मैंने कुछ लोगों को देखा है जो हमेशा यही रट लगाए रहते हैं, ‘बहुत बिजी हूं भाई, भागमभाग चल रही है, मेरे पास वक्त ही नहीं है’।

इंसान का मन किसी भी चीज में पूरा संतोष नहीं पाता। हमेशा और... और... की मांग करता रहता है। उसे संतुष्ट करने के विचार से अगर आप मेहनत करने लगे तो उसका कहीं अंत नहीं होगा। किसी ने आपके ऊपर जोर नहीं डाला है कि सारे काम आपको ही करने होंगे। बहुत से काम ऐसे हैं जिन्हें आपने अपनी मर्जी से कंधे पर ले रखा है।

सभी लोगों को दिन में केवल चौबीस घंटे मिले हैं। इतने समय के अंदर क्या कर सकते हैं और क्या नहीं, इसकी क्षमता हर इंसान में अलग होती है। आपका शरीर, मन और ऊर्जा किस हद तक एक साथ मिलकर काम करते हैं इसके आधार पर ही यह बात तय हो सकती है कि आपसे कितना काम संभव है। तीनों में तालमेल न होने पर आपको चाहे जितना समय मिले, काफी नहीं होगा।

क्या आपकी क्षमता का पूर इस्तेमाल हो रहा है?

समय बीत जाने के बाद किए जाने वाले अनेक काम निरर्थक(बेमतलब) हो जाते हैं। यह अहम नहीं है कि आप कितने घंटे काम करते हैं। उतने घंटों में आप कितनी देर अपनी क्षमता का पूरी तरह से इस्तेमाल करते हुए काम करते हैं, यही आपकी कामयाबी को तय करता है।

परिवार, समाज, मित्र, बंधुजन ऐसे अनेक लोगों के लिए समय निकालने को टाला नहीं जा सकता। हर इंसान अपने जीवन में ख़ुद यह तय कर सकता है कि किस काम को अहमियत देनी चाहिए और किसे बाद में करना चाहिए। सब पर एक ही नियम लागू नहीं होता।

 

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बेमतलब के ख्यालों को जगह न दें

कुछ लोग हमेशा बड़ी तत्परता से काम करते दिखते हैं, पर गौर से देखने पर पता चलेगा कि जिस काम को एक घंटे में निपटाया जा सकता था, उसे बेकार में कई घंटों तक खींच रखा है। यदि आप अपनी काबिलियत का पूरा इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो अपने भीतरी माहौल को तनाव रहित एवं शांत रखना चाहिए। कोई काम करते समय पहले छूटे किसी और काम पर दिमाग भटक जाए, तो उस समय जो काम कर रहे हैं उसमें आपका पूरा लगाव नहीं होगा। इस तरह के बेमतलब के ख्यालों को जगह देंगे, तो वह आपकी तेजी को मंद करके आपकी काम करने की क्षमता को कम कर देगा। यही नहीं, थकान और अशांति के साथ तनाव भी होगा।

यह अहम नहीं है कि आप कितने घंटे काम करते हैं। उतने घंटों में आप कितनी देर अपनी क्षमता का पूरी तरह से इस्तेमाल करते हुए काम करते हैं, यही आपकी कामयाबी को तय करता है।

मन को काबू में रखना आ जाए तो आपकी क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी। बहुत देर तक काम करने से भी थकान महसूस नहीं होगी। यह आपको ही तय करना है कि हाथ में कितने काम हैं और उनमें कौन-सा महत्वपूर्ण है।

शंकरन पिल्लै के मित्र किसी बड़ी कंपनी के अध्यक्ष थे। उन्होंने कहा, ‘हमारी कंपनी में काम करने वाले हर कर्मचारी को तीन महीने में एक बार दो हफ्ते की छुट्टी देकर आराम करने के लिए भेज देते हैं।’ शंकरन पिल्लै को बड़ा आश्चर्य हुआ।

‘अपनी कंपनी में काम करने वाले लोगों की आप इतनी परवाह करते हैं?’ उन्होंने पूछा। ‘ऐसी कोई बात नहीं है, बस यह देखना चाहता हूं कि किस-किस के न होने के बावजूद कंपनी बिना किसी दिक्कत के चलती है’ मित्र ने कहा। आप भी इसी तरह, ‘किस काम को छोड़ने या टालने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा,’ इसका पता लगाकर उसे छोड़ दीजिए। कई लोगों की आंखों के सामने वक्त खिसकता रहता है। दूसरी किसी भी चीज को गंवा देने पर उसे फिर से पाने के लिए कोई अवसर मिल सकता है। लेकिन खोए हुए पलों को फिर से पाना बड़े-से-बड़े आदमी के लिए भी संभव नहीं है।

 

कामों को एक उत्सव का रूप दीजिए

देखिए ज्यादा चीजों को मुंह में भर लेंगे तो सांस बंद हो जाएगी। इसलिए गैप के बिना काम करना भी गलत है। शरीर और मन को जब-तब आराम देने पर ही पूरी क्षमता प्रकट होगी। दूसरी बात यह है अपने कामों को एक उत्सव के रूप में करके देखिए। थकान नहीं होगी, खामियां नहीं आएंगी।

क्या किसी दिन सुबह-सुबह चिड़ियों की चहचहाहट सुनकर मन में उत्साह महसूस हुआ है? कितने दिन नहाते समय, शरीर के एक-एक अंग को गीला करते हुए पानी के नीचे बहने को चाव के साथ देखा है? गाड़ी चलाते समय ध्यान को और कहीं भटकने न देकर आनंद का अनुभव करते हुए गाड़ी चलाई है?

 

असल इच्छा आनंद में रहने की है

खूब स्वादिष्ट भोजन सामने होने पर भी केवल पहले कौर को ही आप स्वाद लेकर खाते हैं। उसके बाद के कौरों को आपका हाथ मशीन की तरह मुंह में ले जाकर डालता है। मुंह अपनी आदत के मुताबिक चबाकर उसे रसदार बनाकर अंदर धकेल देगा। मुंह में डाला हुआ खाना किस तरह चबाए जाने के बाद आहार-नली से उतरकर पेट में जाता है, इस पर क्या आपने कम से कम एक बार पूरी तरह से गौर किया है?

बताइए, क्या आप इस संसार में केवल सांस लेने और छोड़ने के लिए आए हैं? जीवित रहना अलग चीज है, जीवन को जीना अलग बात है।

आप यही जवाब देंगे, ‘अरे इन सब कामों में कोई अपना वक्त क्यों बरबाद करेगा?’ इसकी वजह है कि आप आनंदपूर्वक रहने की अपनी इच्छा को भूलकर काम में फंस गए हैं।

बताइए, क्या आप इस संसार में केवल सांस लेने और छोड़ने के लिए आए हैं? जीवित रहना अलग चीज है, जीवन को जीना अलग बात है। कम से कम एक क्षण पूरी जागरूकता से जीकर देखिए। जिंदगी का रुख ही बदल जाएगा।