सद्‌गुरु

एक विद्यार्थी हो या एक साधक, अपने ध्यान को एकाग्र करने को लेकर उनको अक्सर परेशानी आती है। तो फिर कैसे करें अपने ध्यान को एकाग्र?

प्रश्न : सद्‌गुरु, मैं जब भी कोई काम शुरू करने या करने के बारे में सोचता हूं, तो पक्का इरादा करता हूं ‘मुझे इसे करना ही है, मेरा ध्यान नहीं भटकेगा।’ मगर पता नहीं कैसे भोजन, फिल्मों या किसी और वजह से मेरा ध्यान भटक ही जाता है। हर समय ध्यान केंद्रित कैसे रखें? आप कहते हैं, ‘बस आराम से बैठ जाइए।’ लेकिन मुझे यह बहुत मुश्किल लगता है।

बस अपने काम से जुड़ जाइए

सद्‌गुरु : हो सकता है कि सिर्फ बैठने का गुण अभी आपके अंदर न हो। एकाग्रता और फोकस लाने के लिए कोशिश मत कीजिए। यह कोई सुखद अनुभव नहीं है।

 लोग अपने परिवार से अधिक रजनीकांत से प्यार करते हैं। उन्होंने कभी उसे नहीं देखा और वह उस तरह दिखता भी नहीं है, लेकिन सिर्फ जुड़ाव के कारण उनके लिए वह जीवन से बड़ा हो गया है।
बस उस काम से जुड़ जाइए। मसलन, जब आप सिनेमा देखते हैं, तो वह सिर्फ प्रकाश और ध्वनि का दो आयामी प्रदर्शन होता है। उसमें कोई महत्वपूर्ण चीज नहीं होती। लेकिन जब आप उसे देखते हैं, तो वह अनुभव बहुत विशाल हो जाता है। लोग अपने परिवार से अधिक रजनीकांत से प्यार करते हैं। उन्होंने कभी उसे नहीं देखा और वह उस तरह दिखता भी नहीं है, लेकिन सिर्फ जुड़ाव के कारण उनके लिए वह जीवन से बड़ा हो गया है। सिर्फ यह हुआ कि वे उसके सिनेमा से पूरी तरह जुड़ गए। वो कोई तीन आयामों वाला इंसान भी नहीं है, वो सिर्फ ध्वनि और प्रकाश का एक खेल है। पर लोग अपने जुड़ाव की वजह से उसे किसी भी चीज़ से ज्यादा प्रेम करने लगे।

कोई भी काम आपके जुड़ाव की वजह से शानदार बनता है

कोई चीज इसलिए शानदार नहीं बनती क्योंकि वह शानदार होती है। दुनिया में हर चीज शानदार है या कोई चीज शानदार नहीं है। जैसे कोई एक परमाणु को देखता है।

दुर्भाग्यवश दुनिया लक्ष्य पर कुछ ज्यादा ही केंद्रित हो गई है। उन्हें आम चाहिए, मगर पेड़ पसंद नहीं हैं। यह तरीका काम नहीं करता। 
वह एक बेकार से परमाणु को देखते हुए अपना पूरा जीवन गुजार देता है। मगर अपने जुड़ाव के कारण उसके लिए वह एक परमाणु बहुत शानदार हो जाता है। चारों ओर देखने के लिए इतना सारा जीवन है, लेकिन कोई व्यक्ति माइक्रोस्कोप से एक परमाणु या एक बैक्टीरिया को देखता है। उसके जुड़ाव के कारण बैक्टीरिया बहुत शानदार चीज हो जाता है।

तो एकाग्र बनने की कोशिश मत कीजिए। फोकस पैदा करने की कोशिश मत करें। अगर आप अपने अंदर जुड़ाव ले आएं, तो कोई चीज आपके अनुभव में शानदार हो सकती है। फिर मुझे आपको बताना नहीं पड़ेगा ‘इस पर ध्यान केंद्रित कीजिए।’ तब समस्या यह होगी कि आपको उससे बाहर कैसे निकालें। दुर्भाग्यवश दुनिया लक्ष्य पर कुछ ज्यादा ही केंद्रित हो गई है। उन्हें आम चाहिए, मगर पेड़ पसंद नहीं हैं। यह तरीका काम नहीं करता। अगर आप पेड़ से जुड़ाव रखेंगे और उसे पोषण देंगे तो आम खुद-ब-खुद आपके ऊपर गिरेंगे। आपको कहना नहीं पड़ेगा ‘आम, आ जाओ। मीठे हो जाओ, मीठे हो जाओ, मीठे हो जाओ।’ अगर आप पेड़ को पर्याप्त पोषण देंगे, तो आम अपने आप गिरेंगे और मीठे भी होंगे। इसी तरह ध्यान और एकाग्रता जुड़ाव का नतीजा है। मगर लोग पेड़ के बिना फल पाने की कोशिश कर रहे हैं और इस कोशिश में पागल हो रहे हैं। जिस चीज से उनका जुड़ाव नहीं है, उस पर ध्यान केंद्रित करना उनकी जान ले रहा है।

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