प्रश्न: अब, जब कि बाहर की तरफ शांति बढ़ गयी है, अंदरूनी शोरगुल काफी तीव्र हो रहा है। क्या आप आंतरिक स्पंदनों एवं अंदर की आवाजों पर कुछ प्रकाश डालेंगे?

सदगुरु: आपकी आंतरिकता शोरगुल भरी नहीं बनी है। ये कभी भी शोरगुल भरी नहीं थी। उस क्षेत्र में शोरगुल नाम की कोई चीज़ नहीं होती। बात बस ये है कि चूंकि आप व्यस्त नहीं हैं, तो आप बस तल्लीन हैं। अधिकांश लोग आम तौर पर ये सोचते हैं कि वे व्यस्त हैं पर अगर आप उनके जीवन को देखें तो 60% समय वे बस किसी चीज़ में तल्लीन रहते हैं। ये बस जुगाली करने की तरह है। आप अभी भी उसी बात की जुगाली कर रहे हैं, जो कल हो चुकी है। गाय, बकरी, भेड़ों के पास यह सुविधा रहती है कि खाने के कुछ घंटों बाद वे उन खायी हुई चीजों को वापस मुँह में लाकर चबा सकते हैं। ऐसी सुविधा आप के शरीर ने आपको नहीं दी है, अतः आपने ये अपने मन में पैदा कर ली है। ये आपके क्रमिक विकास की समस्या है।

जुगाली करना बंद करें

दक्षिण भारतीय रहस्यवाद और योग में जब हम देखते हैं कि कोई अपने पुराने कार्यों के कारण किसी चीज का आनंद उठा रहा है, जब कि अब वह कोई बिलकुल अलग चीज कर रहा है। और अगर वह यह समझ नहीं रहा कि वह बस पुराने लाभ का आनंद उठा रहा है और यह किसी भी समय समाप्त हो जायेगा, तो हम कहते हैं, "अय्यो, पड़ऐ सादम!" पड़ऐ सादम का अर्थ है पुराना चावल! ऊर्जा और शक्ति के संदर्भ में देखें तो हमने जो कल खाया था, वो अभी भी हमें लाभ दे रहा है। इसी तरह, हम आज भी किसी ऐसी चीज का लाभ लेते हो सकते हैं जो हमने कल की थी, या दस साल पहले या फिर एक जन्म पहले! पर अगर आप उसको बढ़ाने के लिये अभी कुछ नहीं कर रहे हैं तो वह समाप्त हो जायेगी। पुराना खाना कुछ समय बाद सड़ जाएगा। जो पहले बहुत अच्छा था, अद्भुत था, वो अब खराब हो जायेगा।

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इसे रोकने का प्रयत्न न करें क्योंकि आप इसे रोक नहीं सकते। सिर्फ एक ही तरीका है, आप इससे दूरी बना लें।

संसार के बहुत से तथाकथित सफल लोग अपने जीवन के विभिन्न चरणों में इससे गुजरते हैं। वे भूतकाल के कर्मों के परिणामों का लाभ पाते हैं, वे सोचते हैं कि सब कुछ अद्भुत है, अच्छा है और वे मनमाने ढंग से जीते हैं। एक दिन, अचानक उनको ठोकर लगती है - जरूरी नहीं कि ये बाहर से हो, अधिकांश समय ये अंदर से होती है। उनकी अपनी मनोवैज्ञानिक प्रणाली तथा उनका शरीर, पतन की ऐसी अवस्था में पहुँच जाते हैं कि उनको यह विश्वास करना भी मुश्किल हो जाता है कि उनके साथ ऐसा हुआ। यह इसलिये है क्योंकि आप पुराने भोजन पर जी रहे हैं। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि आप रोज ताजा भोजन पकायें। यही कारण है कि आपका वर्तमान कर्म अत्यंत महत्वपूर्ण है।

आपके अंदरूनी क्षेत्र में कोई शोरगुल, कंपन या ध्वनि नहीं है! यह पूरा आप के मन में है। ये इस कारण है कि आप पुरानी बातों की जुगाली कर रहे हैं। आप अगर किसी गतिविधि में व्यस्त हों तो उन कुछ बातों को भूल जायेंगे जो आप के मन में चलती रहती हैं। पर जब आपके पास कोई काम नहीं होता तो आप देखेंगे कि आपका मन दौड़ने लगेगा। इसे रोकने का प्रयत्न न करें क्योंकि आप इसे रोक नहीं सकते। सिर्फ एक ही तरीका है, आप इससे दूरी बना लें।

स्वयं को मन से दूर रखना

स्वयं को अपने मन से दूर रखने के लिये बहुत से तरीके हैं। आप अगर शांभवी या शून्य कर रहे हैं तो ये शक्तिशाली क्रियायें हैं जो आपकी इस दिशा में मदद करेंगी। अन्यथा आप ईशा क्रिया कर सकते हैं। आप अगर इनमें से कुछ भी नहीं जानते तो एक आसान सी प्रक्रिया है जो आप अभी कर सकते हैं। आप बस ये देखिये कि इस विशाल अस्तित्व में, हम जिसका न आरंभ जानते हैं, न अंत, हमारी सौर प्रणाली बस एक छोटा सा कण भर है। इस छोटे से कण में हमारी पृथ्वी एक सूक्ष्म परमाणु जितनी ही है और इस सूक्ष्म परमाणु में आप एक सूक्ष्मतम जीव है। पर, इस मिट्टी की छोटी सी गेंद पर बैठकर आप ये सोचते हैं कि आप ही इस ब्रह्मांड के केंद्र हैं। ये एक मूर्खतापूर्ण विचार है। इस मूर्खतापूर्ण विचार के कारण बहुत से अन्य मूर्खतापूर्ण विचार आते हैं जो सिर्फ सामाजिक संदर्भ में हैं, और हम उसे बुद्धिमत्ता कहते हैं। पर अपने विचारों को अधिक विस्तृत ब्रह्मांड के संदर्भ में देखिये। इस समय, जब कि यह विषाणु आपके जीवन के लिये खतरा बन रहा है तो आपके नश्वर होने के संदर्भ में आप देख सकते हैं कि वे चीजें, जिनके बारे में आप सोचते हैं, जिनको आप महत्वपूर्ण मानते हैं, वे सब कितनी मूर्खतापूर्ण हैं?

 

अगर आप देख पाते हैं कि आपके विचार, आपकी भावनायें निरी मूर्खतापूर्ण हैं तो स्वाभाविक रूप से आप उनसे दूरी बना लेंगे। समस्या यह है कि आप सोचते हैं कि यह चतुर होना है। पर जब ये आप को परेशान करता है तो आप इससे दूरी चाहेंगे। पर ये उस तरह काम नहीं करता। आप जिसको भी चतुराई समझते हैं वह आपसे एक तमगे की तरह चिपक जायेगी। वह आप को छोड़ेगी नहीं। जिस पल आप को लगता है कि आप बहुत होशियार हैं तो आपके विचार आप को नहीं छोड़ते। अगर आप एक बहुत होशियार व्यक्ति हैं तो आप अपनी आँखें बंद करके बैठ नहीं सकते। जब आप जानते हैं कि आप नितांत मूर्ख हैं, तब ही आप अपनी आँखें बंद करके बैठ सकेंगे। एक बुद्धिमान व्यक्ति और एक मूर्ख व्यक्ति में यही अंतर है कि बुद्धिमान व्यक्ति जानता है कि वह मूर्ख है पर एक मूर्ख व्यक्ति नहीं जानता कि वह मूर्ख है - इसीलिये वह मूर्ख है।

जीवन के संदर्भ में, अस्तित्व के संदर्भ में आप वास्तव में कुछ भी नहीं हैं। सामाजिक रूप से आप कुछ हो सकते हैं। मूर्खों के समूह में कुछ मूर्ख चमकेंगे। पर, एक जीवन के रूप में उसका कोई महत्व नहीं है। एक जीवन के रूप में, एक सूक्ष्म कीटाणु कल आपको समाप्त कर सकता है। आपके विचार कितने भी महान, कितनी भी होशियारी के हों, उनका कोई महत्व नहीं है। यदि आप ये समझते हैं तो स्वाभाविक रूप से आपके और आपकी विचार प्रक्रिया के बीच एक दूरी रहेगी। एक बार जब आपके और आपकी विचार प्रक्रिया में एक दूरी होती है, तब इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप क्या सोच रहे हैं।


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