युवाओं जुड़ो सत्य से! एक महीने चलने वाले कार्यक्रमों का सिलसिला है, जिसमें सद्गुरु भारत के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में जा कर युवाओं को समझ तथा स्पष्टता देंगे।

युवावस्था - अदभुत कोलाहल का समय

किसी भी व्यक्ति की जीवंतता उसके जीवन के प्रति जिज्ञासु और उत्सुक होने के सीधे अनुपात में होती है – जो जितना जिज्ञासु होगा, उतना ही जीवंत भी होगा। युवावस्था जीवन के सबसे अधिक जीवंत भागों में एक है। यह समय स्वाभाविक रूप से मन में उठते रहने वाले उन लाखों प्रश्नों के कारण आश्चर्य से भरा रहता है जो हर चीज़ के बारे में उठते हैं। उद्देश्यों, सफलता, असफलता, स्वप्न, आकांक्षा, भावना, बुद्धिवादी तर्क-वितर्क के बावजूद भी बहुत से प्रश्न - कुछ स्पष्ट और बहुत से अस्पष्ट - रह ही जाते हैं।

सत्य को जानने के लिये एक सच्चा प्रश्न सबसे अच्छा साधन है। यह उन सरल, एकतरफी जवाबों से संतुष्ट नहीं होता, जो दुनिया ने अनिश्चितताओं से निपटने के लिये खोज रखे हैं। इन सब परेशान करने वाली उलझनों के बीच, किसी को सच्चा मार्ग कैसे मिल सकता है, या, क्या कोई सच्चा मार्ग है भी?

युवाओं जुड़ो सत्य से! सद्‌गुरु द्वारा शुरू की गयी एक पहल है जिससे युवाओं को उनकी अधिकतम क्षमता हासिल करने में मदद मिलेगी। ये अभियान उन्हें ज़रूरी स्पष्टता, समझ और संतुलन देगा।

युवाओं जुड़ो सत्य से! से जुड़ने लगे हैं छात्र

 

 

जब हमने कार्यक्रम से पहले कई विद्यार्थियों से बात की तो उन्होंने कहा कि वे सद्‌गुरु को व्यक्तिगत रूप से देखने एवं सुनने के लिये बहुत उत्सुक हैं। कुछ ने उनके यू ट्यूब विडिओ देखे थे, या उन्हें टीवी पर देखा था, तो कुछ अन्य ने उनके बारे में बस सुना ही था। लेकिन वे सभी कार्यक्रम की प्रतीक्षा कर रहे थे। कुछ युवा इस कार्यक्रम के उद्देश्य से पूरी तरह अनजान थे, लेकिन जब हमने उन्हें युवाओं जुड़ो सत्य से! के बारे में बताया तो उनके रुख में एकदम बदलाव दिखा और उन्होंने स्वीकार किया कि उनके पास ऐसे कई प्रश्न हैं जिन पर उन्हें स्पष्टता चाहिए।

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कुछ ने उनके यू ट्यूब विडिओ देखे थे, या उन्हें टीवी पर देखा था, तो कुछ अन्य ने उनके बारे में बस सुना ही था।

आइये, अब सभागृह के भीतर के दृश्य पर नज़र डालें। सद्‌गुरु की प्रतीक्षा कर रहे विद्यार्थी आराम से आपसी बातचीत में लगे थे लेकिन जैसे ही सद्‌गुरु आये, वातावरण अचानक आदर से भरपूर शांति में बदल गया और विद्यार्थियों ने खड़े होकर तालियों के साथ उनका स्वागत किया। वे सद्‌गुरु को अपना प्रेम-पूर्वक अपना मुख्य अतिथि कह कर संबोधित कर रहे थे।

तनाव को मैनेज करें, या उसे ख़त्म कर दें

जब सत्र शुरू हुआ तो विद्यार्थी प्रश्नोत्तर के लिये आगे आए। पहला प्रश्न तनाव प्रबंधन(मैनेजमेंट) के बारे में था। प्रश्न पूछने वाले विद्यार्थी ने कहा कि ये प्रश्न उसके कई सारे दोस्त पूछना चाहते थे। सद्‌गुरु की तात्कालिक प्रतिक्रिया यह थी कि अनचाही चीज़ का प्रबंधन(मैनेजमेंट) करना चाहिये या उसे पूरी तरह समाप्त कर देना चाहिये? फिर उन्होंने विश्वविद्यालय के युवाओं को परेशान करने वाले इस प्रश्न पर विस्तार से चर्चा की।

खेतीबाड़ी के विद्यार्थी होने के करण उनका महत्वपूर्ण प्रश्न यह था कि भारत मुख्य रूप से खेतीप्रधान है, तो राष्ट्र की जी.डी.पी. में खेती का योगदान सबसे अधिक क्यों नही है?

अन्य प्रश्नों में कुछ थे - बलात्कारियों को कैसे दण्डित किया जाए, अगर अज्ञानता में परम शांति है तो फिर लोग इतना ज्ञान क्यों प्राप्त करना चाहते हैं, गलत ढंग के स्नेह प्रदर्शन से कैसे बचें, अन्दर के डर को कैसे संभालें और अपने जीवन में युवाओं को किस बात पर अधिक फोकस करना चाहिये। खेतीबाड़ी के विद्यार्थी होने के करण उनका महत्वपूर्ण प्रश्न यह था कि भारत मुख्य रूप से खेतीप्रधान है, तो राष्ट्र की जी.डी.पी. में खेती का योगदान सबसे अधिक क्यों नही है?

अलग-अलग विषयों पर पूछे गए प्रश्न

फिर विद्यार्थियों के एक दल ने सोशल मीडिया पर सर्वाधिक लोकप्रिय प्रश्नों को पढ़ा, जिनका उत्तर सद्‌गुरु ने दिया। इनमें से कुछ थे — नये लोगों से मिलने की चिंता को कैसे संभालें, सोशल मिडिया पर समाचार के रूप में फैलने वाली गलत जानकारी देने के चलन को युवा कैसे रोकें और आलसीपन तथा टालमटोल के स्वभाव पर कैसे विजय पायें?

मजा तब आया जब एक अन्य कन्या ने अपना प्रश्न इस तरह शुरू किया, “सद्‌गुरु, मेरे प्रिय...” ।

Students of Tamil Nadu Agricultural University listening to Sadhugru and the moderators at the Youth AND Truth in their University | The Pulse of Youth AND Truth - TNAU

 

सोशल मीडिया के प्रश्नों के बाद श्रोताओं के प्रश्नों की झड़ी लग गयी। एक प्रश्न जिस पर आश्चर्यजनक रूप से लोगों ने बहुत ध्यान दिया और जिसे बहुत सराहा गया - वह एक युवती द्वारा सद्‌गुरु से पूछा था कि उनकी सफलता का राज़ क्या है। उसने यह भी टिपण्णी की कि उन्होंने जितना कुछ किया है वह एक जन्म में नही किया जा सकता। मजा तब आया जब एक अन्य कन्या ने अपना प्रश्न इस तरह शुरू किया, “सद्‌गुरु, मेरे प्रिय...” ।

सत्र के शुरुआत में जो श्रोता शांत थे, वे भी अब काफी खुला-खुला महसूस कर रहे थे और प्रतिक्रिया दे रहे थे। जब सद्‌गुरु ने जवाब देते हुए श्रोताओं के साथ बातचीत शुरू की तब बहुत सी बार श्रोताओं के हाँ, ना सुनने को मिल रहे थे। विद्यार्थियों के पास अलग-अलग ढंग के बहुत अच्छे प्रश्न थे। इन प्रश्नों में शामिल थे - “क्या तमिलनाडु को एक स्वतंत्र राष्ट्र होना चाहिए?”, “क्या आध्यात्मिकता आजकी समस्याओं का हल हो सकती है” और “मुझे अपने जीवन के साथ क्या करना चाहिये”?

Sadhuru interacts with students of TNAU under a banyan tree | The Pulse of Youth AND Truth - TNAU

 

संपादक का नोट : चाहे आप एक विवादास्पद प्रश्न से जूझ रहे हों, एक गलत माने जाने वाले विषय के बारे में परेशान महसूस कर रहे हों, या आपके भीतर ऐसा प्रश्न हो जिसका कोई भी जवाब देने को तैयार न हो, उस प्रश्न को पूछने का यही मौक़ा है! - unplugwithsadhguru.org
 

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