कैसे अनुभव करें जीवन की तीव्रता को?
इस बार के स्पॉट में सद्गुरु हमें सोशल मीडिया से बढ़ते जुड़ाव के बारे में बता रहे हैं। ऐसा क्यों है कि अपने जीवन की हर छोटी-छोटी बात को हम फेसबुक इत्यादि पर साझा करना चाहते हैं? जानते हैं सद्गुरु से
इस बार के स्पॉट में सद्गुरु हमें सोशल मीडिया से बढ़ते जुड़ाव के बारे में बता रहे हैं। ऐसा क्यों है कि अपने जीवन की हर छोटी-छोटी बात को हम फेसबुक इत्यादि पर साझा करना चाहते हैं? जानते हैं सद्गुरु से -
सोशल मीडिया का इस्तेमाल बुरा है?
मैं जहां भी जाता हूं, मुझे लोग अपने फोन से चिपके हुए मिलते हैं। कोई भी तकनीक अपने आप अच्छी या बुरी नहीं होती, यह इस पर निर्भर करता है कि हम इसका इस्तेमाल कैसे करते हैं।
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जीवन के अनुभव को विचारों और भावनाओं से आगे ले जाना होगा
आज आप चाहते हैं कि हर कोई जाने कि आपने क्या किया, आप कहां गए। लोग आपके जीवन के हर पल के बारे में जानें। आप ऐसी चीज़ों में महत्व तलाश रहे हैं, जो बिलकुल भी महत्वपूर्ण नहीं हैं।
दूसरों के अनुभवों को देखते हुए जीवन मत बर्बाद करें
इसी तरह से आप दूसरों के अनुभवों को देखते हुए अपना जीवन मत बर्बाद कीजिए। अगर आपका सारा ध्यान इस पर रहेगा कि दूसरों के साथ क्या हो रहा है तो आपके साथ कुछ नहीं होगा। आप एक दर्शक मत बनिए, बल्कि आप जीवन में भागीदार बनिए। कोशिश कीजिए कि आप जीवन में जो भी कर रहे हैं, उसकी प्रबलता को बढ़ा सकें। इसे कर के देखिए। चलिए इसे दूसरे तरीके से समझते हैं, मान लीजिए आप कुछ कर रहे हैं या देख रहे हैं तो उसे आप मौजूदा स्थिति से दस गुना ज्यादा प्रबलता से करें या देखें। हर इंसान की आंखें एक सा नहीं देखतीं। आपके अनुभव का स्तर इस पर निर्भर करता है कि आप चीजों को किस प्रबलता या तीव्रता से कर रहे हैं। अपनी प्रबलता को बढ़ाने के लिए आपको लगातार कुछ सचेतन प्रयास करने होंगे।
अनुभव जागरूकता के स्तर पर निर्भर करता है
ज्यादातर लोग आगे इसलिए नहीं बढ़ पाते, क्योंकि वह किसी तरह एक कदम आगे बढ़ाते हैं, लेकिन साथ ही एक कदम पीछे चले जाते हैं। अगर आप पूरे इरादे के साथ एक कदम आगे बढ़ाते हैं और आप इसे अंगीकार करते हैं, तो अगला कदम बढ़ाने के लिए आपमें जरुरी गति मौजूद होगी। प्रबलता या तीव्रता अपने आप नहीं आती। जब तक आप अपने जीवन की ऊर्जा को नहीं बढ़ाते, तब तक आप ज्यादा सचेत नहीं हो सकते। आप किस हद तक किसी चीज का अनुभव कर पाते हैं, यह इस पर निर्भर करता है कि आप कितने सचेत या चैतन्य हैं। मान लीजिए फिलहाल आप पूरी तरह से अचेतन हो गए, तो न तो आपको पता चलेगा कि आप यहां हैं और न ही आपको यह पता चलेगा कि आपके आसपास कोई दुनिया भी है।
चूंकि आप थोड़े बहुत चेतन हैं, इसलिए आपको पता है कि आप यहां है और आपके आसपास एक दुनिया है। अगर आप अपनी प्रबलता या तीव्रता को बढ़ा लें तो उसी के साथ आपकी चैतन्यता भी बढ़ जाएगी। आपको ऐसी चीज़ों का बोध होने लगेगा जिन चीज़ों के बारे में आपने उस क्षण तक कभी कल्पना भी नहीं की होगी। यह मेरी कामना और आशीर्वाद है कि आपके जीवन का हर एक पल वास्तव में आपके लिए लाभप्रद हो। बोर होकर मरने की अपेक्षा उत्तेजना में आकर मरना कहीं बेहतर है।