कौन है भरोसे के लायक : तर्क या भीतरी अनुभव?
कभी कभी ऐसी स्थिति होती है कि हमारे मन के तर्क कुछ बोलते हैं, और हमारे भीतर का अनुभव कुछ और कहता है। ऐसे में किस पर करें विशवास- तर्क या अनुभव?
कभी कभी ऐसी स्थिति होती है कि हमारे मन के तर्क कुछ बोलते हैं, और हमारे भीतर का अनुभव कुछ और कहता है। ऐसे में किस पर करें विशवास- तर्क या अनुभव?
आपकी तार्किक सोच जैसी है, उसकी वैसी होने की वजह वो सामाजिक परिस्थितियां हैं, जिनमें गुजरते हुए आप बड़े हुए हैं। चूंकि आप खास तरह के हालातों से गुजरे हैं, इसलिए आपकी एक खास तरह की सोच बन गई है। आपके दिमाग में कुछ खास तरह की सूचनाएं एकत्र हैं, जिनकी मदद से आप सोचते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो जिसे आप तार्किक दिमाग कह रहे हैं, वह वास्तव में किसी और का दिमाग है, आपका नहीं। यह कूड़े का ढेर है, जिससे आप कुछ काम की चीज हासिल करना चाहते हैं।
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इस तरह विचार बड़ा ही धोखेबाज होता है, क्योंकि यह आपका है ही नहीं। यह दूसरे लोगों से ले कर इक्कट्ठा किया गया है। लेकिन आपके भीतर जो अनुभव होते हैं, वह किसी और के पैदा किए हुए नहीं हो सकते। विचार से ज्यादा अपने अनुभव पर भरोसा करना हमेशा बुद्धिमानी का काम है। आपको अपने भीतर जो भी सच्चे अनुभव हो रहे हैं, वे किसी और से प्रभावित नहीं हैं। ये आपके अपने हैं। अगर आप उन्हें पैदा कर रहे हैं और उनकी कल्पना कर रहे हैं तो बात अलग है। लेकिन सामान्यत: चाहे आप इच्छुक हों या न हों, अगर आपके अनुभव में कुछ घटित होता है, तो वह सत्य है।
ऐसा लगता है जैसे अनुभव और विचार का आपस में द्वंद्व है, क्योंकि आपके भीतर जो अनुभव के आयाम हैं वो इस जगत की उन गुत्थियों को खोलते हैं जो तार्किक नहीं हैं। विचार आपको केवल उन्हीं पहलुओं की जानकारी देता है जो तार्किक हैं।
आप जीवन के साथ तभी होंगे जब आप जीवन को महसूस करेंगे, उसका अनुभव करेंगे। अगर आप जीवन के बारे में सोचेंगे तो आप इससे दूर होते जाएंगे और जो सत्य है उसको समझने की संभावना को खत्म करते जाएंगे। सत्य से दूर जाना क्या है - बुद्धिमानी या बेवकूफी?
समस्या यह है कि तार्किक मन आपको यह विश्वास दिलाता है कि हर चीज को नकार कर आप बहुत बुद्धिमान बन जाते हैं। तर्क बहस में जीत जाएगा इसलिए यह अच्छा लगता है, लेकिन ऐसा है नहीं। जीवन का उद्देश्य है - इसे जीना और इसे जानना, इसलिए आपके अनुभवों में जो कुछ होता है, वह तर्क की तुलना में कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण होता है।