नींद और ध्यान में क्या अंतर है?
जब आप नींद में सपने से परे विशुद्ध नींद में चले जाते हैं, फिर उसके बाद जब आप अगली सुबह उठते हैं तो आप अपने भीतर शानदार महसूस करते हैं।
जागरूकता की दिशा में कदम बढाएं
हर सुबह जागते ही आप जागरूकता की दिशा में पहला कदम बढ़ाते हैं। अगर आप जागरूक होने की दिशा में कदम बढ़ाएं तो आप ध्यान करने लगेंगे। जब आप सोते हैं, तो आपकी सारी पहचान गायब हो जाती है। या अगर इसे दूसरे शब्दों में कहें तो जैसे ही आपकी पहचान चली जाती है, आप अपनी मूल प्रकृति की ओर वापस लौट आते हैं। यह प्रक्रिया अपने आप में शानदार है। नींद और ध्यान के बीच में अंतर यह है कि नींद में यह सब कुछ पूरी तरह से अचेतन तौर पर होता है।
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कई बार आप देखेंगे कि किसी खास दिन, अगर आप एक-दो घंटे या कितने भी समय के लिए गहरी नींद में सोते हैं, तो अगले दिन सुबह उठने पर आप अपने अंदर एक नई ताजगी, एक नया जीवन और एक नई ऊर्जा का संचार पाते हैं। ऐसे में यह मायने नहीं रखता कि आप कितनी देर सोए। ज्यादातर लोगों को रोज ऐसी नींद नहीं आती, केवल कुछ खास दिनों में ही ऐसी नींद आ पाती है। अगर आप अनजाने में भी अपने भीतर की उस पहचानहीन अवस्था को छू लेते हैं तो आपके साथ कुछ शानदार घटित होगा। लेकिन आप तो सपने में भी अपनी पहचान के साथ होते हैं। क्या आपने यह देखा है कि सपने में भी आप ‘आप’ ही होते हैं।
सपने से परे विशुद्ध नींद
हो सकता है कि आप सपने में खुद को कुछ शानदार स्थितियों में देखें, फिर भी आप, ‘आप’ ही रहते हैं। यानी सपने में भी आपकी पहचान बनी रहती है। लेकिन जब आप नींद में सपने से परे विशुद्ध नींद में चले जाते हैं, फिर उसके बाद जब आप अगली सुबह उठते हैं तो आप अपने भीतर शानदार महसूस करते हैं। तब आपके भीतर मुक्ति का और खुशहाली का एक नया भाव होता है, क्योंकि विशुद्ध नींद में आप अपनी मूल प्रकृति के संपर्क में थे। तब आप ऐसी अवस्था में थे, जहां आपकी अपनी कोई पहचान नहीं थी। उस समय किसी विशुद्ध चीज ने आपको छुआ, लेकिन यह सब अचेतन अवस्था में हुआ। अगर यही चीज जागरूकता में होती है, तो ध्यान घटित होता है।