भूत प्रेत - सच्चाई या भ्रम?
क्या भूत प्रेत वाकई में होते हैं, या ये सिर्फ कहानियों में ही पाए जाते हैं। क्या हर कोई मृत्यु के बाद भूत बन जाता है? जानते हैं जीवन के इस आयाम के बारे में
क्या भूत प्रेत वाकई में होते हैं, या ये सिर्फ कहानियों में ही पाए जाते हैं। क्या हर कोई मृत्यु के बाद भूत बन जाता है? जानते हैं जीवन के इस आयाम के बारे में
प्रश्न : सद्गुरु, भूत-प्रेत और आत्माओं के बारे में हम कई सारी कहानियां सुनते हैं, क्या वाकई भूत-प्रेत होते हैं?
भूत, प्रारब्ध खत्म होने से पहले शरीर छोड़ने पर बनते हैं
सद्गुरु : जिन्हें हम भूत-प्रेत या पिशाच कहते हैं, ये वे प्राणी हैं, जो अपना शरीर आम तौर पर अस्वाभाविक रूप से छोड़ते हैं। मान लेते हैं कि आपके पास मजबूत प्रारब्ध कर्म हैं, जो अभी समाप्त नहीं हुए हैं और आप किसी वजह से अपने शरीर को नुकसान पहुंचा लेते हैं, जैसे- किसी दुर्घटना में,फांसी लगाकर, खुद को गोली मारकर या हर दिन शराब पीकर आप अपना शरीर नष्ट कर लेते हैं।
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अगर कभी ऐसा हुआ कि वे आपको दिख गए, तो अपने खुद के अवरोध और सीमाओं के कारण हो सकता है कि वास्तव में आपका मन बेचैन हो जाए। मान लेते हैं कि आप किसी बिना सिर के आदमी को देख लेते हैं, तो समस्या क्या है? वैसे भी अधिकांश लोगों के पास सिर नहीं होता, या अगर उनके पास सिर होता भी है तो वह अधिक काम का नहीं होता। बात बस इतनी ही है कि अगर आप किसी बिना सिर के आदमी को देख लेते हैं तो आप तरह-तरह की विचित्र भावनाओं से गुजरने लगते हैं। यह एक मनोवैज्ञानिक स्थिति होती है, जिसका उन प्राणियों से कोई संबंध नहीं होता।
शरीरहीन प्राणियों की मौजूदगी
प्रश्न : फारेस्ट फ्लावर (ईशा की अंग्रेजी पत्रिका) के एक लेख में मैंने पढ़ा है कि एक व्यक्ति जो ध्यानलिंग की प्राण प्रतिष्ठा के समय वहां मौजूद था, उसने वहां शरीरहीन प्राणियों की उपस्थिति महसूस की, जो प्रतिष्ठा की कुछ खास प्रक्रियाओं के दौरान वहां मौजूद थे। यह मेरी तर्कबुद्धि की समझ से परे है। सद्गुरु, क्या आप इस पर थोड़ा प्रकाश डालेंगे?
सद्गुरु : अब, ‘थोड़ा प्रकाश डालना’... मुश्किल है। अपनी आंखों से आप केवल उसे ही देख सकते हैं जो प्रकाश को रोकता और परावर्तित करता है।
अब उनके संबंध में मैं जो भी बताने जा रहा हूँ, उस पर विश्वास मत कीजिएगा। इसके साथ ही साथ उसके ऊपर अविश्वास करने की भी मूर्खता मत कीजिएगा। जीवन कई आयामों में घटित होता है। मैं चाहता हूं कि आप स्वयं को इतना जरूर खुला रखिए। अब मैं इतना खुलकर और अतार्किक शैली में बताने जा रहा हूं कि आपको समझ के सामान्य स्तर से ऊपर उठकर देखने की जरूरत पड़ेगी। क्या आप जीवन के सभी आयामों की खोज करना नहीं चाहेंगे, चाहे वे जो कुछ भी हों? या आप केवल उसी की खोज करेंगे जो आपके लिए सुविधाजनक और आरामदायक है?
उनके कर्म ही उन्हें यहाँ वहाँ ले जाते हैं
सभी प्राणी, चाहे वे शरीरधारी हों या शरीरहीन हों, कई तरह से वे अपना जीवन अपनी कार्मिक संरचना के अनुसार जी रहे हैं या उसी के अनुसार वे सक्रिय हैं। जब आप शरीर में होते हैं, तो अपनी इच्छा का इस्तेमाल करने की ज्यादा संभावना होती है।