अनामिका या रिंग फिंगर में क्यों पहनते हैं अंगूठी?
सगाई की अंगूठी हो या पूजा पाठ की रश्में, हमारी संस्कृति में अनामिका यानी रिंग फ़िंगर को बहुत अहमियत दी गई है, आख़िर क्यों? इस चिंतन में सद्गुरु अनामिका उंगली की अहमियत पर चर्चा कर रहे हैं।
प्रश्न – सद्गुरु, आपने कहा है कि अनामिका उंगली या रिंग फिंगर अस्तित्व को खोलने की चाभी है। क्या आप विस्तार से इसे समझा सकते हैं?
सद्गुरु: यह इस पर निर्भर करता है कि आप किस चीज को खोलने की कोशिश कर रहे हैं। मसलन अगर आप कान को खोलना चाहते हैं, तो छोटी उंगली बेहतर है – यह मेरा सुझाव है। आजकल नए जमाने के बहुत से लोग अपने अंगूठे में अंगूठी पहन रहे हैं। यह कोई अच्छी चीज नहीं है, क्योंकि इससे आप कुछ खास तरह की ऊर्जा को आकर्षित करेंगे, जिन्हें आप संभाल नहीं सकते।
मगर अभी आप अनामिका उंगली की बात कर रहे हैं। ब्रह्मांड को भूल जाइए, आपके लिए सिर्फ एक ब्रह्मांड है, वह है यह मानव तंत्र। एक तरह से अनामिका उंगली इस मानव तंत्र को कई संभावनाओं के लिए खोल सकती है। कुछ संस्कृतियों में अगर आप किसी व्यक्ति को अपना वर या वधू बनाना चाहते हैं, और उनमें खुलापन लाना चाहते हैं. तो आप उनकी अनामिका उंगली में अंगूठी पहनाते हैं। इसकी वजह यह है कि कहीं न कहीं लोगों के अंदर यह समझ थी कि ऐसा करने पर कुछ खास चीजें होंगी। इसलिए वे इस खास उंगली का इस्तेमाल करते थे। अनामिका उंगली पर धातु पहनने का एक और पहलू यह था कि इससे शरीर का सिस्टम स्थिर होता है। इसके कई और आयाम भी हैं मगर सामान्य तौर पर देखें तो यह एक ऐसा रिमोट है जो आपके शरीर के कई आयामों को खोलता है।
इस मानव तंत्र को खोले बिना आप किसी ब्रह्मांड तक नहीं पहुंच सकते। अनामिका उंगली का संबंध वास्तव में ब्रह्मांड से नहीं है। इसका संबंध शरीर से, इंसानी तंत्र से है। अगर आप इसे खोलते हैं, फिर वहां ब्रह्मांड होता है। ब्रह्मांड हमेशा से ही मौजूद रहा है। बस आपने पहले उसे खोला नहीं था।
आपने मुझे कुछ खास तरीकों से अनामिका उंगली का इस्तेमाल करते देखा होगा। अनामिका उंगली के इस्तेमाल को जानने के लिए थोड़ी ट्रेनिंग की जरूरत है। अनामिका उंगली को यूँ ही अंगूठे से नहीं छूना चाहिए क्योंकि यह कई अलग-अलग रूपों में आपकी ऊर्जा को नष्ट कर देगा।
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