ईशा योग केंद्र : योग ओर विज्ञान का संगम
ईशा फाउंडेशन के संरक्षण में स्थापित ईशा योग केंद्र दक्षिण भारत के वेलंगिरि पहाड़ों की तलहटी में स्थित है। यह आंतरिक विकास का एक शक्तिशाली स्थान है जो दुनिया के सभी हिस्सों से लोगों को अपनी ओर खींचता है।
ईशा फाउंडेशन के संरक्षण में स्थापित ईशा योग केंद्र दक्षिण भारत के वेलंगिरि पहाड़ों की तलहटी में स्थित है। यह आंतरिक विकास का एक शक्तिशाली स्थान है जो दुनिया के सभी हिस्सों से लोगों को अपनी ओर खींचता है। यह योग के सभी चार प्रमुख मार्गों - ज्ञान, कर्म, क्रिया और भक्ति मार्ग, को सिखाने के लिए अनूठा केन्द्र है। इस केंद्र में बहुत से शक्ति स्थान हैं, जिन्हें शक्तिशाली तरीके से प्रतिष्ठित किया गया है।
ध्यानलिंग: योग विज्ञान का सार
ध्यानलिंग ऊर्जा का एक शक्तिशाली और अनूठा रूप है। 13 फीट 9 इंच की ऊंचाई वाला यह ध्यानलिंग विश्व का सबसे बड़ा पारा-आधारित जीवित लिंग है। 1999 में सद्गुरु द्वारा प्रतिष्ठित, पिछले दो हजार से भी अधिक वर्षों में, यह अपनी तरह का पहला लिंग है जिसकी प्रतिष्ठता पूरी हुई है। यह ध्यानलिंग योग मंदिर ध्यान के लिए एक अद्भुत स्थान है, जो किसी खास संप्रदाय या मत से संबंध नहीं रखता, ना ही यहां पर किसी विधि-विधान प्रार्थना या पूजा की जरूरत होती है। यह मानवजाति को धार्मिक विभाजन के परे शांति, समृद्धि और कल्याण के लिए एक साथ मिलकर विकास करने हेतु अनूठे और प्रबल अवसर प्रदान करता है।
इस स्थान के भीतर जो ऊर्जा है, वह किसी को शांति और मौन की गहनता का अनुभव कराने में सहायक है। इसके सामने प्रवेश द्वार पर सर्व-धर्म स्तंभ है, जिसमें हिन्दू, इस्लाम, ईसाई, जैन, बौध, ताओ, पारसी, यहूदी और शिन्तो धर्म के प्रतीक अंकित हैं। यह धार्मिक एकता और समान भाव से सबके स्वागत का प्रतीक है।
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लिंग भैरवी देवी: कृपा सिंधु देवी
लिंग भैरवी ईशा योग केंद्र में स्थित हैं। एक लिंग के रूप में विराजमान इस देवी की प्रतिष्ठा सद्गुरु द्वारा एक शक्तिशाली ऊर्जा के रूप में की गई थी। यह आठ फीट ऊंची प्रतिमा संघनित पारे से निर्मित है। लिंग भैरवी की प्रतिष्ठा एक दुर्लभ आध्यात्मिक प्रक्रिया के द्वारा की गई थी, जिसे प्राण प्रतिष्ठा कहते हैं। इस प्रक्रिया में जीवन-ऊर्जा का इस्तेमाल करके एक मामूली पत्थर को देवता के रूप में रूपांतरित करते हैं।
लिंग भैरवी की ऊर्जा मानव शरीर के तीन मूल चक्रों को मजबूती देती है जिससे इंसान का शरीर, मन और ऊर्जा प्रणाली स्थिर होते हैं। जो लोग जीवन को गहराई में जीना चाहते हैं, देवी की मौजूदगी और कृपा इस प्रक्रिया में उनकी मदद करती है। आध्यात्मिक सुख चाहने वाले लोगों के लिए यह कृपालु देवी रास्ते की बाधाओं को दूर करती हैं और उन्हें परम मुक्ति तक पहुंचाती है।
लिंग भैरवी अर्पण: देवी स्थान में कई तरह के चढ़ावे चढ़ाए जाते हैं, जिससे कि श्रद्धालुओं को देवी की अनंत कृपा का लाभ मिल सकें। साथ ही, स्थान में कई अनूठी रस्में होती हैं, जो जन्म से मृत्यु तक, जीवन के हर मोड़ पर मदद करती हैं। इन रस्मों को कुछ इस तरह बनाया गया है कि जीवन के हर अनुभव में ईश्वर के स्पर्श को महसूस किया जा सके।
आदियोगी आलयम: योग साधना का बेहतरीन स्थान
आदियोगी आलयम मानव चेतना को बढ़ाने के लिए सद्गुरु द्वारा प्रतिष्ठित एक पवित्र स्थान है। 82,000 वर्ग फुट स्थान में निर्मित बनावट और रूपरेखा की दृष्टि से अनूठा आदियोगी आलयम मानवता को एक अनमोल भेंट है।
‘‘हमने आदियोग आलयम का निर्माण इसीलिए किया है ताकि प्राचीन योग को उसके शुद्धतम रूप में वापस लाया जा सके। ऊर्जा की असाधारण समझ के बिना योग की शिक्षा नहीं दी जा सकती। यदि आप ऊर्जा-पात्र का निर्माण किए बिना योग की शिक्षा देते हैं तो वह योग नहीं है। आदियोगी आलयम का निर्माण मुख्य रूप से योग विज्ञान के लिए किया गया है। आप केवल हॉल में बैठे कर, वहां जो कुछ भी घटित हो रहा हो, उसके साथ अपना तालमेल बिठा लें तो आप सारे योग-सूत्र जान जायेंगे। यदि आप अपने शरीर की प्रकृति को ध्यान से समझना शुरू कर दें तो यह स्थान आपको इतनी तेजी से और इतने आगे तक ले जायेगा जिसकी आपने कल्पना भी नहीं की होगी। किसी भी तरह की ध्यान-प्रक्रिया जो किसी खास खोज से जुड़ी हो, असाधारण तरीके से पूरी हो जायेगी। यदि आप एक कदम आगे बढ़ाएंगे तो यह स्थान आपको एक और कदम आगे ले जायेगा। यह ऐसा ही है मानो सौ रुपये कमा लेने पर आपको सौ रुपये का बोनस मिल जाये। अच्छा सौदा है न?’’ - सद्गुरु
स्पंदा हॉल : भाव स्पंदन के लिए
इस केंद्र में 64,000 वर्ग फुट में फैला एक ध्यान केंद्र - स्पंदा हॉल और उद्यान स्थित है जो वास्तुशिल्प की दृष्टि से विशिष्ट है। इसमें योग कार्यक्रमों को आयोजित करने की सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं जहां विभिन्न समूहों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए कई आवासीय कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
‘‘स्पंदा’ का मतलब ‘आदिम या प्रारंभिक’ होता है। इस हॉल को हमने मुख्य रूप से भाव स्पंदन और सम्यमा कार्यक्रमों के लिए बनाया है - सम्यमा से भी ज्यादा भाव स्पंदन के लिए। यह विभिन्न संस्कृतियों और विचारों के आदान-प्रदान स्थल की तरह है। यह एक ‘मेल्टिंग पॉट’ की तरह है जिसमें किसी चीज को आसानी से पिघलाया जाता है। इस हॉल को कुछ इस तरह से प्रतिष्ठित किया गया है, इसकी प्रकृति कुछ ऐसी बनाई गई है कि यहां भाव स्पंदन कार्यक्रम बहुत ही आसानी से हो जाते हैं। यहां सब कुछ बहुत ही आसानी से पिघल जाता है।’’ - सद्गुरु
सूर्यकुंड और चंद्रकुंड: आपकी ग्रहणशीलता बढ़ाए
सूर्यकुंड और चंद्रकुंड पवित्र किए गए जल का एक कुंड हैं। यहां आने वाले लोग मुख्य मंदिर में जाने से पहले इनमें डुबकी लगाते हैं। विशाल ग्रेनाइट पत्थरों से तैयार किए गए चौकोर कुंड धरती में क्रमश: 20 फीट और 30 फीट गहरे हैं। सूर्यकुंड पुरुषों के लिए है जिसमें तीन रसलिंग हैं और चंद्रकुंड स्त्रियों के लिए बनाया गया है जिसमें एक रसलिंग प्रतिष्ठित है।
इनके जल को लगभग 660 किलोग्राम के डूबे हुए रसलिंग से ऊर्जावान बनाया गया है। इस जीवंत जल में डुबकी लगाने से आध्यात्मिक ग्रहणशीलता काफी बढ़ती है और साथ ही यह शरीर का कायाकल्प भी करता है। लोग ध्यानलिंग में जाने से पहले इसमें डुबकी लगाते हैं।