पिछले 25-30 वर्षों में, कुछ छोटे, पर अपनी आवाज़ चारों ओर फैलाने वाले शातिर गुटों ने बिना किसी तथ्य के ईशा फाउंडेशन की लगातार निंदा की है। आज, नकली समाचार, पेड मीडिया और सोशल मीडिया की मदद से ये गुट झूठ का एक व्यवस्थित जाल बुन रहे हैं, और ईशा फाउंडेशन को बदनाम करने के कपटी तरीके खोज रहे हैं। बावजूद इसके कि किसी भी सरकारी निकाय द्वारा एक भी अदालती मामला दायर नहीं किया गया है, इन समूहों ने कई बुरे मुकदमों की कल्पना की है और बार-बार फाउंडेशन को विवादों में फंसाने और प्रेस के माध्यम से फाउंडेशन की बुराई करने का प्रयास किया है। यहाँ तक कि कोविड-19 महामारी के चरम पर, शायद कुछ गैर-जिम्मेदाराना गुटों से ध्यान हटाने के लिए, यह अफवाह फैलाने का प्रयास किया गया कि ईशा योग केंद्र से ही कोरोना वायरस फैला है, जबकि वास्तव में परिसर के भीतर कोरोना का एक भी मामला सामने नहीं आया है। आज ईशा फाउंडेशन दुनिया भर में 1.1 करोड़ स्वयंसेवकों और एक अरब से अधिक अनुयायियों के जीवन को छू चुकी है। चूंकि उनके द्वारा बार-बार सच्चाई को प्रकाशित करने की अपील की जा रही है, इसलिए आज हम फैलाए गए ‘झूठों’ और ‘सच्चाई’ का एक संकलन प्रकाशित कर रहे हैं।