घर जो एक मंदिर बन गया
इस बार न्यूयॉर्क के लॉन्ग आइलैंड में रहने वाले स्कॉट टॉलचिन ने इनर इंजीनियरिंग को लेकर अपने अनुभव साझा किए हैं कि कैसे उन्होंने ईशा योग कार्यक्रम की मदद से न सिर्फ डिप्रेशन की अपनी पुरानी बीमारी से निजात पाई, बल्कि कई गंभीर तूफानों की चपेट से बाहर निकलने में भी कामयाब हुए।

साल 2011 में मैंने कई सालों से चले आ रहे क्लिनिकल डिप्रेशन से छुटकारा पाया। मुझे बीस की उम्र से ही डिप्रेशन की गंभीर समस्या हो गई थी। लेकिन मैं इसे ज्यादातर दवाओं के जरिए ठीक करता रहा। इस बीच जब मेरा डॉक्टर रिटायर हो गया, तो नए डॉक्टर ने मेरा गलत निदान करके मुझे एक अलग तरह का डिप्रेशन बता दिया। उसके गलत इलाज का नतीजा यह हुआ कि मेरे अगले छह साल नरक के समान बीते। फिर साल 2010 के आखिर में मुझे नया डॉक्टर मिला, जिसने मेरा सही इलाज किया और ठीक दवाओं की मदद से मैं उस नरककुंड से वापस लौटा। मैं सामान्य जीवन जीना चाहता था, मैं मरीज बनकर रहने की बजाय एक पति के रूप में जीना चाहता था, मैं एकाकी रहने की बजाय एक पिता बनकर रहना चाहता था, मैं अपने काम पर वापस लौटना चाहता था। लेकिन उसी साल अगस्त में जब मैं थोड़ा सामान्य होने लगा तो मेरी सास के कैंसरग्रस्त होने की बात सामने आई और मेरे घर का एक हिस्सा तूफान आईरीन में बर्बाद हो गया। इन सबको मेरी पत्नी अकेली नहीं संभाल पा रही थी। मैं चाहता था कि चीजों को संभालने में मैं उसकी मदद करुं।
इस कमरे की ऊर्जा अन्य कमरों से अलग है
अक्टूबर 2012 को मेरा घर एक बार फिर सैंडी तूफान में तहस-नहस हो उठा। यह तूफान पिछले तूफान से ज्यादा ताकतवर और खतरनाक था। इस तूफान ने हमारे घरों को पूरी तरह से नष्ट कर दिया। यह न सिर्फ हमारे घर के कुछ हिस्सों को, बल्कि मेरे घर के पास रहने वाले लोगों के घरों को भी उड़ा ले गया। इसी बीच मेरी सास का कैंसर फिर सक्रीय हो उठा। मेरी पत्नी और मुझे लग रहा था कि हम वक्त में बुरी तरह से घिर गए हैं। अब हमें लगभग एक साल तक दोबारा घर बनाने में जुटना था और मेरी सास को फिर से उन्ही दिक्कतों का सामना करना था। घर पूरी तरह से ठीक तो नहीं हुआ, लेकिन तकरीबन नौ महीने में काफी हद तक ठीक हो गया। इस दौरान मेरी सास की तबियत भी सुधर रही थी। मैंने अपने ध्यान कक्ष को फिर से वैसा ही बना लिया, जैसा वह तूफान आईरीन से पहले हुआ करता था और एक बार फिर यह मेरी शरणस्थली बन गया। इसे मैं अपना पावन और प्रतिष्ठित स्थान समझता हूँ और यहां हर उस व्यक्ति को जाने की अनुमति है, जो इस जगह का सम्मान करता हो। मेरे परिवार के लोग इस कमरे का इस्तेमाल योग, नृत्य, कला से जुड़े कामों, ध्यान करने के लिए, प्रेरक वीडियो देखने या चुपचाप शांतिपूर्वक बैठने के लिए कर सकते हैं। इस कमरे की ऊर्जा और बाकी घर की ऊर्जा में एक अंतर साफ नजर आता है। जो भी आदमी इस कमरे में पहुंचता है, वह यह फर्क साफ तौर पर महसूस कर सकता है। जहां तक मेरा सवाल था तो यह कमरा न सिर्फ मुझमें शांति लाता है, बल्कि मेरे भीतर से सारे बाहरी भटकावों को हटाकर मुझे अपनी क्रिया और अभ्यास करते रहने में मदद करता है। एक बात तो तय है कि इस कमरे के बिना मैं अपने ध्यान ओर योगाभ्यास को उतनी नियमितता से नहीं कर पाता, जितना मैं अब करता हूं। इस जगह पर बैठ कर अभ्यास करना मेरे शारीरिक और मानसिक संतुलन और खुशी का एक जबरदस्त जरिया बना है।
प्रतिष्ठित कमरे से निकलने पर मूड बेहतर हो जाता है
मैं हमेशा कहता हूं कि बिना क्रिया के मेरा दिन लगभग वैसा ही है, जैसे बिना सूरज की रोशनी का दिन। यकीन मानिए कि मैं इसे बढ़ा चढ़ाकर नहीं बता रहा। जिस दिन मैं क्रिया करता हूं और जब मैं क्रिया नहीं कर पाता, उन दोनों दिनों में जीवन में हालातों का सामना करने और खुशी महसूस करने में साफ फर्क महसूस किया जा सकता है। जिस दिन मैं क्रिया नहीं कर पाता, उस दिन मैं बाहरी लोगों और हालातों से आसानी से प्रभावित हो उठता हूं। जल्दी ही उत्तेजित, गुस्सा, उदास और आलसी हो जाता हूं।
सभी को प्रेरणा देता है ये मंदिर
मेरे बच्चों के सामने यह एक सुंदर उदाहरण है कि हालात के साथ कैसे तालमेल बैठाते हैं और खुद को संतुलित करते हैं। मुझे उन्हें यह सब चीजें बतानी या समझानी नहीं पड़ती। उन्हें ये सब दिख जाता है। मेरे बच्चे देखते हैं कि जहां दूसरे माता-पिता अपने काम से लौटकर अपनी थकान मिटाने के लिए शराब का सहारा लेते हैं, वहीं वे देखते हैं कि मुझे ऐसी किसी चीज की जरूरत नहीं है। और जो दिन मेरे काफी भागदौड़ और तनाव भरे होते, उन दिनों मैं घर लौटकर शराब का सहारा लेने की बजाय अपनी क्रिया करके खुद को शांत करता हूँ और अपनी थकान मिटाता हूँ। अपने बच्चों को सही या गलत का उपदेश देने से बेहतर है कि उनके सामने सही काम का आदर्श पेश किया जाए। अंत में मैं कह सकता हूं कि इस आकर्षक और सुखद माहौल वाले स्थान ने मेरी काफी मदद की है। यह न सिर्फ डिप्रेशन से बाहर निकलने का एक जरिया बनी, बल्कि इसने मुझे एक बेहतर पिता और पति बनने के लिए जरूरी ऊर्जा और धीरज भी दिया। जो भी व्यक्ति यहां आता है, वह इससे आकर्षित व प्रेरित हुए बिना नहीं रह पाता। यहां आने वाला हर व्यक्ति खुद के लिए भी एक ऐसी जगह बनाने की प्रेरणा पाता है।
इनर इंजीनियरिंग जैसे कार्यक्रमों में सिखाई जाने वाली दैनिक ध्यान क्रियाओं के प्रति समर्पित होकर कोई भी आदमी अपने यहां इस तरह का शांतिपूर्ण स्थान तैयार कर सकता है, जो उसे खूबसूरत और अनुकूल माहौल दे सके।Subscribe