भूत प्रेत – खतरनाक होते हैं या सहायक?
सद्गुरु से एक साधक ने प्रश्न पूछा कि क्या भूत प्रेत आध्यात्मिक साधना में भी मदद कर सकते हैं? या फिर हमारे लिए परेशानी बन सकते हैं? सद्गुरु हमें बता रहे हैं कि भूत प्रेत वगैरह से बचने के लिए क्या किया है।
सद्गुरु से एक साधक ने प्रश्न पूछा कि क्या भूत प्रेत आध्यात्मिक साधना में भी मदद कर सकते हैं? या फिर हमारे लिए परेशानी बन सकते हैं? जानते हैं सद्गुरु का उत्तर
भूत प्रेत - क्या मार्गदर्शन कर सकते हैं ?
प्रश्न : सद्गुरु, क्या इन कायाहीन प्राणियों में से कोई हमारे लिए मार्ग-दर्शक का काम करता है या ये अपनी खुद की चीजों में व्यस्त रहते हैं?
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सद्गुरु: अगर इनको कुछ बेहतर पता होता तो ये मुक्ति पा चुके होते।
भूत प्रेत साधक के मार्ग में बाधा नहीं बन सकते
प्रश्न : तो क्या ये कायाहीन प्राणी एक साधक के मार्ग में बाधक हो सकते हैं? या वे साधक की सहायता कर सकते हैं?
सद्गुरु: मैं चाहता हूं कि आप यह समझिए कि एक साधक जो मोक्ष की तलाश में है, वह जो खोज रहा है - वह है स्वयं का विनाश, स्वयं को मिटाना।
हमारी परंपरा में, भारत में जो सबसे पहली चीज एक साधक करता है, वह एक भिक्षा-पात्र लेकर घूमता है, चाहे वह राजा ही क्यों न हो। एक भिखारी होने से बुरा एक मनुष्य के साथ और क्या हो सकता है? इसलिए एक राजा भिखारी होने का चुनाव करता है, वह पहले ही स्वयं के साथ सबसे बुरा - जितना संभव है - कर लेता है। अब इससे अधिक बुरा उसके साथ और क्या हो सकता है?
एक रविवार के दिन, एक छोटे-से सुंदर, सुहावने शहर के सभी लोग खूब सुबह जगे और वहां के एक स्थानीय चर्च में पहुंचे। उपासना सभा शुरू होने से पहले, शहर के लोग चर्च के अंदर बैठकर आपस में गपशप कर रहे थे, अपने जीवन और परिवार के संबंध में बातें कर रहे थे। अचानक चर्च के सामने शैतान प्रकट हो गया। सभी लोग चीखने-चिल्लाने लगे, उस दुष्ट पापी से बचने की व्यग्रता में लोग एक दूसरे को कुचलते हुए आगे दरवाजे की तरफ दौड़े। चर्च जल्दी ही खाली हो गया, वहां बस एक बुजुर्ग आदमी बच गया था। वह आदमी वहां बिना हिले-डुले, इससे बिल्कुल बेपरवाह कि ईश्वर का परम शत्रु उसके सामने है, शांतिपूर्वक बैठा हुआ था। यह देखकर शैतान थोड़ा-सा चकित हुआ। तो वह टहलते हुए उस आदमी के पास गया और बोला, ‘क्या तुम नहीं जानते कि मैं कौन हूं?’ उस आदमी ने जवाब दिया, ‘हां, जानता हूं।’ शैतान ने कहा, ‘अच्छा, क्या तुम मुझसे डर नहीं रहे हो?’ ‘नहीं, मैं डरता नहीं हूं’, उस आदमी ने कहा। यह सुनकर शैतान थोड़ा दुखी हुआ और बोला, ‘तुम मुझसे डर क्यों नहीं रहे हो?’ उस आदमी ने गंभीरतापूर्वक जवाब दिया, ‘पिछले अड़तालीस सालों से मैं तुम्हारी बहन से विवाहित हूं।’
तो कोई भी भूत भला एक साधक का क्या बिगाड़ सकता है?