सद्‌गुरुसद्‌गुरु हमें बता रहे हैं कि भारत की सबसे बड़ी उपलब्धि है कि हमारे किसान देश के एक अरब से ज्यादा लोगों के लिए अन्न पैदा कर रहे हैं। और इसे बचाए रखने के लिए नदियों पर ध्यान देना जरुरी है। वे ये भी बता रहे हैं कि कैसे इस देश में नदि अभियान जोर पकड़ता जा रहा है।

सिंगापुर जाते हुए बस कुछ घंटों के लिए भारत वापस आया हूं। वहां चैबीस घंटे से भी कम समय के लिए मुझे जाना है। पिछले कुछ हफ्ते नया जीवन व नई ऊर्जा देने वाले साथ ही बेहद शानदार व जबरदस्त तौर पर थका देने वाले रहे हैं। नेपाल में ईशा की गतिविधियां बेहद तेजी से बढ़ रही हैं। वहां ईशा को लेकर जबर्दस्त उत्साह और दिलचस्पी है। इस शानदार जगह और यहां के सज्जन लोगों को वहाँ चल रही उथल-पुथल की जगह बेहतर मौकों की जरुरत है।

कैलाश ही स्रोत है

इन पहाड़ों की ट्रेकिंग ही मेरा इकलौता मेडिकल टेस्ट है। ये पहाड़ बताते हैं कि मेरा शरीर काफी बेहतर स्थिति में है, वह भी इतनी थका देने वाली यात्राओं, कई रातें बिना सोए बिताने और बिना सही व पोषक भोजन मिलने के बावजूद।

वास्तव में कैलाश ही स्रोत है, और मैं ऊर्जा चुराता रहता हूं। मैं बहुत पहले से ही कैलाश की ऊर्जा व ज्ञान को लूटता आ रहा हूं।
मेरे पैरों की जो चोट मुझे पिछले एक साल से परेशान किए हुए थी, वह इन चुनौतीभरे पहाड़ी रास्तों में आकर बिलकुल गायब हो गई। कैलाश की कृपा हमेशा से मेरे लिए ऊर्जा का एक बड़ा स्रोत रही है। वास्तव में कैलाश ही स्रोत है, और मैं ऊर्जा चुराता रहता हूं। मैं बहुत पहले से ही कैलाश की ऊर्जा व ज्ञान को लूटता आ रहा हूं।

Subscribe

Get weekly updates on the latest blogs via newsletters right in your mailbox.

आज 15 अगस्त है, यह आजादी की 70वीं वर्षगांठ है। एक देश के तौर पर हमने कई शानदार चीजें की हैं, जबकि कई चीजें करने से रह गई हैं। राष्ट्रमंडल देशों में भारत एक महान लोकतंत्र के तौर पर खड़ा हुआ है। औपनिवेशिक या कोलोनियल ताकतों द्वारा की गई लूट से खाली होने और बंटवारे के बुरे हालातों से गुजरते हुए यहां तक पहुंचने का इस देश का सफर काफी रोमांचक रहा है। लेकिन देश के सभी नागरिकों को विकास के रास्ते पर आगे न ले जा पाने का दर्द, भ्रष्टाचार से जुड़ी कई चुनौतियां और पड़ोसी देशों की ओर से आ रहा तनाव अभी भी इस देश को परेशान कर रहा है।

भारत की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि

पिछले सत्तर सालों में हमने सचमुच विज्ञान, अंतरिक्ष तकनीकी, रक्षा, शिक्षा, महिला अधिकारों और औसत आयु बढ़ने के मामले में ऊंचाइयों को छुआ है, फिर भी हम अपने किसानों को गरीबी के कुचक्र से बाहर निकालने में नाकाम रहे हैं। कोलोनियल ताकतों द्वारा फिर से गढ़े गए इस प्राचीन देश की सभी उपलब्धियों में से सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि यह है कि हमारे किसान नाममात्र के बुनियादी ढांचे के बावजूद आज एक अरब से ज्यादा लोगों का पेट भर रहे हैं।

लेकिन अगर हमने अपनी धरती, उसकी मिट्टी व पानी को नहीं बचाया और फिर से उनका भरण-पोषण नहीं किया तो यह चीज भी हमसे छिन जाएगी। खासकर हमारी नदियों पर तुरंत वैज्ञानिक तरीके से ध्यान दिए जाने की जरूरत है। इस प्राचीन देश में हर तरह की जबरदस्त संभावनाएं छिपी हुई हैं। अपने देश की संभावनाओं को साकार रूप देने का सबसे महत्वपूर्ण पहलू अपने यहां की मिट्टी व पानी को बचाना और उनका पोषण करना है। ये सब बेजान नहीं, बल्कि जीवन बनाने वाली चीजें हैं। इस समस्या से निबटने के लिए एक मजबूत इरादे से भरा तरीका होना चाहिए, जिससे देश में सभी का कल्याण हो सके।

नदी अभियान जोर पकड़ रहा है

‘नदि अभियान’ ने अब जैविक तरीके से रफ्तार पकड़ना शुरु कर दिया है। इसे लेकर देशभर में जो उत्साह दिखाई दे रहा है, वह दिल को छू लेने वाला है।

कुछ ही मिनटों में मैं एयरपोर्ट के लिए निकलने वाला हूं और फिलहाल मैं अगले हफ्ते की यात्रा के कार्यक्रमों से घिरा हुआ हूं, जहां मेरी व्यस्तता काफी है। 
अपने देश की संभावनाओं को साकार रूप देने का सबसे महत्वपूर्ण पहलू अपने यहां की मिट्टी व पानी को बचाना और उनका पोषण करना है। ये सब बेजान नहीं, बल्कि जीवन बनाने वाली चीजें हैं।  इसे लेकर सिर्फ ईशा के स्वयंसेवकों में ही उत्साह नहीं दिख रहा, बल्कि समाज के सभी वर्गाें में नजर आ रहा है। यह हमारा प्यारा भारत है, जहां बड़ी-बड़ी हस्तियों से लेकर आम लोग तक, दिग्गज नेताओं से लेकर स्कूल जाने वाले बच्चे तक यह समझने के लिए अपनी दिलचस्पी दिखा रहे हैं कि हमें नदियों के लिए रैली करने की क्या जरूरत है। कुछ लोगों को इस दिशा में कुछ करता देख मेरी आंखें भर आती हैं। आपने ईशा विद्या स्कूल के बच्चों द्वारा बनाई साढ़े छह किलोमीटर लंबी रंगोली तो देखी होगी, इसके अलावा ऐसी कई गतिविधियां हैं, जो सबके लिए बेहतर भविष्य के निर्माण को लेकर लोगों के समर्पण व प्यार को सामने रखती हैं।

कुछ ही मिनटों में मैं एयरपोर्ट के लिए निकलने वाला हूं और फिलहाल मैं अगले हफ्ते की यात्रा के कार्यक्रमों से घिरा हुआ हूं, जहां मेरी व्यस्तता काफी है। इनमें सिंगापुर से मुंबई, मुंबई से चेन्नई, चेन्नई से दिल्ली, दिल्ली से बेंगलुरू, बेंगलुरू से कोयंबटूर, कोयंबटूर से लखनऊ व दिल्ली होते हुए वापस कोयंबटूर, फिर कन्याकुमारी और वहां से हिमालय की तलहटी तक मैं 16 राज्यों से गुज़रते हुए जाऊंगा। इनके साथ ही इस दौरान बहुत तेज गति से कार्यक्रमों में भी हिस्सा लूंगा। बत्तीस दिनों तक लगातार सड़कों पर रहूंगा।

आइए हम सब इसे साकार कर दिखाएं।

Love & Grace