8 सूत्र आत्म ज्ञान के बारे में
पढ़ते हैं आठ सूत्र आत्म ज्ञान के बारे में

पढ़ते हैं आठ सूत्र आत्म ज्ञान के बारे में...
1. आत्मज्ञान उस सत्य का साक्षात्कार है, जो पहले से ही मौजूद है।
2. आत्मज्ञान का बीज हर प्राणी में मौजूद है। आत्मज्ञान कोई ऐसी चीज नहीं है जो बाहर से आती है। आत्मज्ञान सिर्फ एक बोध है।
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3. आत्मज्ञान में कोई सुख नहीं होता, कोई पीड़ा नहीं होती - बस होता है एक बेनाम आनंद, परमानंद।
4. न तो किसी औरत को आत्मज्ञान मिल सकता है और न ही किसी पुरुष को। आत्मज्ञान की संभावना तभी बनती है जब आप लिंग भेद से ऊपर उठ जाते हैं।
5. एक देश के रूपांतरण के लिए ज्ञानोदय की जरूरत नहीं है - बस थोड़ी सी समझदारी और अपने आसपास रहने वाले हर इंसान के प्रति प्रेम की जरूरत है।
6. आत्मज्ञान का अर्थ है - जीवन के एक नए आयाम में प्रवेश करना। यह भौतिकता से परे का आयाम है।
7. आत्मज्ञान कोई बिग-बैंग धमाके की तरह नहीं होता है। यह निरंतर जारी रहने वाली प्रक्रिया है।
संपादक की टिप्पणी:
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