एक बार सद्‌गुरु से प्रश्न पूछा गया कि पढ़ाई किये बिना परीक्षा में पास कैसे हुआ जाए। सद्‌गुरु हमें बता रहे हैं कि बिना जरुरी योग्यता के सफलता मिलना सिर्फ अहम् को पोषित कर सकता है

प्रश्न : सद्‌गुरु, मेरा सवाल यह है कि बिना पढ़े परीक्षा में कैसे पास हुआ जाए?

इससे फेल होना बेहतर है

सद्‌गुरु : तो आप यह जानना चाहते हैं कि बिना पढ़े परीक्षा में कैसे पास हुआ जाए? फिर तो मेरी कामना और आशीर्वाद यही होगा कि आप पास ही न हों। क्योंकि जब आप कहते हैं कि बिना पढ़े परीक्षा में कैसे पास हुआ जाए तो आपके कहने का मतलब है कि किसी भी चीज के बारे में जाने बिना उसकी जानकारी होने का प्रमाणपत्र कैसे हासिल किया जाए।

पास होने या फेल होने के पीछे सोच यही होती है कि हम यह जान पाएं कि हम अगला कदम बढ़ाने के लिए पर्याप्त रूप से तैयार हैं या नहीं। इसका मकसद दुनिया को मूर्ख बनाना नहीं है।
तो जो चीज आपको जाननी चाहिए, उसे जाने बिना अगर आप पास हो गए और एक डॉक्टर बन गए तो हम नहीं जानते कि आप कितनी जानें लेंगे। बिना पढ़े, बिना जाने अगर आप एक इंजीनियर बन गए तो आप कोलकाता का पुल बनाएंगे। इससे पहले कि उस पुल से कोई पार हो, वह लोगों के सिर पर ढह जाएगा और कईयों की जान ले लेगा। हम नहीं जानते कि आप क्या-क्या तबाही मचाएंगे।

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अभी आपके साथ बस इतना हुआ है कि आपने अपना अहम और अपनी इच्छाएं बढ़ा ली हैं। जबकि आपको करना यह था कि आपको अपनी बुद्धिमत्ता और अपनी क्षमता बढ़ानी चाहिए थी। शिक्षा का भी मकसद यही है। अफसोस की बात है कि आपको लगता है कि शिक्षा का मतलब सिर्फ परीक्षाएं पास करना है।

ऐसे में सिर्फ अहम् संतुष्ट होगा

परीक्षाएं पास कर लेना ही शिक्षा नहीं है, बल्कि शिक्षा का मतलब सीखना है। लगता है कि दुनिया इस बात को भूल गई है। तो जो लोग बिना पढ़े परीक्षाओं में पास होना चाहते हैं, बिना खेले जीतना चाहते हैं, बिना कोई काम किए उसका श्रेय पाना चाहते हैं, ऐसे लोगों की सिर्फ एक ही उपलब्धि रहती है कि वह बिना जीवन जिए ही मर जाते हैं।

जबकि बिना पढ़े परीक्षा में पास करने से, बिना खेले जीतने से और बिना कोई काम किए उसका श्रेय पाने से सिर्फ आपके अहम की तुष्टि होती है।
उन लोगों की यह उपलब्धि इसलिए रहती है, क्योंकि अगर आप जीना चाहते हैं तो आपको जीवन से जुडऩा होगा, उसमें डूबना होगा, आपको अपना विवेक बढ़ाना होगा, अपनी क्षमता और समझदारी को सशक्त करना होगा। किसी भी काम को अपनी क्षमता के अनुसार सर्वश्रेष्ठ तरीके से करने में एक संतोष, एक परिपूर्णता, एक खुशी और जीवन जीने का अहसास होता है। जबकि बिना पढ़े परीक्षा में पास करने से, बिना खेले जीतने से और बिना कोई काम किए उसका श्रेय पाने से सिर्फ आपके अहम की तुष्टि होती है। आप अपने आसपास के लोगों को असफ ल होता देख उनकी तुलना में खुद को बेहतर महसूस करने लगते हैं। ऐसे में निश्चित है कि आप बिना जीवन जिए ही मर जाएंगे।

बिना कोशिश किये सर्वश्रेष्ठ नहीं बन सकते

अगर आपको लगता है कि बिना पढ़े पास होना सफ लता है, तो निश्चित रूप से बिना जीवन जिए मर जाना तो बहुत बड़ी सफ लता होगी। जो इंसान बिना पढ़े परीक्षा में पास होना चाहता है वो तो हर चीज में सर्वोत्तम दिखेगा और अगर आप हर चीज में सबसे बेहतर दिखना चाहते हैं तो आप एक मूढ़ इंसान हैं।

ऐसे तमाम लोगों के लिए मेरी कामना और आशीर्वाद यही है कि जो लोग नहीं पढ़ते उन्हें हर हाल में फेल होना चाहिए।
अगर आप किसी चीज या क्षेत्र में प्रवीण होना चाहते हैं तो आपको उसके लिए जबरदस्त कोशिश करनी होती है। लेकिन अगर आप बिना कोशिश किए हर चीज में प्रवीण या सर्वश्रेष्ठ हैं तो इसका मतलब यह है कि आप नहीं जानते कि किसी भी काम को कैसे किया जाए। ऐसे तमाम लोगों के लिए मेरी कामना और आशीर्वाद यही है कि जो लोग नहीं पढ़ते उन्हें हर हाल में फेल होना चाहिए। जो लोग नहीं जानते कि कैसे खेला जाए, उन्हें जरूर हारना चाहिए। बहुत से लोग ऐसे हैं जो आपको आशीर्वाद देंगे कि ‘कोई बात नहीं अगर पढ़ाई नहीं की है तो चिंता मत करो, मेरा आशीर्वाद है कि तुम पास हो जाओगे।’ मैं उन लोगों में से नहीं हूं। अगर आप ऐसा आशीर्वाद चाहते हैं तो आप गलत व्यक्ति के पास आ गए हैं।

क्या है परीक्षा का उद्देश्य?

अगर आप हर क्षेत्र में प्रवीण हैं तो जीवन आपको आगे अलग-अलग राहों पर ले जाएगा, यानी आप भटक जाएंगे। लेकिन अगर आप फेल होते हैं तो कम से कम आप इतना तो जान जाते हैं कि इस क्षेत्र में अगला कदम उठाने के लिए आप सक्षम नहीं हैं। अगर किसी खेल में आप हार जाते हैं तो आपको पता चल जाता है कि आप उस खेल में अच्छे नहीं हैं।

पास होने या फेल होने के पीछे सोच यही होती है कि हम यह जान पाएं कि हम अगला कदम बढ़ाने के लिए पर्याप्त रूप से तैयार हैं या नहीं। इसका मकसद दुनिया को मूर्ख बनाना नहीं है।

आप दुनिया को मूर्ख बना सकते हैं लेकिन समस्या यह है कि आप इसके इतने अभ्यस्त हो जाते हैं कि आप खुद को भी मूर्ख बनाने लगते हैं।
आप दुनिया को मूर्ख बना सकते हैं लेकिन समस्या यह है कि आप इसके इतने अभ्यस्त हो जाते हैं कि आप खुद को भी मूर्ख बनाने लगते हैं। यही सबसे बड़ी समस्या है। चलिए अब इस विषय को यहीं खत्म करते हैं, वर्ना मैं और अप्रिय हो जाउंगा, क्योंकि मैं ऐसे लोगों को पसंद नहीं करता, जो बिना पढ़े ही पास होते हैं।