योग दिवस ही क्यों, आइए योग वर्ष मनाएं
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को जिस जोश और उमंग के साथ पूरे देश व दुनिया में मनाया गया निस्संदेह वह गर्व करने लायक है। लेकिन सद्गुरु कहते हैं कि मंजिल अभी आगे है - जब तक कि दुनिया की पूरी सवा सात अरब आबादी योग का स्वाद चख नहीं लेती, हमें रूकना नहीं है।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को जिस जोश और उमंग के साथ पूरे देश व दुनिया में मनाया गया निस्संदेह वह गर्व करने लायक है। लेकिन सद्गुरु कहते हैं कि मंजिल अभी आगे है - जब तक कि दुनिया की पूरी सवा सात अरब आबादी योग का स्वाद चख नहीं लेती, हमें रूकना नहीं है।
आप सब की कोशिशों से पहला अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस बहुत बढ़िया तरीके से मनाया गया। आप सब ने जिस मात्रा में और जैसा काम किया, उसने एक नया मानक स्थापित किया है। आपने ईशा की अनूठी विशेषता को बड़े पैमाने पर बाकी दुनिया तक पहुंचाया है। इन सबमें आपकी अथक मेहनत और प्रेम ने मेरे दिल को छू लिया है।
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दुनिया भर में लगभग एक लाख स्थानों पर 35,600 शिक्षकों ने हजारों-लाखों लोगों को उप-योग सिखाया। यहां तक कि उड़ानों के दौरान विमान में भी यह सिखाया गया। आपके सहयोग से, 21 जून को चेन्नई के कार्यक्रम में 25,000 लोगों ने हिस्सा लिया।
इस बीच, आश्रम के स्वयंसेवकों ने इन्टरनेट के माध्यम से लोगों तक योग पहुंचाने के लिए दिन-रात मेहनत की।
हमें भारत सरकार और मीडिया का भी आभार प्रकट करना चाहिए जिन्होंने इस दिवस के बारे में जागरूकता उत्पन्न करने में एक बड़ी भूमिका निभाई। 192 देशों ने इसे मनाया और भारत ने इस दिन राजपथ पर एक डबल गिनीज रिकार्ड बनाया। एक ही कार्यक्रम में 84 देशों के करीब 35,000 लोगों ने एक साथ योग किया।
हमारे पास गर्व करने के लिए बहुत सारी चीजें हैं मगर जब तक धरती के सारे सवा सात अरब लोग योग का स्वाद नहीं चख लेते, तब तक हमारा काम खत्म नहीं होता। आइए हम इस अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को एक स्प्रिंगबोर्ड की तरह इस्तेमाल करते हुए इस साल को एक योग वर्ष बना दें।