#1. छलाँग लगाने से पहले अच्छी तरह देखें

Sadhguru: जब एक बार हमने नया जन्म लेने का निर्णय कर लिया हो - किसी चीज़ को पूरी तरह से खत्म कर के कुछ ताज़ा, कुछ नया बनाने का निर्णय - तो इसमें बहुत सारी संभावनायें खुलेंगी। बहुत सारी संभावनाओं का मतलब ही है - भारी मुश्किल का काम । उनमें से किसी एक ऐसी संभावना की पहचान करना जिसके साथ आप आगे बढ़ना चाहें, भी अपने आप में एक कसरत है। अब समस्या ये है कि लोग किसी चीज़ में पहले कूद जाते हैं और फिर अपना दिमाग लगाते हैं। नहीं, ऐसा न करें। किसी चीज़ में कूदने से पहले आपको उसे ध्यान से देखना चाहिये क्योंकि एक बार कूद जाने के बाद, आगे बढ़ने के बाद, पीछे मुड़ कर देखना ठीक नहीं है। अगर आप लगातार पीछे देख कर अपने निर्णय कर रहे हैं तो आगे जाने का ये सही तरीका नहीं है।

#2. अपनी समझ बढ़ाईये, जीवन को वैसे ही देखिये, जैसा वो है

जब आप कारोबार के बारे में बात करते हैं, और उसमें कोई चीज़ असफल हो गयी हो तो उसे छोड़ देना आसान भी है और बहुत ज़रूरी भी, जिसे टाला नहीं जा सकता। ये हमेशा होगा। पर किसी सफल चीज़ को छोड़ कर, उसमें से कुछ नया बनाना हो तो आपमें दूरदृष्टि, साहस और एक खास स्तर का पागलपन होना ज़रूरी है। जीवन को देखने का ये पूरी तरह से एक अलग स्तर है। आपमें ये योग्यता होनी चाहिये कि आप कुछ ऐसा देखें जो दूसरे लोग न देख सकते हों। आपको ये देखना भी जरूरी है कि आप अभी जो कुछ भी हैं, क्या उसे छोड़ देने की योग्यता आपमें है - चाहे एक व्यक्ति के रूप में या फिर एक संगठन, एक संस्था के रूप में? और, ये भी कि क्या आप पूरी तरह से चीज़ को ख़त्म करना और फिर नई शुरुआत करना चाहते हैं, या आप थोड़ा ही ख़त्म कर के इसे नया बनायेंगे? ये वो निर्णय है जो परिस्थिति की वास्तविकता को जान-समझ कर, आपको उसी समय पर करना होगा।

अगर आप अभी जन्में हों, तो इसका मतलब होगा कि किसी भी चीज़ के बारे में आपके कोई निष्कर्ष नहीं हैं। आप हर चीज़ को इस तरह देखने के लिये तैयार हों जैसे कि आप बस अभी ही जन्में हों। अगर आप ये करते हैं तो आप अपने जीवन में से आराम से गुज़रेंगे, आप पर कोई प्रभाव नहीं होगा। एक बच्चा भी कुछ ही दिनों में सोचने लगता है कि वो सब कुछ जानता है। जब आपको ऐसा लगता है कि आप सब कुछ जानते हैं तो आप गलतियाँ करने लगते हैं, लड़खड़ाने लगते हैं। अगर, जीवन के हर पल में आप जीवन को ऐसे देखें कि जैसे आप अभी ही जन्में हैं तो आपको सब कुछ स्पष्ट, साफ दिखेगा। जब आप चीजों को साफ-साफ देखते हैं तो आप परिस्थितियों में से आराम से निकल जाते हैं। अगर आप जीवन को उसी तरह से देख पा रहे हैं जैसा कि वो है तो आपके पास जीवन को अच्छी तरह से चलाने की बुद्धिमत्ता है। अगर आप इसको उस तरह से नहीं देख पा रहे जैसा कि वो है तो आपकी बुद्धिमता आपके खिलाफ काम करेगी।

एक बार ऐसा हुआ। शॉर्लोक होम्स और वॉटसन पहाड़ों पर कैंपिंग करने गये। रात हुई और वे सोने चले गये। बीच रात में होम्स ने वॉटसन को कोहनी मारी और वॉटसन ने अपनी आँखें खोलीं।

होम्स ने पूछा, "तुम क्या देख रहे हो"?”

वॉटसन ने लेटे-लेटे ही ऊपर देखा और बोला, "मैं साफ आकाश और तारे देख रहा हूँ, काफी सारे तारे"

होम्स ने फिर पूछा, "तुम इसका क्या मतलब निकालते हो"?

वॉटसन ने कहा, "इसका मतलब है कि कल एक धूप भरा अच्छा दिन होगा। और तुम्हें क्या लगता है"?

होम्स, “इसका मतलब ये है, मेरे प्रिय वॉटसन, कि किसी ने हमारा टेंट चुरा लिया है"।”

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अपने जीवन के किसी भी हिस्से से सफलतापूर्वक निकलने के लिये आप जीवन को उसी तरह से देखें जैसा वो है। अगर आप कुछ भी सफलतापूर्वक करना चाहते हैं तो ये आपकी डिग्रियों से नहीं, बल्कि समझ की स्पष्टता से होगा। मूल रूप से, आप कितने सफल हैं वो बस, आपके आसपास, चारों ओर की वास्तविकताओं के बारे में आपकी समझ की स्पष्टता से होगा।

 

#3. ध्यान देने की आपकी योग्यता ही कुंजी है

जीवन की प्रक्रिया बहुत आसान है। जन्म लेना आपका काम नहीं है। ये आपके लिये कोई और करता है। अगर आप खाते हैं तो आपका शारीरिक विकास होगा। मानसिक रूप से, आपके आसपास प्रक्रियायें हैं जो आपको इस दिशा में या उस दिशा में आगे बढ़ाती हैं पर अगर आप इसमें से किसी में नहीं फँसते, और सिर्फ जीवन को देखते हैं तो सब कुछ सामने खुला हुआ है। “जीवन एक रहस्य है”, ऐसी कोई बात नहीं है। बात सिर्फ ये है कि लोग आँखें बंद कर के चलते हैं और इसीलिये ये सब उनको रहस्यमय लगता है।

अगर किसी मनुष्य को अपनी सीमाओं को तोड़ कर बाहर निकलना है तो सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण गुण है ध्यान देने का। किसी भी चीज़ को संभाल लेने की आपकी योग्यता आपके ध्यान देने के और बारीकी से देखने के स्तर के सीधे अनुपात में है। जितना ज्यादा ध्यान आप देंगे, उतनी ज्यादा योग्यता आपके पास होगी।

 

मैं एक बार हॉरवर्ड विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों के एक दल से बात कर रहा था, जो सभी बहुत ही सफल रहे हैं। वे कह रहे थे, "क्या आप जानते हैं, जब हम कॉलेज में थे तो कुछ लोग, जिनके लिये हम समझते थे कि वो बहुत ही सफल रहेंगे, ऐसा नहीं कर सके। हम में से वो, जो उलझन में थे, जो बाहर आने पर जानते नहीं थे कि अपनी ज़िंदगी के साथ क्या करेंगे, हमने संघर्ष किया, और कुछ बड़ा किया। जबकि वो ऐसा नहीं कर सके"।

मैंने पूछा, "क्या हुआ था"? तो वे उस पर चर्चा कर रहे थे और मूल बात जो सामने आयी वो ये थी - उन बहुत होशियार लगने वाले लोगों को बड़ी कंपनियों ने चुन लिया, उन्हें बहुत आरामदायक काम और बड़ा वेतन मिला और वे उसमें आराम से ठहर गये, और फिर वहीं रह गये। इन लोगों ने, जो नहीं जानते थे कि क्या किया जाये, बाहर जा कर सब चीजों को देखा और कुछ लोगों को बहुत अच्छे विचार आये। उन्होंने अपनी कंपनियां बनायीं। मतलब ये कि वे कठिन समस्याओं से संघर्ष कर के ऊपर आये। चूंकि कोई चीज़ तय नहीं थी, तो उन्हें हर बात पर ध्यान देना पड़ा। उन्होंने सारी दुनिया को बारीकी से देखा। ये लोग उन होशियार लोगों से सौ गुना आगे गये जो अपनी अच्छी, आरामदायक नौकरियों में टिक गये थे।

ध्यान देने की आपकी योग्यता, आपके लिये, किसी भी चीज़ में गहराई  से उतरने के लिये एक चाबी है, वो चाहे कुछ भी हो। आपका ध्यान देना जितना गहरा होगा, आप उतने ही गहरे उसमें उतरेंगे और उतनी ही ज्यादा सफलता भी आपको मिलेगी। मानवीय चेतना कुछ ऐसी है कि अगर आप पर्याप्त ध्यान देंगे तो सारा अस्तित्व आपके लिये खुल जायेगा, कोई और रास्ता है ही नहीं।

 #4 आप जो कुछ भी करें, उसमें अपना जीवन लगा दें

आप चाहे जिस रास्ते पर जायें, ऐसा नहीं है कि वो ही दुनिया की सबसे अच्छी चीज है। आप संसार में सबसे अच्छी चीज कभी नहीं कर सकते पर आप जिस किसी भी चीज़ में कूदें, अगर वास्तव में अपना जीवन उसमें लगा देंगे तो ये एक बहुत बड़ी बात बन जायेगी। कभी भी ये कोशिश मत कीजिये कि आप सबसे अच्छी चीज़ ही करेंगे। किसी से बेहतर करने की कोशिश में आप अपना जीवन बेकार गवाँ देंगे।

आगे जाने के लिये ये कोई अच्छा रास्ता नहीं है क्योंकि आप अपनी तुलना जिस व्यक्ति से कर रहे हैं, उसके बारे में आप सब कुछ नहीं जानते, पर हो सकता है कि वो लंगड़ा हो और उससे थोड़ा और ज्यादा तेज दौड़ सकने की वजह से आप अपने आपको चैंपियन मान बैठें। आपके दिमाग में ये विचार होना ही नहीं चाहिये कि आप किसी की तुलना में ज्यादा अच्छे हैं या ज्यादा खराब। जो बात आपको देखनी चाहिये वो सिर्फ ये है कि आप जो कुछ भी हैं उसका पूरा उपयोग होना चाहिये। जो भी कुछ आपके पास है, क्या आप उसको पूरी तरह से उपयोग में ला रहे हैं? योग का यही मतलब है। आपकी शारीरिक योग्यता, मनोवैज्ञानिक वास्तविकतायें और आपकी आंतरिक उर्जायें - क्या आप जैसे चाहते हैं, उनका उपयोग कर रहे हैं?

#5 अपनी आंतरिक परिस्थिति पर पूरा नियंत्रण रखिये

या तो आप अपने भाग्य को एक संयोग बनने दीजिये, या फिर इसे अपनी इच्छानुसार बनाईये, ये विकल्प आपके पास है। या तो आप परिस्थितियाँ को आपको बनाने दीजिये या फिर आप खुद परिस्थितियों को वैसा बनाईये, जैसा आप उन्हें चाहते हैं।

आप सोचते होंगे, "मैं अपनी पारिवारिक परिस्थिति को अपनी इच्छानुसार बनाना चाहता हूँ, पर दूसरे लोग मेरे साथ सहयोग नहीं करते"। लेकिन, आपको शुरुआत तो अपनी आंतरिक परिस्थिति से करनी चाहिये। आपने अपनी आंतरिक परिस्थिति को वैसा नहीं बनाया, जैसा आप चाहते हैं। तो आप ये कैसे सोच लेते हैं कि आप बाहरी परिस्थितियों को वैसा बना लेंगे जैसे आप चाहते हैं? बाहरी परिस्थितियों के साथ तो सैकड़ों अलग-अलग चीज़ें और शक्तियाँ काम कर रही हैं और ये आपके हाथ में नहीं हैं। पर आंतरिक परिस्थिति के लिये केवल एक ही सामग्री हैं - आप। ये बहुत महत्वपूर्ण है कि पहले आप अपनी आंतरिक परिस्थितियों को वैसा बनाना सीखें जैसा आप चाहते हैं। फिर, बाहरी परिस्थितियों को अपनी इच्छानुसार बनाने की आपकी योग्यता बहुत बढ़ाई जा सकेगी।

 

 

अधिकतर लोगों को ये पता ही नहीं है कि वे अपनी याददाश्त और कल्पनाओं को कैसे संभालें? जो कल हुआ या दस साल पहले हुआ था, क्या वो आज है? नहीं! जो कल होने वाला है, क्या वो आज, अभी है? नहीं! तो, दूसरे शब्दों में, आप उन चीज़ों से पीड़ित हैं जो हैं ही नहीं। ये बस पागलपन है। लोग कहते हैं, "ये तो मनुष्य का स्वभाव है"। पर, वास्तव में, ये मनुष्य का स्वभाव नहीं है। ये उन लोगों का स्वभाव है, जिन्होंने मनुष्य के स्वभाव का नियंत्रण अपने पास नहीं रखा है।

इस धरती पर मानवीय प्रणाली सबसे जटिल मशीन है। ये 'सुपर सुपर कंप्यूटर' है। पर क्या आपने इसकी यूसर मैनुअल यानि 'उपयोग पुस्तिका' पढ़ी है? योग का मतलब है इस किताब को कैसे पढ़ें, ये सीखना!

The human mechanism is the most complex piece of machinery on the planet. This is a “super-supercomputer.” But have you read the user’s manual? Yoga means learning to read the user’s manual.

        

ieo

 

संपादकीय टिप्पणी : 'इनर मैनेजमेंट'(आंतरिक प्रबंधन) नाम की किताब में सदगुरु की प्रखर प्रज्ञा की और भी बातें हैं जो हमें बाहरी प्रभावों से छुटकारा दिलाने के लिये एक नया आयाम खोलती है। ये किताब 'अपनी कीमत आप ही तय करें' के आधार पर ऑन लाईन मिल रही है। तो आप जो भी चाहें, भुगतान करें या निःशुल्क ही डाऊनलोड कर लें।

Inner Management