इस नवीनतम लेख में सदगुरु नव वर्ष का स्वागत करते हुए हमें पुनः स्मरण करा रहे हैं कि हमें मृत्यु के साथ, जो जीवन की एकमात्र निश्चित घटना है, कुछ ज्यादा ही निकट का संबंध रखना चाहिये। बड़े होते होते, हम मृत्यु को एक खराब चीज़ के रूप में देखते आये हैं पर सदगुरु यहाँ समझा रहे हैं कि साँस लेने और छोड़ने की तरह, हमें जीवन और मृत्यु, दोनों को ही गले लगाना चाहिये। यहाँ वे आप का मार्गदर्शन कर रहे हैं कि कैसे आप सही विकल्प चुनें और कैसे अपने अस्तित्व में चमकें ? जीवित मृत्यु के मूर्तरूप में होने से आप एक अलग संभावना की रचना करते हैं कि इस पृथ्वी पर कैसे आप अपना समय बितायें ?