सद्‌गुरुपढ़ते हैं क्रोध से जुड़े कुछ कोट्स। इन कोट्स में सद्‌गुरु क्रोध को समझने के आठ अलग अलग दृष्टिकोण प्रस्तुत कर रहे हैं।

1. अगर आप क्रोध के वश में आकर काम करते हैं, तो ये क्रिया नहीं है, ये प्रतिक्रिया है। प्रतिक्रिया की अवस्था, गुलामी की अवस्था है।

रूपांतरण

 

2. क्रोध और नाराजगी ऐसे ज़हर हैं, जिन्हें आप खुद पीते हैं और दूसरों के मरने की उम्मीद करते हैं। पर जीवन इस तरह काम नहीं करता। अगर आप इन्हें पीयेंगे, तो आप ही मरेंगे।

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3. तनाव, क्रोध, डर या किसी भी तरह के नकारात्मक भाव को महसूस करने का बुनियादी कारण बस एक ही है - आप अपनी अंतरात्मा से अनजान हैं।

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4. क्रोध खुद को जहर देने की तरह है।

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5. डर, गुस्सा, नाराजगी, और तनाव सभी जहर हैं, जो आप अपने दिमाग में पैदा करते हैं। अगर आप अपने दिमाग को अपने काबू में ले लेते हैं, तो आप आनन्द का रसायन भी पैदा कर सकते हैं।

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6. आपका गुस्सा आपकी समस्या है - इसे खुद तक ही सीमित रखें।

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7. चाहे आप इसे अपराध-बोध कहें, डर, गुस्सा, या घृणा कहें – इसका मूल अर्थ यह है कि आपके विचार और भावनाएं आपके खिलाफ काम कर रही हैं।

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8. जब आप पर कोई गुस्सा करता है तो आप पसंद नहीं करते, लेकिन आप सोचते हैं कि दूसरों पर गुस्सा करना एक समाधान है।

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संपादक की टिप्पणी:

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