थाम लो मेरा हाथ
ArticleApr 5, 2016
इस हफ्ते के स्पॉट में, सद्गुरु अपनी कृपा की संभावनाओं को एक कविता के रूप में व्यक्त कर रहे हैं। इस कृपा को ग्रहण करके हम अनंत को छू सकते हैं...
थाम लो मेरा हाथ
ज्वाला अग्नि की जला नहीं पाएगी तुम्हें
ठंडी जलवायु जमा नहीं पाएगी तुम्हें
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अतल गहराई पानी की - डुबा नहीं पाएगी तुम्हें
गहरी खाई दफ़ना नहीं पाएगी तुम्हें।
थाम लो मेरा हाथ और
कर लो अनुभव अमरत्व का।
नहीं हूं मैं कोई शास्त्र-ज्ञानी,
ना ही हूं मैं कोई दार्शनिक
न ही हूं मैं ज्ञान का कोई ढेर
मैं हूं मात्र एक शून्यता
आओ जरा नज़दीक इसके
समाहित हो जाओगे तुम इसमें।
Love & Grace