सद्‌गुरु:

हमारे अंदर अनंत संभावना है... इसे तलाशने के लिए सबसे पहली शर्त यह है कि हम जो कर सकते हैं, उसे पूरी तन्मयता और जुड़ाव के साथ करें।
आप जो कर सकते हैं, अगर आप वह नहीं करते, तो यह अच्छी बात नहीं है। आप जो नहीं कर सकते, वह आप नहीं करते, तो यह एकअलग बात है। जो आप कर सकते हैं, अगर आप वह सब कुछ कर रहे हैं, तो उन चीजों को करने की आपकी इच्छा और बलवती होती जाएगी जो आप नहीं कर सकते। कोई भी इंसान एक ही स्थान पर हमेशा नहीं रहना चाहता। आप एक कदम आगे बढऩे की कोशिश करते हैं। हमारे अंदर अनंत संभावना है... इसे तलाशने के लिए सबसे पहली शर्त यह है कि हम जो कर सकते हैं, उसे पूरी तन्मयता और जुड़ाव के साथ करें। अगर हम इन चीजों को करते रहेंगे, तो हमारे जीवन में नई संभावनाएं अपने आप ही पैदा होंगी। क्या आपने कभी इस बात पर गौर किया है कि रोजमर्रा की जिंदगी में जब हम हर काम पूरी तन्मयता के साथ कर रहे हैं, तो इससे हमारी क्षमताओं में बढ़ोतरी होती है ?

एकबार की बात है। एक अनपढ़ और सीधा सादा किसान अपनी गाय को लेकर अपने खेत पहुंचा। वहां उसकी गाय ने एक बछड़े को जन्म दिया। कभी आपने किसी नवजात बछड़े को देखा है? वह बहुत छोटा और हल्का होता है। मासूम और नाजुक से इस बछड़े पर उस किसान को बड़ा प्यार आया। वह चलकर घर नहीं लौट सकता था, इसलिए किसान ने उसे अपने कंधों पर उठा लिया और घर ले आया। अगले दिन उसे फिर खेत पर जाना था। उसने बछड़े को फिर कंधों पर उठाया और खेत पर ले गया। शाम को भी इसी तरह उसे घर वापस ले आया। बस रोज का यही दस्तूर बन गया और यह करते-करते दो साल गुजर गए। दो साल बाद लोगों ने देखा कि वह किसान एक बड़े बैल को कंधों पर उठाकर खेत पर ले जा रहा है और फिर वापस घर ला रहा है। बछड़े से बैल बनने में वक्त लगता है, इसलिए उसका वजन धीरे धीरे बढ़ रहा था। ऐसे में उस किसान को उसके वजन बढ़ने का अहसास ही नहीं हुआ। दो साल के अंतराल में वह इतना शक्तिशाली हो गया कि वह एक बैल को कंधे पर उठाकर ले जाने लगा और यह काम करने में उसे जरा भी कठिनाई महसूस नहीं होती थी।

बिल्कुल यही बात हर उस चीज के साथ है, जो आप करते हैं। छोटी-छोटी चीजें ही अगर आप अपनी पूरी क्षमता से लगातार करते जाएं तो दो साल बाद आप पाएंगे कि आप कुछ ऐसा करने लगे हैं, जो किसी चमत्कार से कम नहीं।

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