प्रेम की मिठास
इस स्पॉट में, सद्गुरु प्रेम के बारे में एक अलग दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं और ‘प्रेम’ शीर्षक की अपनी नई कविता हमारे साथ साझा करते हैं। ‘प्रेम बस एक संबंध नहीं है, बल्कि है ऐसा गुब्बारा जो उठाता है, आपको असीम की सरहद तक।’ हम टेम्पा फ्लोरिडा में हाल ही हुए सद्गुरु के इनर इंजीनरिंग कार्यक्रम की स्लाइड्स भी प्रस्तुत कर रहे हैं।
अभी, आप किसी चीज को प्रेमपूर्वक तब तक नहीं देख सकते, जब तक कि वो किसी रूप में आपकी न हो। किसी चीज को पाने की लालसा अपूर्णता के भाव से आती है। आप चाहते हैं कि कोई चीज आपकी हो - वरना, आप उदास महसूस करते हैं। जब कोई चीज आपकी होती है, सिर्फ तभी आपकी भावनाएं मधुर होती है। अगर आप जानते कि अपने जीवन के हर पल अपनी भावनाओं को मधुर कैसे रखें, तो वो होने का सर्वोच्च तरीका होगा। अगर कोई आस-पास है, तो आप मधुरता को साझा कर सकते हैं। अगर कोई नहीं है, तब भी आप प्रेममय हो सकते हैं। आपकी भावना की आंतरिकता प्रेम हो सकती है। यह मत सोचिए कि जगत का अंतरतम प्रेम है। सिर्फ वही लोग जो प्रेम से वंचित हैं, कल्पना करते हैं कि ईश्वर प्रेम है, या जगत का अंतरतम प्रेम है। ऐसा नहीं है।
प्रेम एक मानवीय भावना है। जब इंसान पूर्वाग्रह-रहित और खुले होते हैं, उस पल में वे किसी को भी प्रेम से देखेंगे। ज्यादातर इंसान अधिकतर समय अकड़ में रहते हैं। प्रेम का अनुभव करने के लिए उनकी उसके साथ पहचान होनी जरूरी होती है जो उनके सामने है। वो उनका पिता, उनकी माता, उनका बच्चा, या कोई दूसरा होना चाहिए, जिससे किसी रूप में उनकी पहचान है। मैं प्रेम को भद्दा दिखाने की कोशिश नहीं कर रहा हूँ। प्रेम एक सुंदर चीज तब होती है जब वो आपके भीतर होती है। दूसरे लोग प्रेम के नाम पर आपके लिए जो करते हैं वो उनके लिए सुंदर होता है। आप उसकी सराहना कर सकते हैं। महत्वपूर्ण चीज यह नहीं है कि लोग आपसे प्रेम करते हैं बल्कि आप प्रेममय हैं। अगर कोई प्रेममय तरीके से बस इधर-उधर घूमता भी है, तो यह बहुत बढ़िया बात है। मैं लोगों को यहां-वहां अकड़ के साथ डींग मारते देखता हूँ, लेकिन जिस पल वो मुझे देखते हैं, वो अचानक श्रद्धापूर्वक झुक जाते हैं। इसका कोई लाभ नहीं है। इसे आपके भीतर बदलना होगा।
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अगर आप भक्तिवश हर चीज के सामने झुकते हैं, तब आपके साथ कुछ जबरदस्त हुआ है। वरना, आप बस पूर्वाग्रह ग्रस्त हैं, एक चीज को ऊंचा देखते हैं और दूसरी चीज को नीचा। निस्संदेह प्रेम और घृणा सिक्के के दो पहलू हैं। अगर यह एक तरफ गिरता है, तो वो प्रेम प्रसंग होता है। अगर वह दूसरी तरफ गिरता है, तो वो घृणा बन जाता है। अगर आप प्रेममय बन जाते हैं, तो यह आपके लिए जबरदस्त है। और यह आपके आस-पास हर किसी के लिए शानदार है, क्योंकि आपके साथ होना उनके लिए भी एक सुंदर अनुभव होगा। उन्हें भी इसकी छूत लग सकती है। अगर आप प्रेममय बन जाते हैं, फिर आप जो भी कर रहे हों, जो लोग आपके साथ हैं वो इसे अच्छे से ग्रहण करेंगे। कहीं पर, वो जान जाएंगे कि यह आपके अंदर से सही संदर्भ में आ रहा है। वरना, आप जो तथाकथित अच्छी चीजें करते हैं, वो भी आपके लिए बुरी बन जाएंगी।
प्रेम वो नहीं है जो आप करते हैं। प्रेम आपके होने का तरीका है। उसका मतलब है कि आपके अंदर भावनाओं की मधुरता आ गई है। अगर आप एक बरतन भी उठाएं, उसे आप बहुत प्रेम से करें। अगर आप किसी व्यक्ति को स्पर्श करें, उसे आप बहुत प्रेम से करें। अगर कोई आस-पास नहीं भी है, आप वहां प्रेमपूर्वक बैठें। आपको अपनी प्रेम की अवधारणा को बदलने की जरूरत है। प्रेम किसी दूसरे के बारे में नहीं है - यह आपके बारे में है। आपके भीतर भावनाओं की मधुरता के कारण, आपका जीवन सुंदर हो जाता है। सफलता या असफलता, चाहे जो भी हो, आपका जीवन मधुर होगा।
प्रेम
प्रेम, जैसा कई सोचते हैं
बस एक भावना ही नहीं है
बल्कि एक पटरी है जो दिशा देती है
हमारे विचार और भावना को,
अलगाव की बंजरता से
समावेशी अस्तित्व की फसल तक।
प्रेम बस एक संबंध नहीं है
बल्कि है ऐसा गुब्बारा जो उठाता है
आपको असीम की सरहद तक।