चक्रों में फंसिए मत, इनकी सवारी कीजिए
क्या कभी आपको ऐसा लगता है कि आपके जीवन में हालात दुहराए जा रहे हैं। तो क्या यह भ्रम है या फिर सचमुच ऐसा होता है, आइए जानते हैं इसका रहस्य -
सद्गुरु: जीवन में अधिकतर लोग एक ही जैसे चक्रों से गुजरते हैं, हालांकि परिस्थितियां अलग-अलग होती हैं। पहली बार आपके जीवन में कुछ वाहियात तब घटा था, जब आप स्कूल में थे।
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अगर आप इस धरती पर एक देह मात्र हैं तो आप जानते हैं कि आप किस तरफ बढ़ रहे हैं। हर पल आप अपनी मृत्यु के नजदीक जा रहे हैं। जीवन को यदि हम खेल समझें तो फिर वह आनंद है। फिर जीवन के कई रूप सामने आ सकते हैं। जब हर जोड़ दुखने लगता है तो इंसान को डर लगने लगता है कि अब अंत निकट आ रहा है। भौतिक जीवन के लिए यह विकास का क्रम है। इसे समझने के लिए आपको इससे गुजरने की जरूरत नहीं है।
दरअसल, आप खुद इतने समझदार या बुद्धिमान हैं कि बस इसे आराम से बैठ कर देखिए, चीजें अपने आप साफ हो जाएंगी। लेकिन यह हमारी खुशकिस्मती है कि हम महज एक देह या शरीर नहीं हैं, इससे परे हमारे और भी आयाम हैं। अगर आपकी मानसिक दशा या भावनात्मक दशा की बात करें तो या तो यह लगातार विकसित हो सकती है या फिर चक्रों में फंस सकती है। हो सकता है कि अभी आपको दूसरे आयामों की जानकारी न हो, लेकिन वहां भी आप या तो फिर चक्रों में फंस सकते हैं या कहीं और जा सकते हैं। अगर प्रक्रिया निर्धारित हो तो आप चीजों को आसानी से नहीं बदल सकते। लेकिन इस प्रक्रिया में अगर कुछ अंतराल पर अस्थिरता या बाधा आती है तो फिर इसमें बदलाव की संभावना काफी बढ़ जाती है।
अगर आप जीवन में बेहद संतुलित और संयोजित हैं तो यह चक्र आपके जीवन में हर बारह या साढ़े बारह साल पर आएगा। अगर आप उतने संतुलित नहीं हैं तो यह दौर आपके जीवन में इसके चौथाई समय यानी तीन साल या उससे कुछ अधिक समय में आ जाएगा। यह उससे पहले, हर सोलह से अठ्ठारह महीने यहां तक कि हर तीन महीने में भी आ सकता है। इसका सबसे लंबा चक्र एक सौ चवालीस साल का होता है, जो महाकुंभ मेला होता है। मैं इसके और ज्यादा गणित में नही जाऊंगाए वर्ना लोग चीजों को अपने लिए और जटिल बना लेंगे। लेकिन एक बात तय है कि इस पूरी व्यवस्था या प्रणाली में हर चीज चक्रीय है यानी एक चक्र में चलती है। यह पृथ्वी चक्रों में घूम रही है, इसी तरह चंद्रमा भी एक चक्र में घूम रहा है। ऐसे में अगर आप एक खास तरह की जागरूकता और दृढ़निश्चय के साथ नहीं उठ खड़े होते तो जाहिर है आप भी इस चक्रीय गति का हिस्सा बन जाएंगे। यह चक्र बंधन की वजह भी बन सकते हैं या फिर इन चक्रों की मदद से आगे भी बढ़ सकते हैं।
ज्योतिष शास्त्र और आध्यात्मिकता में सिर्फ इतना ही फर्क है कि ज्योतिष में आपको यह बताया जाता है कि कैसे ये चक्र आपको बांधते हैं। जबकि आध्यात्मिकता की प्रक्रिया बताती है कि कैसे आप इन चक्रों से निजात पा सकते हैं। हम चक्रों को नकार नहीं रहे, क्योंकि उन्हें नकारना मूखर्ता होगी। निश्चित रूप से चक्र होते हैं। दरअसल जीवन के ये चक्र महासागर की लहरों की तरह होते हैं, जिन पर या तो आप सवार हो जाते हैं या फिर वे आपको पटक कर डुबो देती हैं।
इसलिए फिलहाल अगर आपकी जिंदगी चक्रों और उसकी पुनरावृत्तियों या दोहरावों से गुजर रही है तो आप कहीं नहीं पहुंच सकते। यही समय है कि आप अपने ढर्रे या ढांचे को बदलें। मैं चाहता हूं कि आप अपने जीवन के इन चक्रों पर गहराई से गौर करें। देखें कि यह आपके साथ हर तीन महीने में हो रहा है, या फिर हर सोलह से अठ्ठारह महीने में, या फिर हर सवा तीन साल में ऐसा होता है, अथवा यह हर बारह साल में एक बार हो रहा है। अब इतने भर से आप तरह-तरह की कल्पनाएं करना शुरू मत कीजिए। हालांकि यह सच है कि भले ही आप नोटिस कर पाएं या नहीं, लेकिन ये चीजें होती हैं। ऐसा नहीं है कि ये सिर्फ आपके मानसिक या भावनात्मक परिस्थतियों में होता है, बल्कि अगर आप जागरूक हैं तो पाएंगे कि आपके आसपास की भौतिक परिस्थतियां भी अपने आपको दोहराती हैं। यह इतना विचित्र है, कि यहां तक कि भौतिक परिस्थितयां भी हूबहू उसी तरह घटित होती हैं।
सवाल है कि आप अपने चक्रों के बारे में क्या कर सकते हैं, अगर यह हर तीन महीने में सामने आ रहे हैं तो हम इन्हें हर सोलह से अठ्ठारह महीनों की ओर ले जाने का प्रयास कर सकते हैं। अगर यह हर सोलह से अठ्ठारह महीनों में घट रहे हैं तो हम इन्हें खींचकर तीन सालों या बारह सालों की तरफ ले जा सकते हैं। यहां तक कि हम इन्हें एक सौ चवालीस सालों की तरफ खींच सकते हैं। या फिर सबसे महत्वपूर्ण तो यह है कि हम इन चक्रों को चकमा देने की कोशिश करने की बजाय इन पर सवार भी हो सकते हैं।
मैं तो अपने चक्रों की सवारी कर रहा हूं। फिलहाल मैं अपने बारह साल के चक्र की तरफ बढ़ रहा हूं। मेरे जीवन में जब भी यह दौर आता है, मेरी जिदंगी बदल जाती है। अपने पूरे वजूद के साथ आप मेरे साथ रहिए, अपनी किस्मत को बर्बाद मत कीजिए। बेशक, आप इसके आनंद को चूकिए नहीं।