प्रश्न: सद्‌गुरु, आजकल सेहत में सुधार के लिए एनर्जी पर आधारित कुछ समाधान दिए जा रहे हैं जैसे टेंसर और फ्रीक्वेंसी जेनरेटर आदि, जिनसे सिग्नल्स पर निगेटिव पोलेरिटी बनती है और इसे शरीर में दाखिल किया जा सकता है। सवाल यह है कि इस तरह के सुधार से क्या कर्म पैदा नहीं होंगे?

सद्‌गुरु: हो सकता है कि व्यवसाय के लिहाज से यह बात सही न लगे पर मैं कहे बिना नहीं रह सकता - वाइब्रेशन, बायो-एनर्जी आदि चीजों के माध्यम से इलाज करना हो तो इसके लिए बहुत सजग और सावधान रहना होगा। मैंने निजी रूप से देखा है कि इन बातों से उन्हीं लोगों को भी बहुत हानि हुई है जो इनका प्रचार और प्रसार कर रहे हैं। उनके जीवन को बहुत हानि हुई और उनमें से कुछ लोग इस संसार से भी चल बसे।

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उपकरणों के कई प्रभाव हो सकते हैं

परंतु हर रोज, एक नया उपकरण सामने आ जाता है। मान लेते हैं कि आपकी पीठ में दर्द है और आप किसी इलेक्ट्रिक जेनरेटर के पास बैठते हैं और उसकी वाइब्रेश्न से आपको आराम आ जाता है। ऐसा हो सकता है कि उसके वाइब्रेशन से आपको दर्द में राहत मिली हो लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप पीठदर्द में आराम देने वाली मशीनों के नाम से इलेक्ट्रिक जेनरेटर बेचने लगें, क्योंकि आपको यह नहीं पता कि इसके दूसरे क्या प्रभाव हो सकते हैं।

अगर कोई इंसान किसी भौतिक एनर्जी का इस्तेमाल करे तो उसे ऐसा तभी करना चाहिए यदि वह अभौतिक आयाम में अच्छे से जमा हो।

कई बार लोग अक्सर किसी बिच्छू या सांप के काटने पर गंभीर रोगों से मुक्त हो जाते हैं, क्योंकि जहर के कारण करिश्माई इलाज हो सकता है। आज वैज्ञानिक रूप से भी विष को चिकित्सा के लिए इस्तेमाल किया जाने लगा है। कोबरा के जहर को रहस्यदर्शियों ने बोध को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया है, लेकिन यह काम बहुत ही सावधानी और सजगता से किया जाता था। इन्हें ऐसे ही कोई भी नहीं कर सकता। जब ये काम एक निश्चित रूप से किए जाते हैं, तभी एक शक्तिशाली साधन के रूप में सामने आते हैं।

कड़े टेस्ट से गुजरने के बाद ही इस्तेमाल करना ठीक होगा

ठीक इसी तरह, कुछ वाइब्रेशन के भी कुछ निश्चित प्रभाव हो सकते हैं। लेकिन यह मान लेना कि वे सारे रोगों का इलाज कर सकते हैं और फिर इसी आधार पर उनकी मशीनें बना कर बेचना बेहद बचकानी बात है। इनमें से अधिकतर मशीनों को कसौटियों पर खरा नहीं उतारा जाता ताकि यह जाना जा सके कि क्या वे सचमुच कारगर हैं या उनके दुष्प्रभाव क्या हो सकते हैं। इन लोगों को अपना सामान बेचने की बहुत जल्दी है। उन्हें कुछ फ़ायदेमंद मिला और वे इसे आपको बेचना चाहते हैं। कुछ भी फ़ायदा कर सकता है, अगर वह ख़ास पल में किसी खास तरीके से आपको छूता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वह इलाज का स्टैंडर्ड तरीक़ा मान लिया जाए। मैं निजी रूप से यही सलाह दूँगा कि जब तक कोई मशीन कड़े परीक्षणों(टेस्ट) से न निकली हो, उसे न आजमाएँ।

अभौतिक आयाम में जमे होना जरुरी है

एक मशीन, चाहे वह कोई भी मशीन हो, वह ज्यादा से ज्यादा केवल एक खास तरह की भौतिक एनर्जी पैदा कर सकती है, जिसे लोग बायो-एनर्जी कह रहे हैं, मैं इसके नाम में नहीं उलझना चाहता। एनर्जी का एक भौतिक और एक अभौतिक आयाम होता है। अगर कोई इंसान किसी भौतिक एनर्जी का इस्तेमाल करे तो उसे ऐसा तभी करना चाहिए यदि वह अभौतिक आयाम में अच्छे से जमा हो। यही वजह है कि मैं सदा हीलर्स व इस तरह के दूसरे लोगों को डिस्करेज करता हूँ। आपने भौतिक एनर्जी के इस्तेमाल का तरीका सीखा है, इसका मतलब यह नहीं कि आप इसे प्रयोग में लाने लगें क्योंकि इसकी अपनी संभावनाएँ हैं, अपनी सीमाएँ हैं और इसके साथ गंभीर समस्याएँ पैदा हो सकती हैं।

अगर आप अभौतिक आयाम में गोता लगा सकते हैं, तो आप भौतिक आयाम से भी थोड़ा खेल सकते हैं,नहीं तो ऐसी कोई कोशिश न करें। जब मैं इंसानों के लिए ऐसा कहता हूँ, तो मशीनों के लिए भी ऐसा ही कहूँगा।