हर दिन - माँ का दिन
अपनी माँ के प्रति हमारे अंदर असीम प्रेम होता है, क्योंकि हमने अपने अस्तित्व की शुरुआत उसी के एक अंश के रूप में की थी। लेकिन हम इस प्रेम को और कई गुना बढ़ा सकते हैं, अगर हम इसे करीब से देखें कि सृष्टि में एक भी चीज ऐसी नहीं है, जिसके बिना हमारा अस्तित्व हो सकता है। ऐसा हो सकता है अगर हम अस्तित्व की हर चीज को एक माँ के रूप में देखें।
अपनी माँ के प्रति हमारे अंदर असीम प्रेम होता है, क्योंकि हमने अपने अस्तित्व की शुरुआत उसी के एक अंश के रूप में की थी। लेकिन हम इस प्रेम को और कई गुना बढ़ा सकते हैं, अगर हम इसे करीब से देखें कि सृष्टि में एक भी चीज ऐसी नहीं है, जिसके बिना हमारा अस्तित्व हो सकता है। ऐसा हो सकता है अगर हम अस्तित्व की हर चीज को एक माँ के रूप में देखें।
सद्गुरु:
इसलिए हम जन्म देने वाली माता और धरती माँ, दोनों के आभारी हैं और दोनों की कद्र करते हैं। हम इस माँ और उस मां दोनों के कारण यहां पर हैं। आपको अपने जीवन के हर दिन उन सभी चीजों और उन सभी लोगों की कद्र करनी चाहिए जो आपके जीवन को वैसा बनाने में योगदान कर रहे हैं, जैसा वह आज है।
अगर आप इस बात की कद्र नहीं करते, अगर आपने पूरी तरह अपनी चेतना खो दी है, तो ऐसा इसलिए है क्योंकि आप अपने दिमाग में चल रहे मूर्खतापूर्ण विचारों में ज्यादा व्यस्त हैं। आपके दिमाग में जो चल रहा है, वह इसलिए महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि आप अपने बारे में कुछ ज्यादा सोचते हैं।
अगर आप करीब से देखें तो सृष्टि में एक भी चीज ऐसी नहीं है, जिसके बिना आपका अस्तित्व हो सकता है। इसलिए मैं चाहता हूं कि आप हर चीज को एक माँ के रूप में देखें। आज वृक्ष- माता का दिन है, कल पर्वत- माता का दिन है, अगला दिन आपकी जैविक माँ का दिन है। ये दिन इसलिए निर्धारित किए गए हैं क्योंकि वैसे लोग अपनी माँ के बारे में कभी नहीं सोचेंगे। संस्कृतियां इसी तरह की बन गई हैं। लेकिन अगर आप थोड़े अधिक चेतन हैं, अगर आप अपने आप को याद दिलाएं और इसे इस तरह देखें, ‘अरे, यह पेड़ मुझे ऑक्सीजन दे रहा है। वे हर पल मेरी मदद कर रहे हैं।’ अगर आप सभी चीजों के साथ, जहां भी आप जाते हैं, यह भावना रखें, तो आप चैतन्य हो जाएंगे।
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