प्रश्न: जब मैं अपने दोस्तों से योग या ध्यान की बात करता हूँ तो वे कहते हैं, ‘अरे नहीं, वह तो बूढे़ लोगों के लिए है। हमें इसकी ज़रूरत नहीं है।’ ध्यान और योग के बारें में ऐसी राय क्यों है कि यह बूढ़ों के लिए है, युवाओँ के लिए नहीं?

सद्‌गुरु: हो सकता है कि उनकी भेंट उसी तरह के लोगों से हुई हो। उन्होंने कैलेंडरों में छपे योगी ही देखे होंगे। उन्हें लगता है कि योग का मतलब है, जीवन में दिलचस्पी का ख़त्म हो जाना। मैं इसी सोच को बदलने की हर संभव कोशिश कर रहा हूँ।

मान लीजिए कि एक नौजवान के रूप में, आप कुछ ऐसा सीखते हैं जिसके लिए शारीरिक बल चाहिए - जैसे बाइक की सवारी, स्काई डाइव, हैलीकॉप्टर चलाना या स्कीईंग आदि। हो सकता है कि आपको जिसे सीखने में तीन सा पाँच साल लगें, मैं इस आयु में भी उसे तीन माह में सीख लूँ। आप ऐसा अपनी कम उम्र में करना चाहेंगे या तब करना चाहेंगे, जब आप मरने वाले होंगे?

छात्रः छोटी उम्र में ही सीखना चाहेंगे।

सद्‌गुरु: तब आपको निश्चित तौर पर योग करना चाहिए!

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सद्‌गुरु ने कैसे की थी योग सीखने की शुरुआत?

मैं बिलकुल ग़लत वजहों से योग सीखने लगा था। लेकिन जीवन की यही सुंदरता है - अगर आप ग़लत वजह से भी सही काम करते हैं तो यह कारगर होगा। जब मैं ग्यारह-बारह साल का था, तो हम गर्मी की छुट्टियों में अपने दादा के पुश्तैनी घर में जाया करते थे। पीछे आंगन में एक कुआँ था जिसका व्यास लगभग आठ फीट और गहराई डेढ़ सौ फीट होगी। गर्मियों में, जल-स्तर ज़मीन से साठ से सत्तर फीट नीचे हुआ करता था।

इस तरह मैंने तो ग़लत वजहों से योग शुरू किया। लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपने शुरू कैसे किया, अगर आप सही काम कर रहे हैं तो यह कारगर होगा।

हम लड़कों के लिए उसमें छलांग लगाना और उससे बाहर आना, एक तरह का खेल था। जब आप छलांग लगाते तो आपको यह काम संभल कर करना होता वरना आपका सिर दीवार से टकरा कर फट सकता था। बाहर आते समय कोई सीढ़ी या पैर टिकाने की जगह भी नहीं होती थी। केवल पथरीली चट्टान को ही पकड़ कर बाहर आना होता था। मैं बहुत भारी नहीं था, पर इसके बावजूद मेरे नाखूनों से खून आने लगता। चोट नहीं लगती थी पर अंगुलियों को पंजे बना कर लटकने के दबाव की वजह से ऐसा हो जाता था। मैं फिर भी बाज नहीं आता था। मुझे इस बात पर गर्व था कि मैं इस काम में बहुत अच्छा था।

एक दिन, लगभग सत्तर बरस का एक बू़ढ़ा आदमी वहीं खड़ा हमें देख रहा था। हमने उसे अनदेखा किया क्योंकि हमारे हिसाब से इतना बूढ़ा आदमी मरे हुए के बराबर ही था! फिर उसने कुछ कहे बिना अचानक कुएँ में छलांग लगा दी। मुझे लगा कि वह जिन्दा नहीं बचेगा पर वह तो मुझसे भी तेजी से ऊपर आ गया। मुझे यह पसंद नहीं आया। मैंने उससे पूछा, ‘यह कैसे हुआ?’ उसने कहा, ‘आओ, योग करो।’

मैं किसी पिल्ले की तरह उसके पीछे-पीछे चल दिया क्योंकि मेरे हिसाब से तो वह कोई सुपरमैन था। वह ऐसे काम कर सकता था जो युवक भी नहीं कर पाते थे।

इस तरह मैंने तो ग़लत वजहों से योग शुरू किया। लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपने शुरू कैसे किया, अगर आप सही काम कर रहे हैं तो यह कारगर होगा।

हमारा सिस्टम इस धरती की सबसे कॉम्प्लेक्स मशीन है

अगर आपके पास कोई फोन या गैजेट है तो आपको उसके बारे में जितनी ज्यादा जानकारी होगी, आप उसे उतना ही बेहतर तरीके से इस्तेमाल कर सकेंगे। इंजीनियरिंग यही तो है, हर चीज के बारे में और ज्यादा जानना ताकि आप इसका और बेहतर इस्तेमाल कर सकें। फिर इंसानी तंत्र के साथ ऐसा सच क्यों नहीं हो सकता? आप इसके बारे में जितना ज्यादा जानेंगे, इसका उतना बेहतर इस्तेमाल कर सकेंगे। बस यही योग है।

अगर आप इंसानी तंत्र को इस्तेमाल में लाने की सम्पूर्ण कला जानते हैं तो हम कह सकते हैं कि आपको आत्म-ज्ञान हो गया है। इसका मतलब ये नहीं कि आप स्वर्ग चले गए हैं।

आपको इस धरती पर जितने गैजेट मिलेंगे, उसमें से इंसानी तंत्र सबसे सॉफ़िस्टिकेटेड(कॉम्प्लेक्स) मशीन है। ऐसा क्यों है कि आपने कभी इसकी बारीकियों पर ध्यान नहीं दिया? इसका मतलब है कि आपने इसका यूज़र मैन्यूअल नहीं पढ़ा, और आप दुनिया में कोहराम मचाना चाहते हैं। यही वजह है कि शिक्षा जैसी सादी प्रक्रिया भी तनावपूर्ण होती जा रही है। अगर आप संसार में कुछ रचना चाहते हैं, तो आपके सामने और बहुत सी चुनौतियाँ आएंगी।

अगर आप इंसानी तंत्र को इस्तेमाल में लाने की सम्पूर्ण कला जानते हैं तो हम कह सकते हैं कि आपको आत्म-ज्ञान हो गया है। इसका मतलब ये नहीं कि आप स्वर्ग चले गए हैं। इसका मतलब है कि आप इस इंसानी तंत्र को सम्पूर्ण तरीके से जान गए हैं। आप जान गए हैं कि ये सिस्टम क्या-क्या चीज़ें कर सकता है। मैंने अपने जीवन में बस यही जाना है - मैं इस जीवन को इसके मूल से ले कर चरम तक जानता हूँ। लोगों को लगता है कि मैं सब जानता हूँ,यह उनकी समस्या है। मैं केवल इतना ही जानता हूँ।

संपादक की ओर से: कम से कम एक व्यक्ति को योग नमस्कार सिखाने के संकल्प के साथ आप भी योग वीर बनें। योग नमस्कार एक सादा और शक्तिशाली तंत्र है जो मेरुदंड को लोच(फ्लेक्सीब्लिटी) और शक्ति प्रदान करता है और बुढ़ापे की वजह से रीढ़ की हड्डी के धंसने को भी रोकता है। योग नमस्कार सद्‌गुरु एप्प पर भी उपलब्ध है। अगर आपने अभी तक एप्प डाउनलोड नहीं किया, तो अभी करें!