किसी चीज पर ध्यान देने के महत्व और ध्‍यान में गहराई लाने के तरीकों पर सद्‌गुरु की एक नजर।

सद्‌गुरु:

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  आप अपनी जिंदगी में किसी खास वक्‍त पर ध्यान-स्तर की जो सबसे अधिक उंचाई पा सके हैं, वह भी आपके ध्यान का सबसे ऊंचा स्तर नहीं है। ध्यान के इससे भी कहीं ऊंचे स्तर तक पहुंचने की क्षमता आपमें है।
किसी एक व्यक्ति के दिव्यदर्शी होने और दूसरे के न होने का सिर्फ एक ही कारण है और वह है ध्यान देने में कमी। कोई एक व्यक्ति कलाकार है और दूसरा नहीं। क्यों? ध्यान देने में कमी। कोई एक सीधे निशाना साध सकता है और दूसरा नहीं। क्यों? ध्यान देने में कमी। छोटी-छोटी  चीजों से ले कर बड़ी-बड़ी चीजों तक हर जगह अंतर बस ध्यान देने का है।

अभी आप जितना ध्यान दे पाते हैं, उतना ही आपके लिए संभव हो, ऐसा नहीं है। इससे अधिक क्षमता आपमें है, लेकिन वह आपके इस्‍तेमाल में नहीं है, अभी प्रकट रूप में नहीं है, छिपी हुई है और अभी तक आपकी पहुंच में नहीं है। इसलिए कम-से-कम उतना ध्यान तो दीजिए, जितना आपके पास है। लेकिन मानसिक ध्यान के लिहाज से भी, जिंदगी के अलग-अलग हालात में और दिन के अलग-अलग वक्त, आपके ध्यान का स्तर अलग-अलग होता है। जब आप अपने काम में लगे होते हैं, तो आपका ध्यान-स्तर अलग होता है। जब आप साधना कर रहे होते हैं, तो आपके ध्यान का स्तर अलग होता है। जब आप मनपसंद भोजन कर रहे होते हैं, तब आपके ध्यान का स्तर कुछ और होता है। अलग-अलग वक्त आपका ध्यान अलग-अलग स्तर पर होता है। आप अपनी जिंदगी में किसी खास वक्‍त पर ध्यान-स्तर की जो सबसे अधिक उंचाई पा सके हैं, वह भी आपके ध्यान का सबसे ऊंचा स्तर नहीं है। ध्यान के इससे भी कहीं ऊंचे स्तर तक पहुंचने की क्षमता आपमें है।

कुछ वर्ष पहले मैं थोड़े-से लोगों को सुब्रह्मण्य और मैंगलूर के बीच की रेल लाइन पर ट्रेकिंग के लिए ले कर गया था। इन दो स्थानों के बीच 300 से ज्यादा पुल और करीब सौ सुरंगें हैं। ज्यादातर वक्त आप ...

कुछ वर्ष पहले मैं थोड़े-से लोगों को सुब्रह्मण्य और मैंगलूर के बीच की रेल लाइन पर ट्रेकिंग के लिए ले कर गया था। इन दो स्थानों के बीच 300 से ज्यादा पुल और करीब सौ सुरंगें हैं। ज्यादातर वक्त आप या तो किसी पुल पर होते हैं या फिर किसी सुरंग के अंदर, और यह पहाड़ बेहद खूबसूरत है। कुछ सुरंग तो एक किलोमीटर से भी ज्यादा लंबे हैं। दिन के वक्त भी यहां घुप अंधेरा होता है। आप खुद अपना हाथ तक नहीं देख सकते। शायद ज्यादातर लोग ऐसी किसी जगह में गए ही नहीं होंगे, क्योंकि आम तौर पर जहां भी आप जाते हैं, थोड़ी रौशनी तो होती ही है। कम-से-कम तारों की टिमटिमाती रौशनी आपको देखने में थोड़ा मदद तो करती है। लेकिन इन सुरंगों में थोड़ी ही देर बाद आप यह नहीं जान पाते किआपकी आंखें खुली हैं या बंद; इतना घुप अंधेरा होता है।

मैंने उन सुरंगों के अंदर उन सबको बिना किसी टॉर्च के चलवाया। शुरू-शुरू में वे सब बेहद डरे हुए थे, पर थोड़ी देर बाद वे चलने लगे और उन्होंने इस पूरे अनुभव का आनंद लिया। अगर आप ऐसी किसी जगह पर हों, तो आपका ध्यान का स्तर एकदम से बढ़ जाता है। अगर आप पूरी जिंदगी अपने ध्यान के स्तर को इसी तरह बढ़ाए रख सकें, तो आपका चेहरा तेज से दमकेगा।

आश्रम में मैं छोटी-से-छोटी चीज पर ध्यान देने के लिए हमेशा लोगों के पीछे पड़ा रहता हूं। सिर्फ आश्रम की सफाई और उसकी सुंदरता पर ध्यान देने पर मेरा जोर नहीं होता, बल्कि हर छोटी-से-छोटी चीज पर पूरी तरह ध्यान देने के लिए मैं जोर देता हूं। अगर पत्थर का एक टुकड़ा भी उलट गया है, तो उस पर सबका ध्यान जाना चाहिए। सवाल उस पत्थर के टुकड़े का नहीं है, आपके पूरी तरह ध्यान देने का है। अगर आप अपने ध्यान को एकाग्र कर उसके शीर्ष पर ले आएं, अगर आप ध्यान की तीव्रता तक पहुंचना सीख जाएं, तब हम आपको कई विधियां सिखा पायेंगे कि आपको अपने भीतर क्‍या करना है और क्‍या नहीं। ।

 अभी आप अपनी जिंदगी इस तरह से जी रहे हैं कि आप जो कुछ भी कर रहे हैं बस वही सब जिंदगी है। जिस क्षण आप जरा ध्यान देने लगेंगे, आप समझ जाएंगे कि जिंदगी बस यही नहीं है।
फिलहाल हम अभी भी लोगों को ध्यान के एक खास स्तर पर लाने की कोशिश में लगे हुए हैं। यदि आप अधिक सचेत और चौकस हो जाएं, तो हम इस बात पर गौर कर सकते हैं कि आपकी इस सजगता का उपयोग कैसे करें। आध्यात्मिकता तभी शुरू होती है जब आप अपने जीवन पर पूरा ध्यान देते हैं और यह देखते हैं कि इसके शुरुआत और अंत का आपको कोई ज्ञान नहीं है।  अभी आप अपनी जिंदगी इस तरह से जी रहे हैं कि आप जो कुछ भी कर रहे हैं बस वही सब जिंदगी है। जिस क्षण आप जरा ध्यान देने लगेंगे, आप समझ जाएंगे कि जिंदगी बस यही नहीं है।

तो आध्यात्मिकता का पहला कदम ही आपने तब उठाया जब ध्यान के एक खास स्तर तक आप पहुंचे। अगर आप हर चीज पर अधिक-से-अधिक ध्यान दें, अगर आप एकाग्रता की अपनी क्षमता को एक नई ऊंचाई तक ले जा सकें, तो उसका बड़े चमत्कारिक रूप से उपयोग हो सकेगा।