एक ज़ेन कहानी:

जिनशुआ और उसके गुरु लियाओई उनके एक मृत मित्र के परिवार के पास शोक प्रकट करने के लिये जा रहे थे।

जिनशुआ ने अपने गुरु से पूछा, "वो जीवित है या मृत"?

गुरु ने कहा, "तुम ये नहीं कह सकते कि वो जीवित है और तुम ये भी नहीं कह सकते कि वो मर गया है"।

जिनशुआ ने फिर पूछा, "हम ऐसा क्यों नहीं कह सकते"?

लियाओई बोले, "अगर तुम ये नहीं कह सकते तो तुम ये नहीं कह सकते"।

गुस्से में आ कर जिनशुआ बोला, "बेहतर होगा कि आप ये कहें, नहीं तो मैं आपको मारूँगा"।

तब लियाओई ने कहा, "अगर तुम मुझे मारना चाहते हो तो मारो। मैं फिर भी ये नहीं कहूँगा"।

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जिनशुआ बोला, "आप कैसे गुरु हैं? आप जानते हैं और फिर भी अपने शिष्य को नहीं बताते"।

"अगर आप नहीं बताते तो इस बात को भूल जाईये। बस अब बहुत हो गया”, ये कहते हुए जिनशुआ ने अपने गुरु को मारा और उन्हें छोड़ कर चला गया। 

कुछ समय बाद लियाओई का देहांत हो गया और फिर जिनशुआ ने एक और गुरु को खोज लिया, जिनका नाम लियानशान था। उसने उनसे भी यही सवाल पूछा।

लियानशान ने जवाब दिया, "तुम ये नहीं कह सकते कि वो जीवित है और तुम ये नहीं कह सकते कि वो मर गया है"।

यह सुनने पर जिनशुआ को आत्मज्ञान हो गया। 

सद्‌गुरु: अगर कोई जीवन को ही नहीं समझता तो वो ये कैसे समझ सकता है कि मृत्यु क्या है? अभी तो आप जीवित हैं पर अगर आप ये नहीं समझ पाते कि आप कहाँ हैं तो फिर उस बात को आप कैसे समझ पायेंगे जो अभी होनी बाकी है। मृत्यु नाम के भ्रम को सिर्फ नासमझ लोगों ने बनाया है। मृत्यु जैसा कुछ भी नहीं है। यहाँ सिर्फ जीवन है। अगर आप जीवन को समझते हों तो आपको पता चल जायेगा कि आप जिसे मृत्यु कहते हैं, वो जीवन का बस एक और आयाम ही है।.

मृत्यु जैसा कुछ भी नहीं है। यहाँ बस जीवन है।

अगर आप मृत्यु को जानने, समझने की कोशिश करेंगे तो आप बस कई तरह की काल्पनिक कहानियाँ गढ़ लेंगे। आप मृत्यु को समझ ही नहीं सकते क्योंकि आपके लिये ये अभी हुई ही नहीं है। अगर आप मृत्यु को जानना चाहते हैं तो आप इसे बस अनुभव कर के ही जान सकेंगे।

अगर आप जीवन को इसकी पूर्णता में जानते हों तो इसमें मृत्यु शामिल है और इसे जानने का बस यही एक तरीका है। हमारे लिये, ये कहना कि कोई व्यक्ति जीवित है और कोई व्यक्ति मर गया है, ये बस सामाजिक रूप से ही कोई मतलब रखता है। इसका अस्तित्व की दृष्टि से कोई मतलब नहीं है। ज़ेन लोग सिर्फ अस्तित्व के आयाम को ही देखते हैं।

सामाजिक रूप से हम स्पष्टता से कह सकते हैं कि कोई व्यक्ति जीवित है या मर गया है। पर, अस्तित्व की दृष्टि से आप नहीं कह सकते कि कौन जीवित है और कौन मर गया है। आप ये भी नहीं जानते कि आप जीवित हैं या मर गये हैं। आप नहीं जानते कि आप जागे हुए हैं या सपना देख रहे हैं। अस्तित्व की दृष्टि से यही सच है। अगर हम अस्तित्व की दृष्टि से जानना चाहते हैं कि क्या वास्तविक है और क्या वास्तविक नहीं है, तो हमें जीवन की ओर ध्यान देना चाहिये क्योंकि जीवन तो अभी ही है और हमारे पास यही एक दरवाजा है जिससे हो कर जानने का मार्ग मिलता है।

आप वास्तविकता के बारे में जो भी जानना चाहते हैं तो उसके लिये जो भी दरवाजा है, मार्ग है वो अभी ही है। ये ऐसा है कि आप इसमें बस इसी पल से प्रवेश कर सकते हैं। जीवन बस यहीं है। जो यहाँ अभी है, आप सिर्फ उस तक ही अपनी पहुँच बना सकते हैं। जो यहाँ नहीं है, वो बस एक कल्पना है। अगर आप किसी ऐसी चीज़ के पीछे जाने की कोशिश करते हैं, जो अभी नहीं है तो आप, बस, उल्टी सीधी कल्पनायें ही करेंगे। पर अगर आप उसकी तरफ ध्यान देते हैं जो अभी यहाँ है, तो जो भी जानने योग्य है, उसे आप अभी समझ सकेंगे।  

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