विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लू एच ओ) के अनुसार प्रति वर्ष लगभग 1.7 करोड़ लोगों की मृत्यु अकेले हृदय रोग से ही होती है। वर्ष 2012 के लिये उन्होंने एक मुद्दा दिया था, 'एक हृदय, एक घर, एक विश्व' और इस मुद्दे के साथ पूरे परिवार - माँओं और बच्चों समेत, सबमें हॄदय रोग की रोकथाम करने पर ध्यान केंद्रित किया गया था। ईशा ब्लॉग पर हम इस पहल का हिस्सा बनना चाहते हैं तथा महिलाओं में हृदय रोग (सीवीडी, कार्डियो वैस्क्युलर डिसीज़) के बारे में जागरूकता बढ़ाने में मदद करना चाहते हैं।

आम धारणा ये है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं को हृदय रोग कम होता है, पर ये आँकड़े एक ऐसी तस्वीर प्रस्तुत करते हैं जो इस आम धारणा के विपरीत है। आधुनिक शहरी जीवनशैली के साथ साथ ग़ैरजागरुकता, लापरवाही, तनाव के उच्च स्तर, और आहार में असंतुलन, महिलाओं में हृदय रोग बढ़ाने के मुख्य कारण हैं।

हृदय रोग का खतरा

क्या आप जानते हैं... कि सारे विश्व में, महिलाओं की मृत्यु का सबसे बड़ा कारण हृदय रोग है? केवल भारत में ही, पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को हृदय रोग ज्यादा होते हैं। और ये भी कि अमेरिका में मरने वाली हर 4 महिलाओं में से 1 की मृत्यु हृदय विकार के कारण ही होती है। चिंता का एक बड़ा कारण ये भी है कि ये संख्या बढ़ रही है, खास कर उन क्षेत्रों में, जहाँ रिफाइन किये गये खाद्य पदार्थ एवं आधुनिक जीवन शैली ज़्यादा प्रचलित हैं!

अनुमान ये है कि वर्ष 2030 तक, वर्तमान दर पर सीवीडी के कारण मरने वालों की संख्या सालाना 2.3 करोड़ तक पहुँच जायेगी और इन पीड़ितों में महिलाओं की संख्या अधिकतम होने की संभावना है। आम धारणा ये है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं को हृदय रोग कम होता है, पर ये आँकड़े एक ऐसी तस्वीर प्रस्तुत करते हैं जो इस आम धारणा के विपरीत है। आधुनिक शहरी जीवनशैली के साथ साथ ग़ैरजागरुकता, लापरवाही, तनाव के उच्च स्तर, और आहार में असंतुलन, महिलाओं में हृदय रोग बढ़ाने के मुख्य कारण हैं।

महिलाओं में हृदय रोगों के कारक

चाहे कोरोनरी हृदय रोग हो, टूटे हुए दिल के लक्षण हों, कोरोनरी माईक्रोवैस्क्युलर रोग हो या हृदय विफलता हो, इन सभी बीमारियों में योगदान देने वाले तत्व हमेशा लगभग वही होते हैं। उच्चतम जोखिम वाले कुछ कारक पुरुषों और महिलाओं के लिये एक समान हैं, जैसे मोटापा, उच्च रक्तचाप और उच्च कोलोस्ट्रॉल। लेकिन कुछ कारक ऐसे हैं जो महिलाओं में हृदय रोग को बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभाते हैं। इनकी सूची इस प्रकार है-

महिलाओं के लिये अच्छी खबर ये है कि केवल आहार और जीवन शैली में कुछ बदलाव ला कर हृदय रोग की संभावना को आसानी से समाप्त किया जा सकता है। इसमें बहुत अधिक प्रयास भी नहीं लगता है, छोटे छोटे बदलाव आप को स्वस्थ व खुशहाल रखने में मदद कर सकते हैं।

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तनाव और अवसाद: अध्ययनों ने साबित किया है कि मानसिक तनाव एक महिला के हृदय को, एक पुरुष के हृदय की तुलना में अधिक प्रभावित करता है। एक उदास महिला के लिये, अक्सर, स्वस्थ जीवन शैली अपनाना मुश्किल होता है।

धूम्रपान: पुरुषों की तुलना में महिलाओं के लिए धूम्रपान हृदय रोग के लिये अधिक जोखिमकारक माना जाता है।

रजोनिवृत्ति: एक महिला के शरीर में रजोनिवृति के बाद, एस्ट्रोजन का कम उत्पादन छोटी रक्त वाहिकाओं में सीवीडी बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण कारक है।

मेटाबॉलिक लक्षण: उच्च रक्तचाप, उच्च रक्त शर्करा, उच्च ट्राइग्लिसराइड्स और पेट के चारों ओर चर्बी का जमा होना, इन सब का मेल, चयापचय की प्रक्रिया को धीमा करता है जो कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं के लिये अधिक खतरनाक होता है।

इलाज की अपेक्षा रोकथाम बेहतर है

महिलाओं के लिये अच्छी खबर ये है कि केवल आहार और जीवन शैली में कुछ बदलाव ला कर हृदय रोग की संभावना को आसानी से समाप्त किया जा सकता है। इसमें बहुत अधिक प्रयास भी नहीं लगता है, छोटे छोटे बदलाव आप को स्वस्थ व खुशहाल रखने में मदद कर सकते हैं। सबसे महत्वपूर्ण परिवर्तनों में से एक आहार के बारे में है जो सारी दुनिया के डॉक्टर्स बताते हैं। रिफाइन किये हुए कार्बोहाइड्रेट और चर्बी वाले पदार्थों का सेवन कम करने तथा फल-सब्जियों से युक्त, अधिक प्राकृतिक आहार अपनाने की सलाह दी जाती है।

व्यायाम भी महत्वपूर्ण है - सप्ताह में 5 से 6 दिन, कम से कम 30 मिनट तेज़ चलने, दौड़ने, तैरने की सलाह दी जाती है। जितना हो सके, दिन भर शारीरिक रूप से सक्रिय रहना लाभकारी है। जितना अधिक आप अपने दिल का उपयोग करेंगे, उतना ही ये आप की सेवा करता रहेगा। आप की उम्र, जीवन शैली और पारिवारिक इतिहास के आधार पर नियमित जाँच भी रोग निवारण के मामले में दूर तक काम करेगी।

योग की भूमिका

दिल का दौरा और सीवीडी की रोकथाम में योग अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सबसे स्पष्ट लाभों में से एक है - तनाव की कमी। कई शोध अध्ययनों ने साबित किया है कि योग का नियमित अभ्यास तनाव और तनावपूर्ण स्थितियों में प्रतिक्रियाशीलता, दोनों को कम करने में मदद करता है। गुस्सा, थकान और खिंचाव भी कम हो जाते हैं और इसी तरह उच्च जोखिम के अन्य कारक जैसे उच्च रक्तचाप, उच्च रक्तशर्करा और उच्च कोलोस्ट्रॉल भी कम हो जाते हैं।

जोखिम कारकों की कमी के अतिरिक्त योग का हृदय पर भी सीधा और विशेष प्रभाव पड़ता है। स्वायत्त तंत्रिका प्रणाली (ऑटोमैटिक नर्वस सिस्टम, ए एन एस) के कार्य को योग सामान्य बना देता है। जब हृदय का ए एन एस संतुलित होता है तो उसकी शक्ति और क्षमता, दोनों ही बढ़ती हैं और हृदय कई प्रकार के सीवीडी से सुरक्षित रहता है। यह एक दिलचस्प बात है कि ईशा योग साधकों तथा गैर साधकों पर किये गये अध्ययनों में यह पाया गया कि साधकों का ए एन एस अधिक संतुलित होता है।

विश्व हृदय दिवस के अवसर पर हम आप के खुशहाल, स्वस्थ और ‘हार्दिक’ जीवन की कामना करते हैं।

Editor's Note: For more information on Yoga programs conducted by Isha Foundation, please visit http://isha.sadhguru.org/

Photo credit to Thomas Bower

Content credit to Mayo Clinic and Times of India