हैं

‘आखिर क्यों यह इंसान इस तरह से व्यवहार कर रहा है?’ ‘अरे यह तो उसके कर्म हैं।’ यानी वह फिलहाल जो भी कर रहा है, वह मजबूर है ऐसा करने को।

अब आप उन सारी चीजें से परे जाने की कोशिश कर रहे हैं। ये सारी चीजें आपको दंड देने के लिए नहीं हैं, यही आपके जीवन को बनाती हैं।
इसलिए उसके बारे में कोई राय बनाने का कोई मतलब नहीं है। दरअसल, जिस तरह की आपकी शारीरिक, भावनात्मक, बौद्धिक या ऊर्जा की गतिविधियां होती हैं, वह पहले से ही तय होती हैं। तो अब आप उसका बुनियादी रूप बदलना चाहते हैं। इस मामले में यहां ऐसी बहुत सी चीजें हैं, जो आपको प्रभावित कर रही हैं - आपकी आनुवांशिक(वंश से आई) याददाश्त, कार्मिक याददाश्त, जीवन की कई चीजों का असर व अनुभव जैसे बहुत सारे पहलू हैं। अब आप उन सारी चीजें से परे जाने की कोशिश कर रहे हैं। ये सारी चीजें आपको दंड देने के लिए नहीं हैं, यही आपके जीवन को बनाती हैं। अगर व्यावहारिक दृष्टि से देखें तो यह व्यवस्था बिल्कुल ठीक है। लेकिन अब आप जीवन की उपयोगिता से परे जाना चाहते हैं, जीवन के बारे में जानना चाहते हैं। मैं आपके कर्मों में अभी बदलाव कर सकता हूं, लेकिन अगर आपके भीतर की कोई बुनियादी चीज बदल जाए तो आपका संघर्ष बेहिसाब बढ़ जाएगा। आपको आकर जरुर देखना चाहिए कि जब लोगों को हम संन्यास के लिए दीक्षित करते हैं तो बहुत से लोग चौबीस घंटों के भीतर बदल जाते हैं।

तीव्रता लाने के अलग-अलग तरीके

हम आपके पूरे सिस्टम में पूरी तरह से बदलाव ला सकते हैं। आज के दौर के न्यूरोलॉजिस्ट कह रहे हैं कि चौबीस घंटे के भीतर आपके मस्तिष्क की बनावट को पूरी तरह से बदला जा सकता है।

अगर इस बदलाव को सफलतापूर्वक होना है तो सबसे पहले आपको अपने भीतर जबरदस्त मात्रा में ऊर्जा पैदा करनी होगी, जिसके बारे में आप बात कर रहे हैं।
तो इसका मतलब हुआ कि अगर हम आपके सिस्टम के साथ सही चीज करें तो आपकी सोच चौबीस घंटे के भीतर पूरी तरह से बदल सकती है। तो अगर इस बदलाव को सफलतापूर्वक होना है तो सबसे पहले आपको अपने भीतर जबरदस्त मात्रा में ऊर्जा पैदा करनी होगी, जिसके बारे में आप बात कर रहे हैं। बिना ऊर्जा पैदा किए आपके भीतर तीव्रता आ ही नहीं सकती। आप जानते हैं कि अगर आग बुझाने की पाइप अंतिम मंजिल पर लगी आग तक नहीं पहुंच सकता, तो वे पानी के प्रवाह को और तीव्र करते हैं, ताकि वह आग तक पहुंच जाए। तो तीव्रता कैसे लाते हैं वे लोग? इसके लिए दो चीजें होती हैं, जिनमें बदलाव लाकर वे पानी को आग तक पहुंचाते हैं - एक चीज तो होती है बल यानी पानी की मात्रा, दूसरी चीज है पाइप की नोजल।

जब योग साधना करें, तो ये तरीका अपनाएं

यह एक आसान सा तरीका है कि आप नोजल का मुंह छोटा करके उसकी तीव्रता को बढ़ा सकते हैं। ज्यादातर साधक यही करने की कोशिश कर रहे हैं।

जब आप साधना करें तो उतने समय के लिए आपके दिमाग से इस पूरी दुनिया का अस्तित्व खत्म हो जाना चाहिए।
इसका मतलब हुआ कि कई चीजों की वजह से भटकने के बजाय बस किसी एक चीज पर केंद्रित होना। जिन्होनें ऐसा किया, अचानक उन्हें लगा कि उनमें काफी तीव्रता आ गई है। ऊर्जा उतनी ही थी, बस नोजल का मुंह छोटा हो गया और तीव्रता बढ़ गई। यह तो एक तरीका हुआ। लेकिन आप कई चीजें करना चाहते हैं और फिर भी तीव्रता बनाए रखना चाहते हैं। इसके लिए बहुत ज्यादा ऊर्जा पैदा करने की जरूरत होगी। और यह एक दिन में नहीं होगा। इसके लिए कोशिश करनी होगी, मेहनत करनी होगी। इसलिए इस परंपरा में आध्यात्मिक मार्ग पर हमेशा इस बात पर जोर दिया जाता है कि सबसे पहले आप अपनी सारी ऊर्जा हर ओर से हटाकर सिर्फ एक ही दिशा में लगाएं। तो आज के मौजूदा दौर में जब आप कई चीजों में उलझे हुए हैं और तीव्रता पाना चाहते हैं, तो कम से कम एक या दो घंटे जब आप अपनी साधना करें तो वह वक्त आप पूरी तरह से सब कुछ भूलकर साधना पर केंद्रित करें। जब आप साधना करें तो उतने समय के लिए आपके दिमाग से इस पूरी दुनिया का अस्तित्व खत्म हो जाना चाहिए। अगर उस निर्धारित समय में ही सही, आप बस एक चीज पर ध्यान केंद्रित कर पाने में सफल होते हैं तो अचानक आप देखेंगे कि एक नई तरह की तीव्रता आपके भीतर आ रही है।