महाभारत कथा : कैसे मिले द्रौपदी को पाँच पति?
द्रौपदी को अकसर ‘पाँच पतियों वाली’ के रूप में जाना जाता है। लेकिन उसे कैसे और क्यों मिले पाँच पति? क्या पांडवों की अन्य पत्नियां भी थीं? जानते हैं।

आपने पढ़ा: द्रौपदी के स्वयंवर में अनेक क्षत्रिय वीर योद्धा आए थे, जिनमें कर्ण भी था। लेकिन जब कोई स्वयंवर की शर्त को पूरा नहीं कर पाया तो द्रौपदी के भाई धृष्टद्युम्न से इजाज़त लेकर ब्राह्मण के वेश में पहुँचे अर्जुन ने मछली को वेध कर स्वयंवर जीत लिया। इससे अपमानित क्षत्रिय राजाओं ने धृष्टद्युम्न को मारने के लिए अपनी-अपनी तलवारें निकाल लीं। अब आगे… भीम, नकुल, सहदेव और अर्जुन खड़े होकर लड़ने के लिए तैयार हो गए। भीम ने एक छोटा पेड़ उखाड़ लिया और धृष्टद्युम्न की ओर जाने वाले हर किसी को उससे मार गिराया। अर्जुन ने धनुष उठाया और चारों ओर हाहाकार मचा दिया। फिर यादव भी उनकी मदद के लिए आ गए। उन्होंने साथ मिलकर स्थिति पर काबू पा लिया। द्रौपदी ने अर्जुन को वरमाला पहना दी। अर्जुन और उसके चारों भाई उसे लेकर अपनी मां के घर पहुंचे।
कुंती उस समय भोजन पका रही थी। जब भी वे लोग ब्राह्मणों के भेष में भोजन की भिक्षा मांगने जाते तो जो कुछ मिलता, उसे लौटकर मां के चरणों में रख देते। भोजन को बांटना कुंती का काम था, वह हमेशा उसे दो भागों में बांटती – एक हिस्सा भीम के लिए, दूसरा बाकी चार भाइयों के लिए।
माँ कुंती का आदेश
वे अंदर आए और कहा, ‘मां, देखो आज हम क्या लेकर आए हैं।’ ऊपर देखे बिना, वह बोली, ‘वह जो भी है, आपस में बांट लो।’
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महर्षि व्यास की सलाह
द्रुपद के लिए यह बहुत अपमान की बात थी कि कोई स्वयंवर के बाद उनकी बेटी को लौटा दे। फिर भी, उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि उन्हें क्या करना चाहिए।
अर्जुन के मामले में ये बात बिलकुल सही होती। ‘तो यह तुम्हारी मर्जी है – तुम अपने पति के साथ कम समय तक बहुत बढ़िया प्रेम संबंध का आनंद उठा सकती हो मगर समय के साथ उसे अपने भाईयों और मां से अलग होने का अफसोस होगा और वह तुम्हें इसका जिम्मेदार मानेगा। दूसरा विकल्प है कि तुम इस विवाह से ही इंकार करके वापस अपने पिता के पास जा सकती हो। मगर फिर कोई दूसरा महान योद्धा तुमसे विवाह के लिए आगे नहीं आएगा क्योंकि फिर वे तुम्हें एक पुरस्कार की तरह नहीं देखेंगे। तुम हमेशा के लिए अविवाहित रह कर अपने पिता के घर में रह सकती हो, जो कुछ समय बाद तुम्हारे भाई को पसंद नहीं आएगा। या फिर तुम इन पांच पुरुषों से विवाह कर सकती हो। अगर ये पांच भाई साथ रहे, तो वे अपनी किस्मत खुद लिखेंगे और दुनिया पर राज करेंगे। और उनकी पत्नी के रूप में तुम्हें उनको साथ रखने का गौरव हासिल होगा। तुम्हारे पास ये तीन विकल्प हैं। जिसे चाहो चुन लो।’
व्यास ने द्रौपदी को पिछले जन्म की याद दिलाई
इन विकल्पों से झटका खाकर, वह अचेत हो गई। वे उसे वापस होश में लाए। फिर व्यास ने एक कदम आगे जाकर उसे दिखाया कि अपने पिछले जन्म में वह नल और दमयंती की बेटी थी।
कृष्ण ने दिया वैवाहिक समझौते का सुझाव
कृष्ण ने हस्तक्षेप करके द्रौपदी और उसके पांच पतियों के बीच एक वैवाहिक समझौते का सुझाव दिया। उन्होंने उससे कहा, ‘एक साल तक हर भाई के साथ रहो। अगर उस एक साल के दौरान दूसरा भाई अनजाने में भी तुम्हारे शयनकक्ष में आ जाए, तो उसे एक साल के लिए जंगल जाना पड़ेगा।’ उन्हें दूसरी पत्नियों को इस व्यवस्था के बाहर रखने की अनुमति दी गई मगर वे पत्नियां महल में नहीं रह सकतीं थीं। द्रौपदी पांचों पांडव भाइयों को एक साथ जोड़कर रखने वाली शक्ति बन गई। इसने उन्हें अपनी नियति को प्राप्त करने की दिशा में समर्थ बनाया, जो था इस देश पर राज करना। द्रुपद के साथ संबंध जुड़ने से वे और भी शक्तिशाली हो गए और फिर वापस हस्तिनापुर चले गए।