गौरीकुंड पार्वती के स्नान की निजी जगह है। इसलिए हमेशा इससे एक दूरी बना कर रखी गई। श्रद्धालुओं का मानना है कि वह आज भी वहां रोज आकर स्नान करती हैं। ऐसे में किसी को वहां जाना या नहाना नहीं चाहिए, क्योंकि यह पार्वती की निजी जगह है। चाहे आप स्त्री हों या पुरुष, आपको वहां जाने से बचना चाहिए, क्योंकि कम से कम इतनी निजता और पवित्रता तो आपको उनके लिए जरुर बनाए रखनी चाहिए।

भारत में ये एक पुरानी परम्परा है

यह परंपरा प्राचीन काल से ही रही है, क्योंकि उस समय में लोगों को रोकने के लिए कोई अवरोध जैसी चीज नहीं हुआ करती थी। यहां तक कि कुछ दशक पहले तक समाज में यह व्यवस्था चलती थी - गांवों में सुबह ऐलान हो जाता था कि गांव की औरतें गांव के तालाब, झरने या नदी पर नहाने जा रही हैं।

यह परंपरा प्राचीन काल से ही रही है, क्योंकि उस समय में लोगों को रोकने के लिए कोई अवरोध जैसी चीज नहीं हुआ करती थी।
इस ऐलान का मतलब हो गया कि कोई भी पुरुष उस समय वहां नहीं जाएगा। उन दिनों महिलाओं के नहाने के लिए गुसलखाने, दरवाजे या चारदीवारी की आड़ जैसी चीजें नहीं हुआ करती थीं। अगर यह कहा गया कि महिलाएं नहा रही हैं और कोई वहां नहीं जाएगा तो वाकई वहां कोई नही जाता था। उन्होंने इतनी मर्यादा बनाए रखी। जो लोग थोड़ी रोमानी तबियत के होते थे, वे तालाब या नदी के रास्ते पर औरतों की वापसी का इंतजार करते थे, ताकि वे उन्हें वापसी में भीगे कपड़ों में देख सकें। लेकिन उनमें भी इतनी शालीनता होती थी कि वे नहाने की जगह पर औरतों के नहाने के वक्त नहीं जाते थे।

यही तो इस संस्कृति की कोमलता है कि ‘चूंकि पार्वती वहां नहाती हैं, इसलिस हमें वहां नहीं जाना चाहिए।’ कितनी खूबसूरत बात है! अब अगर आप यह कहें कि नहीं, मैं क्यों नहीं वहां नहा सकता? कहां है पार्वती? तो यह सिर्फ सोच में सूक्ष्मता की कमी है, और कुछ नहीं। आपके नहाने के लिए आखिर पूरी मानसरोवर झील पड़ी हुई है, जो इतनी बड़ी है कि आप मजे से डुबकी लगा सकते हैं। ऐसे में गौरी कुंड जैसे छोटे से ताल को पार्वती के लिए छोड़ देना अच्छी बात होगी।

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अगर हम कहते हैं कि ‘यह कैलाश है, आप इस पर पैर मत रखिए, सिर्फ इसके आगे झुकना है या इसको नमन करना है। अब ऐसे में कोई अहंकारी व्यक्ति आकर कहे कि ‘मैं तो इस पर चढऩा चाहूंगा, मैं इस पर चढ़ूंगा; देखता हूं मुझे क्या होता है?’ तो ऐसे मोटी बु़द्धि वाले लोगों का आप क्या करेंगे। इसमें पहाड़ों पर चढ़ने की क्षमता का सवाल नहीं है, यह अपने आप में व्यक्ति की खासी निर्लज्जता या मूढ़ता है। आप किसी दूसरे पहाड़ पर भी चढ़ कर मर सकते हैं। आखिर इसी पर्वत पर क्यों चढ़ना है? आप कहेंगे- ‘नहीं, मैं कैलाश पर ही चढ़ना चाहता हूं, क्योंकि...।’ आप जो भी जगह देखते हैं, आपको उस पर बस चढ़ना है, अपने कदमों के निशान छोड़ने हैं। कुछ चीजों को यूं ही अकेला छोड़ दीजिए, जिंदगी की अपनी कुछ खास खूबसूरती है।

मनसरोवर के बारे में आपने जो कुछ सुना या पढ़ा है, वह सब वहां जाने के अनुभव के सामने कुछ भी नहीं है। वहां जाकर ही आप महसूस कर पाएंगे कि वह क्या है। आखिर ऐसी कौन सी बात है?  मानसरोवर – एक अद्भुत व अनूठी झील

रावण ने डुबकी लगाकर अपने होश खो दिए थे

आप राक्षसताल में डुबकी मारना चाहते हैं? आपका स्वागत है। अगर आप रावण के कुल के हैं तो आप इसमें डुबकी मार सकते हैं। लोग कहते हैं कि इसमें डुबकी मारने के बाद रावण ने अपने होश खो दिए थे।

कहा जाता है कि इसके पानी में कुछ खास तरह की प्राकृतकि गैसें मिली हुई हैं, जो पानी को थोड़ा जहरीला सा बनाती हैं। 
रावण एक बहुत बड़ा भक्त, बतौर राजा एक महान प्रशासक और बेहद प्रतिभाशाली इंसान था। वह शिव की आराधना करने कैलाश पर गया था। शिव के पास जाने से पहले रावण नहाना चाहता था, इसलिए उसने राक्षस ताल में डुबकी मार ली। नहाकर जब शिव से मिलने चला तो रास्ते में उसकी नजर पार्वती पर पड़ी। शिव के पास पहुंच कर रावण नें उनकी स्तुति की। उसकी इस भक्ति से शिव बहुत प्रसन्न हुए। प्रसन्न होकर उन्होंने रावण से कहा कि ‘अच्छा बताओ तुम्हें क्या चाहिए?’इस पर उस मूर्ख ने कहा, ‘मुझे आपकी पत्नी चाहिए।’ आखिर इस दुनिया में लाखों और भी महिलाएं थीं, राजा होने के नाते वह उन्हें पा सकता था, लेकिन आप जिसकी पूजा कर रहे हैं उसी से कह रहे हैं कि मुझे आपकी पत्नी चाहिए। यह भी कोई बात हुई?

उस ताल में प्राकृतिक ज़हरीली गैसें पाई जाती हैं

लोग कहते हैं कि उसकी बुद्धि इसलिए फिर गई, क्योंकि उसने राक्षसताल में डुबकी मारी थी। उस ताल में नहाने से उसके दिमाग में ऐसे गलत विचार आए। अब यह तो हमें पता नहीं कि ताल में नहाने से उसका दिमाग में यह जहर भरा या वह दक्षिण से ही ऐसी सोच के साथ आया था, लेकिन ऐसा हुआ था, यह बताया जाता है। इसके पीछे एक वैज्ञानिक कारण भी बताया जाता है। कहा जाता है कि इसके पानी में कुछ खास तरह की प्राकृतकि गैसें मिली हुई हैं, जो पानी को थोड़ा जहरीला सा बनाती हैं। हो सकता है कि इसके पानी से आप मरें नहीं, लेकिन इसका आप पर कुछ नकारात्मक असर हो सकता है। इसलिए जो लोग संवेदनशील हैं उनका कहना है कि यह ताल नहाने के लिए ठीक नहीं है। लेकिन मानव का खोजी दिमाग ऐसा हो गया है कि वह हर चीज खुद करके देखना चाहता है। उसे राक्षसताल और गौरी कुंड में डुबकी लगानी ही है और यह जानना है कि क्या होता है।

संपादक की टिप्पणी:

कैलाश पर्वत को विश्व के कई धर्मों में सबसे पवित्र स्थल के रूप में जाना जाता है। पर साथ ही ये एक ऐसी जगह है जहां की यात्रा बहुत कम लोग कर पाते हैं। पढ़ें कैलाश मानसरोवर की एक यादगार यात्रा का वर्णन … कैलाश मानसरोवर यात्रा का अनोखा अनुभव