सदगुरु: हम नेतृत्व को कई तरह से देख सकते हैं पर मूल ढंग से दो अलग अलग तरह के नेता होते हैं। कुछ नेता व्यवस्था के हिसाब से चलने वाले, नियमशील होते हैं और कुछ नेता करिश्माई होते हैं। एक व्यवस्थित, नियमशील नेता को वही करना होता है जिसकी अपेक्षा उनसे की जाती है। उसकी जगह वे अगर कुछ और करते हैं तो उनको सराहा नहीं जाता। एक नियमशील नेता का काम आसान होता है क्योंकि उन्हें बस वही कर के दिखाना है, जिसकी उनसे अपेक्षा की जा रही है। वे व्यवस्था में से हो कर ही आगे बढ़ते हैं और व्यवस्था को समझते हैं। वे नेता हैं, पर अधिकतर, वे किसी मौजूदा ढांचे के मैनेजर की तरह ही हैं। 

कोई भी मनुष्य बिना प्रतिभा का नहीं होता। बस एक सही ढंग के वातावरण की ज़रूरत होती है, जिसमें ये प्रतिभा खिल सके

इन दो चीजों को कहीं न कहीं संतुलन में आना ही पड़ता है और आपको उनके बीच एकजुटता लानी पड़ती है। आपके अंदर प्रतिभा और व्यवस्था के बीच कुछ एकजुटता होनी जरूरी है जिससे लोग आपको समझ सकें, उसके साथ संबंध बना सकें और देख सकें कि उनके लिये ये कितनी उपयोगी है, नहीं तो कुछ भी ज्यादा देर नहीं चलता।  

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प्रतिभा बनाम तरीका 

अगर आप किसी भी गतिविधि को सफलता के साथ पूरी करना चाहते हैं तो निश्चित रूप से तरीका और व्यवस्था होने ही चाहियें पर साथ ही प्रतिभा भी ज़रूरी है। शायद नेता लोग अपनी प्रतिभा को साफ साफ व्यक्त नहीं कर सकते, वे सिर्फ अपने इस्तेमाल किये हुए तरीके ही समझा सकते हैं क्योंकि प्रतिभा कोई ऐसी चीज़ नहीं है जिसके बारे में बताया जा सके। बात बस इतनी है कि उनके जीवन के कई तरीकों से ही उनकी प्रतिभा साफ साफ झलकती है।

लोगों को हमेशा से ही इस 'तरीका बनाम प्रतिभा' के सवाल से परेशानी होती रही है। आप के पास एकदम सही तरीका हो सकता है पर फिर, ये भी हो सकता है कि आपका सारा जीवन साधारण ही रह जाये।  

इस पर से मुझे हेनरी फोर्ड के साथ घटी हुई एक सुंदर बात याद आती है। हमेशा से किसी भी प्रकार का काम करने वाली मशीनों में मेरी रुचि रही है। तो मेरे स्वभाव के हिसाब से मैं अधिकतर बड़े बड़े कारखानों को देखने जाता रहा हूँ, खास कर वाहन बनाने के कारखानों को। डेट्राइट में फोर्ड मोटर कम्पनी में मेरी एक मुलाकात के दौरान, अनुसंधान विभाग (रिसर्च डिपार्टमेंट) में, मैं एक सीनियर वैज्ञानिक के साथ बात कर रहा था, जो वहाँ 35 से भी ज्यादा सालों से हैं और जिनके पास सारी दुनिया में ऑटोमोबाइल्स में उपयोग किये जा रहे 52 से भी ज्यादा पुर्ज़ों के पेटेंट्स हैं। तो उस बातचीत के दौरान, उन्होंने मुझे ये घटना बतायी।

जीवन में आप की सफलता का स्तर मूल रूप से इस बात से तय होता है कि आपने अपने शरीर और मन का कितनी अच्छी तरह से उपयोग किया है ?

एक बार ऐसा हुआ ! हेनरी फोर्ड को पता चला कि फोर्ड मोटर कम्पनी में कई चीजें ऐसी थीं जो कुशलता से नहीं की जा रहीं थीं और हर तरफ अस्त व्यस्त ढंग से हो रहीं थीं। तो उन्होंने एक कुशलता विशेषज्ञ को काम पर लगाने का निर्णय किया। वह विशेषज्ञ आया और हर ऑफिस में गया, हरेक से मिला, अलग अलग तरीकों से उसने सभी मुख्य लोगों को काफी सही भी किया। फिर एक दिन उसने हेनरी फोर्ड से शिकायत की, "देखिये, मैं यहाँ सभी लोगों को ठीक कर रहा हूँ, पर एक आदमी है जो कुछ भी सुनता ही नहीं और ज्यादातर, जब भी मैं उसके ऑफिस में जाता हूँ, वो मेज पर पैर चढाये, सिगार पिता हुआ मिलता है। वो कुछ भी नहीं करता और वो कम्पनी में सबसे ज्यादा पैसा पाने वालों में से है। मैंने उसके बारे में पता लगाया, जासूसी की, वो कुछ भी नहीं करता। वो मेरी बात सुनने को भी तैयार नहीं है। आपको इस आदमी को निकालना होगा"।

हेनरी ने पूछा, "ये कौन है"? जब विशेषज्ञ ने उसका नाम बताया तो हेनरी बोले, "आप उसे छोड़ दीजिये।पिछली बार जब जब वो टेबल पर पैर रख कर सिगार पी रहा था तब उसको एक ऐसा विचार आया था जो करोड़ों डॉलर के फायदे वाला था। आप उसे परेशान मत कीजिये"।

तो, अगर हम ऐसी परिस्थिति नहीं बनाते जिसमें कहीं न कहीं, तरीके से भी आगे बढ़ कर कोई खास चमकदार चीज़ भी हो, तो जीवन बस साधारण ही रहेगा। पर फिर भी तरीका एक ऐसी चीज़ है जिसे आप हमेशा अपना सकते हैं क्योंकि प्रतिभा हर रोज, हर पल नहीं चमकती। कोई भी मनुष्य बिना प्रतिभा का नहीं होता। बस एक सही ढंग के वातावरण की ज़रूरत होती है, जिसमें ये प्रतिभा खिल सके।  

ये प्रतिभा आप के अंदर चमक सके, ऐसा अंदरूनी वातावरण तैयार करने के लिये एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि आप उन मूल वाहनों की ओर ध्यान दें जिनके साथ आप इस जीवन में यात्रा करते रहते हैं : शरीर और मन ! जीवन में आप की सफलता का स्तर मूल रूप से इस बात से तय होता है कि आपने अपने शरीर और मन का कितनी अच्छी तरह उपयोग किया है !

 

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